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GPS स्पूफिंग क्‍या है? फ्लाइट के स‍िस्‍टम को कैसे कर लेते हैं हैक; द‍िखाते हैं गलत रास्‍ता – What is GPS spoofing How do they hack flight system show wrong route – Hindi news, tech news

Last Updated:April 14, 2025, 14:45 IST

What is GPS spoofing in Hindi: भारतीय वायुसेना के विमान पर म्यांमार में GPS स्पूफिंग अटैक हुआ. क्‍या होता है GPS स्पूफिंग, आइये जानते हैं. GPS स्पूफिंग क्‍या है? फ्लाइट के स‍िस्‍टम को कैसे कर लेते हैं हैक?

GPS स्पूफिंग के जर‍िये हैकर्स ने भारतीय फ्लाइट हैक कर ल‍िया है.

हाइलाइट्स

GPS स्पूफिंग एक साइबर अटैक है जिसमें नकली GPS सिग्नल भेजे जाते हैं.भारतीय वायुसेना के विमान पर म्यांमार में GPS स्पूफिंग हमला हुआ.GPS स्पूफिंग से नेविगेशन सिस्टम गुमराह हो सकता है.

What is GPS spoofing: मदद के ल‍िए म्यांमार पहुंची भारतीय वायुसेना के विमान पर GPS स्पूफिंग हमला हुआ है. ये पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ. आंकडे बताते हैं क‍ि साल 2024 में GPS स्पूफिंग के मामलों में 500 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. भारतीय वायुसेना के व‍िमान पर जब जीपीएस स्‍पूक‍िंग अटैक हुआ तो पायलटों को बैकअप सिस्टम का सहारा लेना पड़ा. अब आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा क‍ि ये GPS स्पूफिंग है क्‍या? आइये आपको बताते हैं.

GPS spoofing एक तरह का साइबर अटैक है जिसमें हमलावर नकली GPS सिग्नल भेजकर नेविगेशन डिवाइस को धोखा देते हैं ताकि उन्हें लगे कि वे किसी अलग जगह पर हैं. ये नकली GPS सिग्नल द‍िखाकर या पहले से मौजूद सिग्नल को दोबारा प्रसारित करके किया जा सकता है. ये विमानन क्षेत्र में गंभीर परिणाम दे सकता है. इससे नेविगेशन में गलती हो सकती है और फ्लाइट को हैकर्स अपने मन मुताब‍िक जगह पर पहुंचा सकते हैं.

कैसे काम करता है:हमलावर खास ड‍िवाइस को इसके ल‍िए यूज करते हैं और नकली GPS सिग्नल पैदा करके उसे प्रसारित करते हैं. ये देखने में ब‍िल्‍कुल असली सिग्नल जैसे दिखते हैं. इन फर्जी सिग्नलों को एड‍िट करके GPS रिसीवर से गलत स्‍टेटस की गणना करवाई जा सकती है.

इसका क्‍या असर होगा:GPS spoofing का का असर बहुत खतरनाक हो सकता है.1. वाहनों, ड्रोन और विमानों के नेविगेशन सिस्टम को गुमराह कि‍या जा सकता है.2. जहाजों या विमानों को गलत रास्ते पर ले जा सकते हैं.3. उस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बाधित क‍िया जा सकता है, जो समय समन्वयन या लोकेशन सर्व‍िस के लिए GPS पर निर्भर करता है.

कैसे बच सकते हैं ? वैसे प्रैक्‍ट‍िकली देखा जाए तो जीपीएस स्‍पूफ‍िंंग से बचना आसान नहीं है. क्‍योंक‍ि ये वास्‍तव‍िक स‍िग्‍नल से इतने मेल खाते हैं क‍ि गलत और सही का अंदाजा लगाना बहुत मुश्‍क‍िल होता है. लेक‍िन स्टैनफोर्ड जीपीएस लैब और सेप्टेंट्रियो के अनुसार, कुछ जीपीएस रिसीवर सिग्नल विश्लेषण और प्रमाणीकरण जैसी तकनीकों का उपयोग करके स्पूफिंग हमलों का पता लगा सकते हैं. उन्‍हें स्‍पूफ‍िंंग को रोकने के ल‍िए ही डिजाइन क‍िया गया है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

April 14, 2025, 14:45 IST

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