National

अगला अतुल सुभाष कौन होगा… बेंगलुरु इंजीनियर ने दिखाया सिस्टम का झोल, क्या कानून पर फिर से सोचने की जरूरत है?

नई दिल्ली. बेंगलुरु में काम करने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने केवल समाज के लिए ही सवाल नहीं छोड़े बल्कि पूरे सिस्टम को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया. दरअसल, अतुल सुभाष ने आत्महत्या से पहले 90 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखकर मौत को अपने गले से लगा लिया. अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद अब दहेज उत्पीड़न कानून को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. साथ ही इस दौरान जिस अदालती वेदना का जिक्र सुभाष ने किया है, उससे पूरा सिस्टम ही सवालों के घेरे में आ गया है.

अतुल सुभाष ने आत्महत्या से पहले जो वीडियो बनाया और सुसाइड नोट लिखा उसमें अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया पर उन्हें दहेज और अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न के ‘झूठे’ मामलों में फंसाने का आरोप लगाया. जिसने दहेज उत्पीड़न कानून को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है. हालांकि, इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी कई बार टिप्पणी की जा चुकी है कि इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है. इसकी वजह से कई मासूम भी इसकी जद में आकर सजा काट रहे हैं.

निकिता सिंघानिया ने तो अपने पति अतुल सुभाष और उनके परिवार के खिलाफ 9 केस दर्ज कराए थे. जिसमें से कई केस तो उसने वापस ले लिया, लेकिन अदालतों के चक्कर काटकर हार चुके अतुल सुभाष को अंततः इससे निकलने का सही रास्ता मौत ही नजर आया. जो किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन इस सबके बीच यह भी सच है कि अतुल सुभाष की मौत के लिए जितनी जिम्मेदारी उनकी पत्नी और ससुराल वालों की है, उससे ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी सिस्टम की है, जिस पर अतुल ने सवाल उठाए हैं.

उसने आत्महत्या से पहले लिखा भी है कि न्याय अभी बाकी है. सिस्टम का झोल देखिए दहेज वाले मामले में अतुल बेंगलुरु से, उनका छोटा भाई दिल्ली से और उनके मां-बाप बिहार से लगभग 120 बार जौनपुर कोर्ट में पेश हुए. अब जब अतुल सुभाष नहीं रहा तो उसकी मौत के बाद चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है, जिसमें उसकी पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा सिंघानिया, भाई अनुराग सिंघानिया और चाचा सुशील सिंघानिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

इस घटना को लेकर सीआरआईएसपी संस्था बेंगलुरु के प्रेसिडेंट कुमार जागीरदार ने कहा कि दहेज उत्पीड़न कानून का कैसे गलत इस्तेमाल हो रहा है, यह सरकार जानती है, ऐसा नहीं है कि सरकार यह नहीं जानती. लेकिन, यह माना जाता है कि पुरुष दोषी हैं और महिलाएं निर्दोष हैं. लेकिन, समाज में अच्छे पुरुष और बुरे पुरुष, अच्छी महिलाएं और बुरी महिलाएं होती हैं. सभी अच्छे या सभी बुरे नहीं हो सकते. यह दुर्भाग्यपूर्ण है और अब समय आ गया है कि ऐसी व्यवस्था में संशोधन किया जाए. इस पर नए सिरे से विचार की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

अतुल के दोस्त पाटिल ने इसको लेकर कहा कि एक नजदीकी दोस्त को खो देना ऐसा है, जैसे आपकी बॉडी से किसी अंग को निकाल देना. वो बहुत ही जिंदादिल और खुश रहने वाला इंसान था. हमें तो भनक भी नहीं लगी कि वो ऐसा खौफनाक कदम उठा सकता है. जिस तरह उसने सुसाइड नोट में लिखा या जो वीडियो उसने हमलोगों के साथ शेयर किया, इससे साफ पता चलता है कि पूरा का पूरा सिस्टम फेल हो चुका है.

उन्होंने कहा कि एनसीआरबी का आंकड़ा बताता है कि हर साल 1 लाख से ज्यादा मर्द केवल पारिवारिक समस्याओं की वजह से सुसाइड करते हैं. ऐसे में सिस्टम में बदलाव की जरूरत है. कब तक आप इंतजार करते रहेंगे कि अगला अतुल सुभाष कौन होगा.

उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के लिए कानून तो है. लेकिन, हमारे लिए सिस्टम के पास कोई कानून नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि इस सिस्टम के हिसाब से पति एक एटीएम है. इस पूरे कानून को पढ़कर तो मैं बस इतना ही कहूंगा कि यह एक तरह से कानूनी आतंकवाद या कानून के संरक्षण में चल रहा उगाही का धंधा है.

अतुल सुभाष के परिचित नवीन ने इस मामले को लेकर कहा, ”यह आत्महत्या जैसा लग सकता है। लेकिन, मैं कहूंगा कि यह एक व्यवस्थित हत्या है, जो भारत के कठोर कानून के कारण भारतीय पुरुषों के द्वारा किया जा रहा है. अतुल ने अपने डेथ नोट और वीडियो में यही कहा है.”

अतुल सुभाष के एक मित्र सुरेश ने कहा, ”शुरुआत में वह मानसिक रूप से बीमार किस्म का व्यक्ति नहीं था. वह बहुत खुशमिजाज लड़का था. शुरुआत में उन पर कुछ ही मामले थे. लेकिन, धीरे-धीरे उनकी पत्नी ने उन पर 9 मामले डाल दिए. फिर वह दबाव महसूस करने लगा.” इस मामले ने सोशल मीडिया पर दहेज उत्पीड़न कानून को लेकर नई बहस छेड़ दी है.

Tags: Bengaluru News, Bengaluru police

FIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 01:04 IST

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj