रेगिस्तान में फूटी पानी की धार, तो लोगों ने कहा सरस्वती नदी का अवशेष

जैसलमेर के मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र में शनिवार को जमीन फटने से शुरू हुआ पानी का बहाव प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है. लोग अपनी बहसों में वैज्ञानिक कारणों से लेकर धार्मिक कारणों पर पहुंच चुके है. हालांकि, रविवार देर रात को प्राकृतिक रूप से पानी का बहाव रुक गया, जिससे प्रशासन ने राहत की सांस ली है.
500 मीटर के दायरे में आमजन के आवागमन पर प्रतिबंध
घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक वीडियो फैलाए जा रहे हैं. उप तहसीलदार और कार्यपालक मजिस्ट्रेट ललित चारण ने बताया कि पानी रुक चुका है और स्थिति नियंत्रण में है. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर विश्वास न करें. इसके साथ ही जिला प्रशासन ने क्षेत्र में धारा 144 लागू कर 500 मीटर के दायरे में आमजन के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया है. घटना की जांच के लिए ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और केन एनर्जी के वैज्ञानिक मौके पर पहुंचे और पानी के सैंपल लिए. भूजल वैज्ञानिक भी घटनास्थल पर मौजूद हैं.
लोगों ने इसे सरस्वती नदी के अवशेष से जोड़ा
प्रशासन ने बताया कि पानी के साथ गैस के रिसाव और विस्फोट की संभावना के कारण क्षेत्र में आवागमन पर प्रतिबंध रहेगा. वैज्ञानिकों की रिपोर्ट आने के बाद ही पानी के बहाव का कारण और इसे रोकने के उपाय स्पष्ट हो पाएंगे. घटना के बाद विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने ट्वीट कर इसे सरस्वती नदी के अवशेष से जोड़ा. वहीं, स्थानीय लोग इसे प्राकृतिक आपदा और अचंभित करने वाली घटना बता रहे हैं.
पश्चिम राजस्थान में ये पहली घटना है
जल वैज्ञानिक डॉ एमडी इणखिया ने कहा कि इससे पूर्व नाचना के जालूवाला क्षेत्र में इसी प्रकार बोरवेल से पानी की आवक शुरू हुई थी, लेकिन वहां पानी का प्रेसर कम था बावजूद इसके वहां तीन महीने तक पानी की आवक जारी रही थी. यहां पानी का प्रेशर ज्यादा होने से पानी की आवक तीन महीने से ज्यादा रह सकती है. आपको बता दें कि पश्चिम राजस्थान में इस तरह की यह पहली घटना है जब इतना तेज प्रेशर के साथ पानी बाहर आया है.
FIRST PUBLISHED : January 1, 2025, 09:54 IST