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झालावाड़ हादसे के बाद जयपुर के स्कूल में भी मौत मंडरा रही है, देखें ग्राउंड रिपोर्ट

Last Updated:July 26, 2025, 19:43 IST

Ground Report: राजस्थान के झालावाड़ ज़िले के पीपलोदी गांव में शुक्रवार को सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई और 22 घायल हो गए. हादसे के बाद राज्यभर के स्कूलों की हालत को लेकर चिंता बढ़ गई है. जयप…और पढ़ें

हाइलाइट्स

झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत22 बच्चे घायल, शिक्षा मंत्री ने जांच के आदेश दिएजयपुर के भाटावाला स्कूल की भी हालत खराबजयपुर. राजस्थान के झालावाड़ में सरकारी स्कूल की बिल्डिंग का हिस्सा गिरने से अब तक 7 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 22 से ज्यादा बच्चे घायल हैं। हादसे के बाद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जांच के आदेश दिए हैं. यह हादसा शुक्रवार सुबह मनोहरथाना ब्लॉक के पीपलोदी सरकारी स्कूल में हुआ, जब 7वीं कक्षा में 35 बच्चे बैठे हुए थे. बारिश के चलते स्कूल की छत अचानक गिर गई, जिससे सभी बच्चे मलबे में दब गए.

शिक्षकों ने ग्रामीणों की मदद से सभी बच्चों को मलबे से बाहर निकाला, लेकिन तब तक चार बच्चों की मौत हो चुकी थी. तीन बच्चों ने अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया. ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल काफी पुराना और जर्जर हालत में था. राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों की यही स्थिति है.

जयपुर के भाटावाला सरकारी स्कूल की बदहाल स्थितिजयपुर के वाटिका रोड स्थित भाटावाला गांव के सरकारी स्कूल की हालत भी अत्यंत खराब है. यहां पढ़ने वाले बच्चों और शिक्षकों को रोजाना भय और असुविधा का सामना करना पड़ता है. स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है, जिससे किसी भी समय बड़ी दुर्घटना का खतरा बना रहता है। कक्षाओं में पर्याप्त रोशनी और वेंटिलेशन की व्यवस्था नहीं है, जिससे बच्चों को पढ़ाई में कठिनाई होती है.

इसके अलावा, शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है और साफ-सफाई का अभाव है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी बढ़ गए हैं. कई कक्षाओं में बच्चों के लिए पर्याप्त डेस्क-बेंच नहीं हैं, जिसके कारण छात्र मजबूरन जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं.

शिक्षकों की संख्या भी कमशिक्षकों की संख्या भी अपेक्षा से कम है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. बच्चों को न तो उचित सुविधाएं मिल रही हैं और न ही सुरक्षित वातावरण, जिससे उनकी पढ़ाई पर गंभीर असर पड़ रहा है. अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में इसलिए भेजते हैं क्योंकि प्राइवेट स्कूलों की फीस वहन करना संभव नहीं है, लेकिन यहां की स्थिति देखकर वे भी चिंतित हैं.

ग्रामीणों और अभिभावकों ने प्रशासन से मांग की है कि स्कूल की मरम्मत, साफ-सफाई और मूलभूत सुविधाओं की तत्काल व्यवस्था की जाए, ताकि बच्चों को सुरक्षित और बेहतर वातावरण में शिक्षा मिल सके. फिलहाल यह सवाल उठ रहा है कि सरकार की योजनाओं और बजट के बावजूद स्कूलों की ऐसी हालत क्यों है.

निखिल वर्मा

एक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे…और पढ़ें

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