When ACB re-investigated, an error of Rs 35 crore came to light | FR लगाने के बाद ACB ने दोबारा जांच की तो सामने आई 35 करोड़ की गड़बड़़ी
जयपुरPublished: Feb 03, 2024 01:29:25 pm
अपोलो वेटरनरी कॉलेज का मामलाः एसीबी ने तफ्तीश में मदद के लिए ईडी को लिखा पत्र।
FR लगाने के बाद ACB vs दोबारा जांच की तो सामने आई 35 करोड़ की गड़बड़़ी
ओमप्रकाश शर्मा
जयपुर . एसीबी ने जिस मामले में एफआर लगा दी थी, उसमें दोबारा जांच की तो 35 करोड़ रुपए के गबन का मामला पाया। आगरा रोड पर अपोलो वेटरनरी कॉलेज में हुई इस धांधली का खुलासा एसीबी ने कोर्ट में पेश रिपोर्ट में किया है। एसीबी ने माना है कि नियमों को दरकिनार कर कॉलेज में ट्रस्टी बने दूल्हेराम मीना, उसके 2 बेटों व अन्य के नाम करीब 35 करोड़ रुपए कॉलेज के खाते से ट्रांसफर किए गए। हाईकोर्ट ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए एसीबी को ईडी व आयकर विभाग की मदद लेने के लिए कहा है। एसीबी ने ईडी को पत्र लिख दिया है। एसीबी ने यह एफआईआर एनआरआई डॉ. राज खरे के परिवाद पर वर्ष 2020 में दर्ज की थी।
तत्कालीन अधिकारियों ने इस मामले में वर्ष 2022 में एफआर पेश कर दी थी, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर अग्रिम अनुसंधान के आदेश दिए थे। एसीबी ने तफ्तीश आगे बढ़ाई तो आरोपी पक्ष ने हाईकोर्ट में इसको चुनौती दी। सुनवाई के दौरान पेश तथ्यात्मक रिपोर्ट में एसीबी ने बताया कि अमरीका स्थित अपोलो एनिमल मेडिकल ग्रुप की पहल पर 2002 में अपोलो एनिमल मेडिकल ग्रुप ट्रस्ट स्थापित किया। राज्य सरकार ने कॉलेज के लिए आगरा रोड पर 28 बीघा 17 बिस्वा जमीन टोकन मनी पर आवंटित की थी। दूल्हेराम व अन्य ने वर्ष 2012 में मूल ट्रस्टियों को हटा दिया। एसीबी ने इस प्रक्रिया को गलत माना है।
इन पर आरोप: कार्यवाहक ट्रस्टी दूल्हेराम मीना व उसके बेटे ट्रस्टी हर्षवर्धन मीना और लाखन मीना को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपी माना है।