Vata dosha increases in the body during the summer-rainy season | गर्मी-बरसात के मौसम में शरीर में बढ़ जाता वात दोष, इस तरह रह सकते हैं सेहतमंद
जयपुरPublished: Jun 20, 2023 07:01:59 pm
आयुर्वेद के अनुसार, हर ऋतु का महत्त्व सेहत के लिए अलग होता है। इसमें हेमंत व शिशिर सबसे अच्छी, शरद व बसंत मध्यम और वर्षा व ग्रीष्म, सेहत के हिसाब से सबसे खराब हैं। अब ग्रीष्म बीत चुकी है और नवरात्र के बाद शरद शुरू हो जाएगी। ग्रीष्म और वर्षा ऋतुओं में शरीर में वात दोष का संचय हो जाता है। इसके कारण ही सर्दी में जोड़ों में दर्द, मौसमी बीमारियों का प्रकोप आदि की आशंका रहती है। ऐसे में अभी से कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो सर्दी में भी सेहतमंत रह सकेंगे।
आयुर्वेद के अनुसार, हर ऋतु का महत्त्व सेहत के लिए अलग होता है। इसमें हेमंत व शिशिर सबसे अच्छी, शरद व बसंत मध्यम और वर्षा व ग्रीष्म, सेहत के हिसाब से सबसे खराब हैं। अब ग्रीष्म बीत चुकी है और नवरात्र के बाद शरद शुरू हो जाएगी। ग्रीष्म और वर्षा ऋतुओं में शरीर में वात दोष का संचय हो जाता है। इसके कारण ही सर्दी में जोड़ों में दर्द, मौसमी बीमारियों का प्रकोप आदि की आशंका रहती है। ऐसे में अभी से कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो सर्दी में भी सेहतमंत रह सकेंगे।