Rajasthan

Vidhi Satsang Churu: गुरु का आदेश शिष्यों के लिए बना पत्‍थर की लकीर, राजस्‍थान को 12 साल में दिए 40 जज

रिपोर्ट- नरेश पारीक

चूरू. गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय,बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय, कबीर दास के इस दोहे को चूरू जिले में शिष्यों ने चरितार्थ कर दिखाया है. यहां गुरु के आदेश पर ​शिष्यों ने जिला मुख्यालय पर ‘वि​धि सत्संग संस्थान’ की नींव रखकर वि​धि के छात्रों को मुफ्त ​शिक्षा देना शुरू किया. संस्थान के प्रयासों से 40 छात्र-छात्राओं का पिछले दस साल में आरजेएस अ​धिकारी के पद पर चयन हो चुका है. विधि सत्संग को शुरू करने का उद्देश्य और भाव भी ठीक वैसा ही है जैसा बिहार के गणितज्ञ आनंद कुमार का था. यही नहीं, कुमार के जीवन पर सुपर 30 फिल्‍म बन चुकी है.

विधि सत्संग के शुरू होने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. शिक्षा विभाग में एसएलओ के पद पर कार्यरत महेंद्र सैनी बताते हैं कि राजकीय विधि कॉलेज के लेक्चरर महावीर सिंह यादव का सपना था कि साधनहीन और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों का भी न्यायिक सेवा में जाने का सपना पूरा हो, इसलिए उन्‍होंने पूर्व शिष्य चंद्रशेखर पारीक को 2010 में संस्था को शुरू करने का आदेश दिया.

इसकी पालना में साल 2010 में 2 छात्रों से विधि सत्संग में अध्यापन शुरू करवाया और अपनी राजकीय सेवा के साथ-साथ सुबह और शाम वह अपना पूरा समय तैयारी करने वाले बच्चों को देने लगे. समय के साथ विधि सेवा की विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित होने लगे और इसके साथ ही वर्ष 2016 में चंद्रशेखर पारीक का राजस्थान न्यायिक सेवा में चयन हो गया. जबकि इस दौरान वर्ष 2012 में लेक्चरर महावीर सिंह यादव का निधन हो गया, लेकिन ​शिक्षण का कार्य लगातार जारी है. इस समय चूरू के अग्रसेन नगर में क्लासों का ऑफलाइन और ऑनलाइन संचालन किया जा रहा है.

40 से अधिक आरजेएस दिए विधि सत्संग ने
चूरू में संचालित विधि सत्संग की सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 12 वर्षों में यहां तैयारी करने वाले 40 से अधिक छात्र-छात्राओं का आरजेएस में चयन हुआ है. इसके अलावा 150 से अधिक छात्र-छात्राओं का लीगल एडवाइजर और एपीपी जैसे पदों पर चयन हो चुका है.

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2010 में 2 छात्रों के साथ विधि सत्संग की शुरुआत हुई थी.

विधि सत्संग के लिए छोड़ दी 65 हजार महीने की नौकरी
विधि सत्संग को संचालित करने वाले चंद्रशेखर पारीक का राजस्थान न्यायिक सेवा में चयन हुआ तो संस्था को चलाने के लिए झुंझुनू के महनसर निवासी महेंद्र कुमार सैनी ने बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर विधि के रूप में तैनात 65 हजार रुपए प्रति माह के वेतन की नौकरी छोड़कर विधि सत्संग में स्टूडेंट को तैयारी करवाना शुरू कर दिया. इसके साथ राजस्थान विधि सेवा के अंतर्गत कनिष्ठ विधि अधिकारी के पद पर प्रोबेशन की अवधि के दौरान दिए जाने वाले 13 हजार मासिक वेतन पर ज्वाइन किया और राजकीय सेवा के साथ-साथ सुबह-शाम संस्था के इन छात्र-छात्राओं को तैयारी करवा रहे हैं.

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Tags: Churu news, Rajasthan news

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