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What is the importance of Jamaat-ul-Fida in Ramzan the benefits are 70 times more – News18 हिंदी

मनमोहन सेजू / बाड़मेर: इस्लाम का सबसे पवित्र रमजान का महीना माना जाता है. इस महीने में मुस्लिम समुदाय रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं. रमजान के दौरान जमात-उल-विदा यानि अलविदा जुमे की नमाज का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है. कहा जाता है कि इस रमजान के महीने में हर नेक काम का सवाब यानि पुण्य अन्य दिनों की अपेक्षा 70 गुना ज्यादा मिलता है. तो आइए इसके महत्व के बारे में बिस्तार से जानते हैं.

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, अलविदा जुमे की नमाज में लोग सच्चे दिल से दुआ मांगते हैं, वह कुबूल हो जाती है. आपको बता दें कि जमात-उल-विदा एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ जुमे की विदाई यानि रमजान का आखिरी शुक्रवार या जुम्मा होता है. इस्लाम धर्म में जुमा यानी शुक्रवार का दिन खास माना गया है. जब जुमा का दिन रमजान महीने में आता है, तो उसकी खासियत और भी बढ़ जाती है. आज, 5 अप्रैल 2024, दिन शुक्रवार को रमजान का आखिरी जुमा मनाया जा रहा है, जिसे अलविदा जुमा भी कहा जाता है. इसको लेकर मुस्लिम समुदाय में भारी उत्साह देखने को मिलता है.

जमात-उल-विदा का महत्व
वहीं बाड़मेर शहर के जामा मस्जिद के पेश ईमाम मौलाना लाल मोहम्मद सिद्दिकी बताया कि रमजान महीने में 30 दिनों तक रोजे रखे जाते हैं यानी करीब 4 हफ्ते लोग उपवास रखते हैं. इन चार सप्ताह में जुमा तीन-चार बार आता है, लेकिन आखिरी जुमा काफी खास माना जाता है. उन्होंने कहा कि जमात-उल-विदा दो शब्दों से मिलकर बना है. पहला जमात और दूसरा उल-विदा. यहां जमात का मतलब जुमा होता है और उल-विदा का अर्थ विदाई होता है. अलविदा जुमे के दिन सभी का रोजा होता है, जो आखिरी रोजा माना जाता है.

जरूरतमंदों के लिए दुआएं
पेश ईमाम मौलाना लाल मोहम्मद सिद्दकी ने कहा कि इस दिन लोग अल्लाह की इबादत में नमाज पढ़ते हैं. ऐसा करने से ज्यादा से ज्यादा सवाब (पुण्य) मिलता है. इस अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं और गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए दुआएं मांगते हैं.

Tags: Local18, Namaz, Namaz in Masjid

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