Valley Queen Train : 172 पुलों से गुजरती है यह ट्रेन, रोमांच से भरपूर है इसका सफर, क्या आप बैठना चाहेंगे?

राजसमंद. देश की धरोहर को दर्शाने वाली हेरिटेज ट्रेन यानी ‘वैली क्वीन एक्सप्रेस’ की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है. यह पर्यटकों को बहुत लुभा रही है. इससे इस ट्रेन में यात्रियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. यह ट्रेन लगभग 100 साल पुरानी दो सुरंगों और 172 छोटे-बड़े पुलों से होकर गुजरती है. इस ट्रेन का सफर रोमांच से भरपूर होता है. वैली क्वीन हेरिटेज ट्रेन में एक वातानुकूलित चेयर कार और एक पॉवर कार कोच है. इसके डीजल इंजन को भाप इंजन जैसा बनाया गया है. इस ट्रेन के लिए ऑनलाइन आरक्षण भी उपलब्ध है.
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण ने बताया कि यह ट्रेन मारवाड़- खामलीघाट-मारवाड़ के बीच मीटर गेज ट्रैक पर संचालित होती है. सप्ताह में 5 दिन संचालित होने वाली यह पर्यटक ट्रेन लोगों को घाट क्षेत्र के विभिन्न दर्शनीय स्थलों की सैर कराती है. अरावली की सुरम्य पहाड़ियों में आजादी से पूर्व बने मारवाड़–खामली घाट रेल खंड को रेलवे की ओर से विरासत सहजने के क्रम में मीटर गेज ही रखा गया है. इस खंड पर मारवाड़-खामलीघाट-मारवाड़ के बीच प्रदेश की पहली हेरिटेज ट्रेन ‘वैली क्वीन’ संचालित की जा रही है. इस ट्रेन का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल 5 अक्टूबर को हरी झंडी दिखाकर किया था.
ट्रेन के कोच में एनाउंसमेंट के साथ टीवी स्क्रीन भी लगाई गई हैइस ट्रेन की यात्रा में यात्रियों को हरी-भरी घाटियों, पहाड़ियों, दुर्लभ वनस्पतियों और स्थानीय जीव जंतुओं के मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं. ट्रेन के कोच में एनाउंसमेंट के साथ टीवी स्क्रीन भी लगाई गई है. उसमें पूरे रास्ते और गोरमघाट की वादियों के बारे में पर्यटकों को जानकारी दी जाती है. हेरिटेज ट्रेन को राजस्थानी लुक देने के लिए इसके कोच पर राजस्थानी चित्रकारी की गई है. यह ट्रेन गोरम घाट, फुलाद और खामलीघाट पर रुकती है.
47 किलोमीटर लंबा है यह रेल ट्रैक60 सीटों वाली इस ट्रेन के एसी चेयर कार, एक सामान्य कोच और एक 20 सीटर विंडो केबिन है. ट्रैक पर दो घुमावदार टनल सफर के रोमांच बढ़ाती है. अरावली पहाड़ियों के बीच मारवाड़ से खामलीघाट 47 किलोमीटर लंबी मीटर गेज की यह रेल लाइन प्राकृतिक सौन्दर्य से भरे इस क्षेत्र में पर्यटन का आधार बनी हुई है. इससे यहां पर्यटन का विकास हुआ है. पर्यटन से जुड़े अन्य विभिन्न तरह के रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं.
रेल मार्ग पर कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैंइस रेल मार्ग पर कई धार्मिक स्थल हैं. यहां जोगमंडी स्थित माताजी का मंदिर है. गोरम घाट स्टेशन के पास पहाड़ी पर गुरु गोरखनाथजी का मंदिर है. गोरम घाट स्टेशन के बाद पर्वत सिंहजी की धूणी स्थित है. मान्यता के चलते पर्वत सिंह महाराज की समाधि के दर्शनों के लिए आज भी दूर-दूर से लोग आते हैं. गोरमघाट पर यू-आकार का पुल पर्यटकों को बहुत लुभाता है. उसमें नीचे शांत पानी के चारों ओर हरियाली है.
भील बेरी का झरना पर्यटकों को लुभाता हैगोरमघाट की यात्रा के दौरान पर्यटक राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई से गिरने वाले भील बेरी का झरना देखना भी नहीं भूलते. यह झरना कर्नाटक और गोवा राज्य की सीमा पर स्थित दूध सागर झरने जैसा दिखाई पड़ता है. यह क्षेत्र जुलाई से अक्टूबर तक राजस्थान का कश्मीर कहा जाता है. खामलीघाट समुद्र तल से अधिक ऊंचाई पर होने के कारण यहां मौसम काफी सुहावना रहता है. विशाल बरगद के पेड़ भी पर्यटकों को खासा आकर्षित करते हैं.
रेलवे ने दो महीनों में कमाए पांच लाख से ज्यादा रुपयेकैप्टन शशि किरण के अनुसार बीते दो महीने में ट्रेन में 646 यात्रियों ने रोमांचक सफर लुत्फ उठाया है. इससे रेलवे को 527114 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. लोग बड़ी संख्या मे ग्रुप मे भी आरक्षण करवाकर यात्रा के रोमांच का मजा ले रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 27, 2024, 16:16 IST