Rajasthan

Poem by Mahesh | कविता-जो इश्क मेरा झलक रहा है

कविता

जयपुर

Published: February 19, 2022 04:02:12 pm

महेश चंद्र जोशी तेरी आंखों मेें जो इश्क मेरा झलक रहा है
तेरी सांसो के दरमियां वजूद मेरा दिख रहा है
कैसी हैं उलझनें, हैं कैसी मजबूरियां ?
जो होकर मेरा, फिर भी तू छुप रहा है
तेरी आंखों………….

कविता-जो इश्क मेरा झलक रहा है

कविता-जो इश्क मेरा झलक रहा है

उगते सूरज के संग तुझको संग देखना चाहूं
है दिलों में कैसी ख्वाहिशें, तुझको कहना चाहूं
बड़ा अजीब है अपना ये नाता जन्मों का
बताएं कैसे ओ हमदम! ये रिश्ता सदियों का
तेरी आंखों ………….

कल जो देखा तुझे तू खामोश कितना
तू ना कहे तो क्या होगा, जानता सब हूं
तेरे दिल की हर एक धड़कन सुनता मैं हूं
कश्मकश को छोड़ दे तू आ जा बांहों में
तेरी आंखोंं …………

नीचे पढि़ए और भी कविता कविता- प्रदूषण की धुंध?
ऋतु शर्मा ना जाने क्यों?
अक्सर ही
इन तुहिन कणों की छांव में,
अजब सी धुंध की चादर लिए
सिमट- सिमट क्यों जाता है।
मेरा ये मासूम सा शहर! इस अजब सी धुंध से
अलसायी सी धूप है .
मुरझाई सी सांझ है,
बावरी सी हो चली है निशा।

डूब गई हर गली,
डूब गई हर डगर .
डूब रहा क्यों मेरा
मासूम सा शहर
इस अजब सी धुंध में .
न जाने क्यों ? घड़ी-घड़ी बढ़ रहे अंधियारे को,
घूंट घूंट हम पी रहे या जी रहे
चित्र सारे धुंधले धुधले
से हो गए
ज्यों किसी अजब नशे में
जी रहे

इस अजब सी धुंध से
पांव उठ ना पा रहे
ज्यूं हो थकन सी
बेबस आंखें झर रहीं
ज्यूं हो जलन सी
जिस सभ्यता की दे रहे
हैं हम दुहाइ
उसी पर छा रहे विपत्ति के
क्यो धुंधलके ?
न जाने क्यों ?

मेरा तुम्हारा यह शहर
चीख-चीख पुकारता।
गुजारिशें हैं कर रहे
खग पात और लता
सुरसा सा मुख फैला कर
धुंध बढ़ा आ रहा।
हौले हौले प्राणी हो विवश
क्यों इधर-उधर भागता?
न जाने क्यों ? इस अजब सी धुंध को
अब और नहीं बढने दो
रोक लो,
इस काली धुंध को,
लेकर एक प्रण।

रोक लो!
इस प्रदूषण को
लेकर के एक प्रण।
जुडि़ए पत्रिका के ‘परिवार’ फेसबुक ग्रुप से। यहां न केवल आपकी समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि यहां फैमिली से जुड़ी कई गतिविधियांं भी देखने-सुनने को मिलेंगी। यहां अपनी रचनाएं (कहानी, कविता, लघुकथा, बोधकथा, प्रेरक प्रसंग, व्यंग्य, ब्लॉग आदि भी) शेयर कर सकेंगे। इनमें चयनित पठनीय सामग्री को अखबार में प्रकाशित किया जाएगा। तो अभी जॉइन करें ‘परिवार’ का फेसबुक ग्रुप। join और Create Post में जाकर अपनी रचनाएं और सुझाव भेजें। patrika.com

newsletter

अगली खबर

right-arrow

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj