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Influenza Virus: कोरोना महामारी की चपेट से बमुश्किल बाहर निकले जापान के सामने नई महामारी की चुनोती खड़ी हो गई है. दरअसल, जापान में अब इंफ्लुएंजा के मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ती जा रही है. जापान के सभी 47 राज्‍यों में लोग फ्लू की चपेट में आ गए हैं. वहीं, हर मेडिकल इंस्टीट्यूट में रोगियों की संख्‍या महामारी घोषित करने के तय प्रतिशत से ऊपर निकल गई है. ऐसे में जापान सरकार इंफ्लुएंजा को महामारी घोषित करने की तैयारी में है. बता दें कि भारत में भी हर साल इंफ्लुएंजा के काफी केसेस आते हैं.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफेक्शियस डिजीज की रिपोर्ट के मुताबिक, ओकिनावा में सबसे ज्यादा 41.23 फीसदी मरीज हैं. ओकनावा के बाद फुकुई में 25.38 फीसदी मरीज हैं. ओसाका में 24.34 फीसदी और फुकुओका में 21.70 फीसदी रोगी हैं. ये आंकड़े 27 जनवरी को खत्‍म हुए सप्‍ताह के हैं. मरीजों की संख्‍या लगातार बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि जापान में फ्लू का संक्रमण बहुत तेजी से फैल सकता है. इन डराने वाले आंकड़ों और रिपोर्ट के बीच आइए जानते हैं कि इस संक्रमण के लक्षण क्‍या हैं? इससे बचाव कैसे किया जा सकता है? अगर हो जाए तो इसका इलाज क्‍या है? क्‍या इसकी कोई वैक्‍सीन भी है, जिसे लगवाकर चिंतामुक्‍त हुआ जा सके?

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इन्फ्लूएंजा संक्रमण की शुरुआत में मरीज को खांसी, जुकाम के साथ हल्‍का बुखार आता है.

इंफ्लुएंजा क्‍या है और कैसे फैलता है?
इन्फ्लूएंजा श्‍वसन तंत्र से जुड़ा संक्रमण है. इस संक्रमण की शुरुआत में मरीज को खांसी, जुकाम के साथ हल्‍का बुखार आता है. इसका वायरस नाक, आंख और मुंह से शरीर में पहुंचकर व्‍यक्ति को संक्रमित कर देता है. वहीं, अगर संक्रमित व्‍यक्ति के खांसने या छींकने पर कोई स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति संपर्क में आ जाए तो उसे भी संक्रमण हो सकता है.

क्‍या हैं इंफ्लुएंजा संक्रमण के लक्षण?
इंफ्लुएंजा वायरस की चपेट में आने के बाद संक्रमित व्‍यक्ति को सबसे पहले बिना मेहनत किए ही थकान महसूस होने लगी है. कुछ मरीजों को कमजोरी के बाद चक्‍कर भी आने लगते हैं. ठंड के साथ तेज बुखार आता है. इसके अलावा गले में कफ के कारण कुछ भी निगलने में दिक्‍कत होने लगती है. फिर संक्रमित को सांस लेने में दिक्‍कत होने लगती है और खांसी व छींकें भी आने लगती हैं. अगर ठंड लगकर बुखार के साथ मांसपेशियों और सिर में दर्द भी होने लगे तो तुरंत डॉक्‍टर से परामर्श लेना चाहिए.

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कैसे करें इंफ्लुएंजा वायरस से बचाव?
बचाव के लिए अपने आसपास सफाई रखें. साफ कपड़े पहने और अपने हाथों को साफ रखें. खाना खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्‍छी तरह से धाएं. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला भेाजन ही करें. ये वायरस संक्रमित के शरीर में पानी की कमी कर देता है. लिहाजा, खूब पानी पिएं. हो सके तो लिक्विड डाइट ही लें. सबसे ज्‍यादा फायदा अजवाइन का पानी पीने से मिलता है. लापवारही बरतने पर ये वायरस कई दूसरी बीमारियों का कारण भी बन सकता है.

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डॉक्‍टर्स के मुताबिक, भारत में भी हर साल इंफ्लुएंजा के मामले आते हैं. इसलिए जल्‍दी वैक्‍सीन लगाना ठीक रहेगा.

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कब लगवाएं इंफ्लुएंजा की वैक्‍सीन?
जापान ही नहीं भारत समेत दुनियाभर में हर साल इंफ्लुएंजा वायरस संक्रमण के मामले आते हैं. जापान में हालात इस बार कुछ ज्‍यादा ही भयावह हो रहे हैं. हालात अभी और गंभीर हो सकते हैं. इस वायरस से निपटने के लिए वैक्‍सीन पहले ही बन चुकी है. डॉक्‍टर्स का कहना है कि अगर आपको इंफ्लुएंजा की वैक्‍सीन नहीं लगी है तो जितना जल्‍दी संभव हो, इसे लगवा लें. दुनियाभर में हर साल जुलाई से सितंबर-अक्‍टूबर तक ये वायरस फैलता है. इस बार इसके पैटर्न में कुछ बदलाव हुआ है. लिहाजा, इसकी वैक्‍सीन लगवाना ही समझदारी होगी. हालांकि, इससे पहले डॉक्‍टर की सलाह लेना बेहतर रहेगा.

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जानलेवा साबित हो सकता है इंफ्लूएंजा
इंफ्लूएंजा या फ्लू या कॉमन कोल्ड एंड कफ फ्लू वायरस के कारण होता है. ये वायरस चार तरह के होते हैं. इनमें एच1एन1 और इंफ्लूएंजा बी वायरस महामारी का रूप भी ले सकता है. सीजनल फ्लू या इंफ्लूएंजा साधारण सी परेशानी है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह जानलेवा भी हो सकता है. आमतौर पर इसके मरीज 4-5 दिन से लेकर दो सप्ताह के अंदर ठीक हो जाते हैं. अगर इस बीच दिक्‍कत बढ़ जाए तो यह निमोनिया बना सकता है. इससे मल्टी ऑर्गेन फेल्योर भी हो सकता है. इससे मरीज की मौत तक हो सकती है. बच्चों और बुजुर्गों को इसका सबसे ज्‍यादा खतरा रहता है.

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जापान सरकार इंफ्लुएंजा वायरस को महामारी घोषित करने की तैयारी कर रही है.

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इंफ्लूएंजा वायरस कैसे जान ले सकता है?
अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन की वेबसाइट के मुताबिक, संक्रमित के निमोनिया का प्रभाव बढ़ने पर वायरस के साथ-साथ बैक्टीरिया का हमला भी बढ़ जाता है. फ्लू के बाद निमोनिया गंभीर होने पर दिल, दिमाग और मांसपेशियों में सूजन बढ़ने लगती है. इससे हार्ट में मायोकार्डाइटिस, ब्रेन में एनसिफलाइटिस और मसल्स में मायोसाइटिस हो जाता है. इन्‍हीं की वज से किडनी, श्‍वसन तत्र समेत मल्टी ऑर्गेन फेल्योर हो सकता है. इससे संक्रमित व्‍यक्ति की मौत भी हो सकती है.

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