करौली: 100 साल पुरानी हवेली में सरकारी ऑफिस, हालत देख निकलेंगे आंसू, अब कर्मचारी खुद कराएंगे मरम्मत

करौली. राजस्थान के करौली में कई सरकारी दफ्तर आज भी रियासतकालीन भवनों में संचालित हो रहे हैं. इनमें से कुछ की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है. ऐसी ही स्थिति जिले के सबसे बड़े शिक्षा कार्यालय, जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) कार्यालय की है. यह सैकड़ों साल पुरानी एक हवेली में चल रहा है. जर्जर भवन की वजह से विभाग के कर्मचारी हर दिन खतरे के साए में काम करने को मजबूर थे.
शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने सालों तक इस भवन की मरम्मत की मांग सरकार और अपने विभाग से की, लेकिन जब कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई तो अब यहां काम करने वाले कर्मचारियों ने स्वयं जिम्मेदारी उठाई हैं. अब इस ऑफिस में कार्यरत सभी कर्मचारियों ने अपने वेतन का 10 फीसदी हिस्सा कार्यालय की मरम्मत व आधुनिकीकरण के लिए खुद से दान देने का निर्णय लिया है.
रियासतकालीन भवन में शौचालय जैसी सुविधा भी नहींजिला मुख्यालय स्थित यह कार्यालय करीब 100 सालों से तांबे की टोरी क्षेत्र में एक रियासतकालीन भवन में संचालित हो रहा है, लेकिन इतने लंबे समय में भी यह मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहा. कार्यालय में न तो बैठने की समुचित व्यवस्था थी, न ही शौचालय जैसी जरूरी सुविधा. विशेष रूप से महिला कर्मचारियों को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी.
अब जिला शिक्षा अधिकारी इंद्रेश तिवाड़ी की पहल पर कर्मचारियों ने यह ऐतिहासिक कदम उठाया है. दान में मिली राशि से शौचालय, एयर कंडीशनर, नई कुर्सियां, अलमारी, कंप्यूटर सहित अन्य सुविधाएं जुटाई जा रही हैं. भवन की छत, खिड़कियों की मरम्मत के साथ-साथ विकलांगों के लिए अलग शौचालय और अन्य जरूरी कार्य भी किए जा रहे हैं.
फीमेल्स कलीग को हो रही थी परेशानीबता दें कि जिले के शिक्षा विभाग के इस सबसे बड़े कार्यालय महिला शौचालय नहीं होने की वजह से खासकर महिला कर्मचारियों को ज्यादा परेशान होना पड़ता था. लेकिन अब यह स्थिति बदलने जा रही है. कर्मचारियों के सहयोग से शौचालय निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, जिससे भविष्य में आने वाले कर्मचारियों को भी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा.
नजूल संपत्ति के रूप में था दर्जजिला शिक्षा अधिकारी इंद्रेश तिवाड़ी के अनुसार यह भवन 1915 में नजूल संपत्ति के रूप में दर्ज था. बाद में इसे शिक्षा विभाग को आवंटित किया गया. साल 1952 में जब राजस्थान में पहला विधानसभा चुनाव हुआ, तभी से यह कार्यालय इसी भवन में संचालित है. तिवाड़ी के अनुसार, भवन पुराना होने के कारण शुरुआत से ही यहां सुविधाओं का अभाव रहा है.
अब शुरू हुई बदलाव की मुहिम :अब इस कार्यालय के हालात सुधारने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी इंद्रेश तिवारी के नेतृत्व में एक नई मुहिम शुरू हुई है. जिसके तहत कार्यालय स्टाफ ने मिलकर अपने मूल वेतन का 10% हिस्सा इस भवन की दशा सुधारने के लिए दान किया है. इस राशि से मरम्मत कार्य, नई व्यवस्थाएं और एक बेहतर कार्य वातावरण तैयार किया जा रहा है.