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Uterus Swelling – सौंफ और इलायची वाला दूध गर्भाशय की सूजन में फायदेमंद

हैवी पीरियड्स हो रहे हैं या महीने में दो बार भी पीरियड्स होने लगे हैं तो इसे नजरअंदाज न करें। यह गर्भाशय में सूजन यानी ‘बल्की यूटे्रस’ हो सकता है।

बदलती खानपान की आदतें महिलाओं में प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर रही है। इसकी में एक समस्या है गर्भाशय में सूजन आना। जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार पीरियड्स के दौरान सही खानपान और बचाव के बारे में-
पित्तदोष बढऩे से सूजन का जोखिम ज्यादा
शरीर में कहीं भी सूजन आना आयुर्वेद के अनुसार पित्तदोष माना जाता है। गर्म तासीर के पदार्थ जैसे चाय, कॉफी, बैंगन, लहसुन, शिमला मिर्च या अन्य तरह के मसालों के अत्यधिक उपयोग से पित्तदोष बढ़ता है। इस वजह से शरीर के विभिन्न अंगों में सूजन बढऩे लगती है। इसमें गर्भाशय की सूजन भी प्रमुख है। संक्रमण के कारण गर्भाशय में सूजन होने की आशंका अधिक हो जाती है। इसके अलावा पीरियड्स के दिनों स्वच्छता का ध्यान न रखने से भी संक्रमण बढ़ता है।

लंबे समय तक माहवारी रहना संकेत
य दि पीरियड साइकिल का बदल रही है। हैवी पीरियड्स हो रहे हैं या महीने में दो बार भी पीरियड्स होने लगे हैं तो इसे नजरअंदाज न करें। यह गर्भाशय में सूजन यानी ‘बल्की यूटे्रस’ हो सकता है। समस्या बढ़ जाने पर गर्भाशय को निकालना पड़ सकता है। इसलिए समय पर उपचार अहम है।

ठंडी तासीर वाली चीजें अधिक खाएं
सौंफ और हरे धनिए को पीसकर पानी में आधे घंटे के लिए भिगो दें। अब इसमें स्वादानुसार मिश्री मिला लें। इस पानी को छान पर पीएं। शरीर को ठंडक मिलेगी। इसी तरह दूध में छोटी इलायची और सौंफ मिलाकर उबाल लें। इसे ठंडा करके पीएं। पीरियड्स के पहले दिन से तीसरे दिन तक दूध, चावल, जौ के दलिए की खीर, घी लगी जौ की रोटी खाना फायदेमंद होगा। पीरियड्स में ठंडी तासीर वाली चीजें अधिक लें एवं मिर्च-मसालों का उपयोग कम करें। यदि समस्या बढ़ रही है तो चिकित्सक से परामर्श लें।

डॉ. हेतल एच दवे, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर





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