राजस्थान का यह गांव है डॉक्टरों का गांव, संशाधनों के अभाव में यहां के छात्रों ने लहराया परचम

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. बरसों तक बाड़मेर को सरहदी इलाका होने के चलते अभावों की जमीन कहा जाता रहा है लेकिन कहते है कि कुंदन तपकर ही निखरता है और इस बात को सार्थक करता है भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बसा बाड़मेर का छोटा सा गांव तालसर. बॉर्डर के अंतिम गांवों में से एक तालसर में आज भी जीवन की मूलभूत सुविधाओं का अभाव है बावजूद इसके इस गांव से अब तक 11 डॉक्टर बने है.
डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है. खासतौर पर कोई ऐसी जगह हो, जहां मूलभूत आवश्यकताओं की कमी के बावजूद गांव में डॉक्टर बेटा हो तो बात ही कुछ और है. पश्चिम राजस्थान के बाड़मेर जिले में कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है. एक दौर था जब बाड़मेर जिले का तालसर गांव खुद ही चिकित्सा के लिए दूसरों पर निर्भर हुआ करता था, लेकिन आज नजारा बदला सा नजर आने लगा है. अब यहां का हर युवा डॉक्टर बनने के सपने संजोए हुए है.
2005 में वीरम परमार बने थे डॉक्टर
पिछले प्री मेडिकल परीक्षा के परिणामों में यहां एक साथ 5 विद्यार्थियों का चयन डॉक्टर बनने के लिए हुआ था. कच्ची पगडंडियों और देशी बनावट वाले इस गांव में साल 2005 में डॉक्टर वीरम परमार ने गांव का पहला डॉक्टर बनकर गांव के बच्चों को वह प्रेरणा दी कि गांव से डॉक्टर निकलने का सिलसिला ही शुरू हो गया है.
आज गांव के 100 से ज्यादा बच्चे विभिन्न जगहों पर मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं. इस गांव से निकले डॉक्टरों की पृष्ठभूमि में सबसे सुखद संयोग यह है कि सभी बेहद साधारण और किसान परिवारों से ताल्लुक रखते है. गांव में उच्च माध्यमिक विद्यालय भी अभी बना है बावजूद इसके यहां के हुनर ने अपने आप को बड़े शहरों की सफलता के सामने सिरमौर बना दिया है.
खुद मजदूरी करके डॉक्टर बने कई बच्चे
तालसर सरपंच मलूक चौहान बताते है कि डॉक्टर बनने की शुरुआत साल 2005 में हुई जब किसान तबके से आने वाले वीरम परमार गांव के पहले डॉक्टर बने. ज्यादातर डॉक्टर पाक विस्थापित है और यहां उनके माता पिता मजदूरी करते है. इतना ही नही वह बताते है कि कई डॉक्टर खुद मजदूरी कर पढ़े और नीट में चयनित हुए है.
वह बताते है कि गांव में जब भी किसी का चयन होता है तो पूरे गांव में जश्न मनाया जाता है. इस साल एक साथ 5 छात्रों का नीट में चयन हुआ है. बॉर्डर इलाका होने के बावजूद आज भी यहां मूलभूत आवश्यकताओं का अभाव है इसके बावजूद यहां के छात्र गरीब तबके से निकलकर डॉक्टर बनने का सपना साकार कर रहे है,जोकि काफी सुखद और प्रेरणादायक है.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2023, 15:58 IST