जयपुर में खुरपका-मुंहपका रोग से पशुओं को बचाने के लिए टीकाकरण अभियान.

Last Updated:March 18, 2025, 20:53 IST
Khurpaka-Muhpaka Diseases : जयपुर में बदलते मौसम से खुरपका-मुंहपका रोग बढ़ रहा है, जिससे पशुपालकों की चिंता बढ़ी है. पशु चिकित्सा रामनिवास चौधरी ने टीकाकरण की सलाह दी है. टीकाकरण अभियान 17 मई तक जारी रहेगा.
17 मई 2025 तक चलेगा अभियान <br><br>
हाइलाइट्स
जयपुर में खुरपका-मुंहपका रोग का प्रकोप बढ़ापशुओं के लिए फ्री टीकाकरण अभियान 17 मई तक जारीपशुपालकों को टीकाकरण की सलाह दी गई
जयपुर. बदलते मौसम ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है. इस मौसम में गाय,भैंस,भेड़ और बकरियों में खुरपका-मुंहपका रोग के बढ़ने लगा है. पशु चिकित्सा रामनिवास चौधरी ने बताया कि छोटी उम्र के पशुओं में यह रोग जानलेवा हो सकता है और दुधारू पशुओं का दुध उत्पादन बहुत कम हो जाता है. खुरपका-मुंहपका रोग से पशुओं को बचाने के लिए इसके टीके जरूर लगाने चाहिए. ये लगाने से पशुओं को रोगों का खतरा नहीं रहता.
पशुपालकों को राहत देने और पशुओं को खुरपका-मुंहपका रोग से बचाने के लिए वर्तमान में टीकाकरण चल रहा है. यह टीकाकरण अभियान 17 मई तक जारी रहेगा. जिसमें फ्री में पशुओं को टीके लगाए जा रहे हैं. इस रोग का प्रकोप मौसम के बदलाव के समय ज्यादा रहता है. इस समय हर साल हजारों पालतू पशु इस बीमारी की चपेट में आते हैं. यह मानव में फैलने वाले डेंगू मलेरिया जैसी बीमारी के जैसा ही है.
ये खुरपका-मुंहपका रोग के लक्षणपशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने बताया कि खुरपका-मुंहपका रोग स्वस्थ पशुओं के बिना टीकाकरण किए हुए संक्रमित पशुओं के सम्पर्क में आने, पशुओं में दूषित चारे, दाने व पानी के सेवन, रोगी पशु की बिछावन के सम्पर्क में आने, गोबर एवं पेशाब, दुधारू पशुओं के ग्वाले, हवा के माध्यम से फैलता है. यह रोग होने पर पशुओं में 105-107 फॉरेनहाइट तक तेज बुखार, मुंह, मसूड़े व जीभ पर छाले, लगातार लार का गिरना, पैरों में खुरों के बीच छाले जिससे पशु का लंगड़ाना, पैर के छालों में जख्म एवं कीड़े पड़ना, दुधारू पशु के थनों एवं गादी में छाले, कुछ पशुओं में हांफने की बीमारी होना, दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन में एकदम गिरावट गिरावट आ जाती है.
ये है रोकथाम का तरीकापशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने बताया कि इस रोग से बचने के लिए पशुओं में प्रतिवर्ष नियमित रूप से टीकाकरण करना चाहिए. यह रोग महामारी के रूप में फैलता है, इसके अलावा रोगी पशु को स्वस्थ पशु से तुरन्त अलग करें. पशु को बांधकर रखें व घूमने-फिरने न दें, वही बीमार पशु के खाने-पीने का प्रबंध अलग ही करें. रोगी पशुओं को नदी, तालाब, पोखर आदि में पानी न पीने देवें, पशु को कीचड़, गीली व गंदी जगह पर नहीं बांधे.
इसके अलावा पशु को हमेशा सूखे स्थान पर ही बांधे, रोगी पशु की देखभाल करने वाले व्यक्ति को बाड़े से बाहर आने पर हाथ-पैर साबुन से अच्छी तरह से धो लेने चाहिये. जहां-जहां पशु की लार आदि गिरती है, वहां पर कपड़े धोने का सोडा/चूना डालते रहें, यदि संभव हो तो फिनाइल से धोना भी फायदेमंद रहता है.
पशुपालक इस रोग के प्रति सचेत रहते हुए समय पर अपनी गाय-भैंसों को खुरपका मुंहपका (एफएमडी) रोग प्रतिरोधक टीका लगवा कर रोग मुक्त रखें ताकि उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता बनी रहे. दुधारू पशुओं में 6-6 माह के अन्तराल पर वर्ष में दो बार लगाये जाने वाला यह टीका प्रदेश की सभी सरकारी पशु चिकित्सा संस्थाओं में नि: शुल्क उपलब्ध है.
Location :
Jaipur,Rajasthan
First Published :
March 18, 2025, 20:53 IST
homeagriculture
बदलते मौसम में पशुओं में बढ़ रहा खुरपका-मुंहपका रोग, फ्री में होगा इलाज