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“एक नोटबुक, एक पेन’ की कहानी” क्या है वो पहल जिसने हजारों बच्चों को पढ़ाई का दिया साधन?

मुंबई: भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर आज पूरे राज्य से अनुयायी दादर स्थित चैत्यभूमि में पहुंचे हैं. अक्सर ये अनुयायी श्रद्धांजलि स्वरूप फूल या माला लाते हैं, जिनका उपयोग न होने पर ये निर्माल्य में बदल जाते हैं. इस समस्या को रोकने के लिए सुजीत जाधव और उनकी टीम FAM ग्रुप ने “एक वोही एक पेन” नामक पहल शुरू की है.

10 साल पुरानी पहलयह ग्रुप पिछले 10 वर्षों से ‘एक नोटबुक, एक पेन’ पहल को सफलतापूर्वक चला रहा है. आज सुबह से ही दादर स्थित चैत्यभूमि में 50 दर्जन से अधिक नोटबुक्स इकट्ठा हो चुकी हैं. सुजीत जाधव का अनुमान है कि पूरे दिन में 400 से 500 दर्जन पुरानी और बेकार नोटबुक्स एकत्र की जाएंगी.

डॉ. आंबेडकर का संदेश और पहल का उद्देश्यडॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने शिक्षा को हर व्यक्ति का अधिकार बताया था. इसी विचार को ध्यान में रखते हुए, यह ग्रुप लोगों को संदेश दे रहा है कि डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि देते समय फूलों और मालाओं की जगह एक नोटबुक और एक पेन अर्पित करें.

जरूरतमंद बच्चों तक शिक्षा पहुंचानाजो नोटबुक्स और पेन इस पहल के तहत इकट्ठा किए जाते हैं, उन्हें 3 जनवरी (सावित्री ज्योतिबा फुले की जयंती) से 12 जनवरी (माता जिजाऊ की जयंती) के बीच विभिन्न स्कूलों में जरूरतमंद छात्रों को वितरित किया जाता है. इस पहल का उद्देश्य छात्रों को शिक्षा में सहायता प्रदान करना है और उनकी पढ़ाई को बढ़ावा देना है.

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हर नोटबुक और पेन से बढ़ेगी शिक्षाइस अनूठी पहल के माध्यम से न केवल पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया जा रहा है, बल्कि जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा का साधन भी प्रदान किया जा रहा है। हर नोटबुक और पेन एक छात्र के भविष्य को बेहतर बनाने में मदद करता है. यह पहल डॉ. आंबेडकर के विचारों को एक नई दिशा देते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव का प्रतीक बन गई है.

Tags: Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED : December 6, 2024, 23:37 IST

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