World Obesity Day: मोटापा और मानसिक रोग हैं जुड़वा भाई, ऐसे कर रहे आपकी सेहत खराब

World Obesity Day: 2022. आज विश्व मोटापा दिवस है. देखने-सुनने में मोटापा बढ़ना एक सामान्य बात लगता है, कभी-कभी इसे बेहतर खान-पान के परिणाम के रूप में भी देखा जाता है लेकिन यह एक समस्या तब बन जाता है जब इसकी वजह से लाइफस्टाइल प्रभावित होने लगे, शारीरिक बीमारियां होने लगे, मानसिक परेशानियां बढ़ने लगती हैं. ऐसा हो भी रहा है. विश्व भर में मोटापा एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है. डब्ल्यूएचओ (WHO) का कहना है कि खासतौर पर विकासशील देशों में. मोटापे की समस्या से जूझने में अमेरिका (USA) और चीन (China) के बाद भारत (India) का तीसरा स्थान है. इसी से समझा जा सकता है कि यह किस हद तक परेशानी का कारण बन रहा है. पिछले दो साल से कोरोना के कारण दो बड़ी समस्याएं देखने को मिली हैं, पहला मोटापा (Obesity) और दूसरी मानसिक बीमारियां. बेहद दिलचस्प है कि मोटापा और मानसिक बीमारियां जुड़वा की तरह हैं. अगर इनमें से एक होती है तो दूसरी भी साथ चली आती है.
पिछले साल जारी किए गए नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे- 5 (NFHS-5) के आंकड़े बताते हैं कि न केवल बच्चों में बल्कि महिला और पुरुषों में भी मोटापे की समस्या काफी बढ़ी है. इस सर्वे के अनुसार महिलाओं में मोटापे का प्रतिशत पिछले सर्वे में आए 20.6 फीसदी से 24 फीसदी हो गया है. जबकि पुरुषों में यह 18.9 फीसदी से बढ़कर 22.9 प्रतिशत हो गया है. भारत के 30 राज्यों में महिलाओं में मोटापे की समस्या बढ़ी है जबकि 33 राज्यों में पुरुषों में मोटापा बढ़ा है. वहीं एक रिसर्च बताती है कि मोटापे से जूझ रहे लोगों में डिप्रेशन (Depression) का खतरा 55 फीसदी ज्यादा है, बनिस्वत उनके जो मोटे नहीं हैं. ऐसे में देखा जा रहा है कि मोटापा और मानसिक समस्याएं एक दूसरे की पूरक हो गई हैं.

world obesity day: मोटापे की वजह से कई मानसिक बीमारियां हो सकती हैं.
वहीं इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज के डिपार्टमेंट ऑफ साइकेट्री में प्रोफेसर डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि मोटापे के लिए आमतौर पर गलत फूड हैबिट्स (Wrong Food Habits), व्यायाम या कसरत की कमी, स्थिर जीवन, असंतुलित व्यवहार मोटापा बढ़ाने के कारण माने जाते हैं लेकिन मानसिक स्वास्थ्य का शारीरिक सेहत पर काफी असर पड़ता है. इसी तरह मोटापा भी मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है. पिछले 2 सालों में ही देखें तो कोरोना काल में भारत में लोगों को मानसिक परेशानियां हुई हैं. मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कई पहलू इस दौरान सामने आए हैं. लोगों में तनाव (Stress), एंग्जाइटी, डिप्रेशन आदि देखे गए हैं. इसके अलावा कोविड (Covid) काल में बाहरी गतिविधि न होने, पूरा समय घरों में रहने के चलते पूरा ध्यान ध्यान खान-पान पर रहा और शारीरिक मेहनत कम होती चली गई, इससे मोटापा बढ़ा है.
ये मानसिक परेशानियां हैं मोटापे के लिए जिम्मेदार
. अगर किसी को एंग्जाइटी, क्रॉनिक तनाव और अवसाद यानि डिप्रेशन, बायपॉलर डिसऑर्डर या अन्य कोई मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो इससे व्यक्ति का खान-पान बिगड़ने की संभावना ज्यादा रहती है और यह मोटापे का कारण बन सकती हैं.
. सीरोटोनिन डेफिसिएंसी जो कि डिप्रेस्ड मूड से जुड़ी हुई होती है, इस स्थिति में भी कुछ खाते रहने का मन करता रहता है. इसके अलावा पर्याप्त और सुचारू नींद न आने या खराब स्लीप पैटर्न की वजह से भी लोगों को रात में कार्बोहाइड्रेट क्रेविंग होती है और खान-पान ज्यादा होने से वजन बढ़ने लगता है.
. मानसिक थकान, व्यायाम या कसरत न करने का मन, तनाव से जूझ रहे युवाओं में मोटापा बढ़ने की संभावना काफी तेज हो जाती है.
मोटापा ऐसे पहुंचाता है मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान
.मोटापे के चलते व्यक्ति की क्वालिटी ऑफ लाइफ खराब होती है. न केवल परिवार और रिश्तों में बल्कि प्रोफेशनल स्तर पर भी मोटे लोगों को आलसी, कम सक्रिय या कम आकर्षक मान लिया जाता है जो पहले तनाव और फिर धीरे-धीरे अवसाद का कारण बन सकता है. इसके चलते वे समाज से कटने लगते हैं, अकेलेपन के शिकार हो सकते हैं. इससे खाने-पीने की आदतें असंतुलित हो सकती हैं.
.मोटापे के चलते लोगों में एंग्जाइटी की समस्या हो सकती है. खराब शारीरिक इमेज के चलते नकारात्मकता हावी हो सकती है. मानसिक स्वास्थ्य के साथ इम्यून सिस्टम भी प्रभावित हो सकता है.
. मोटापे के चलते लोगों को बॉडी शेमिंग से जूझना पड़ता है. आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है. हीन भावना बढ़ती है.
.महिलाओं और पुरुषों को सामाजिक रूप से परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं जैसे शादी-विवाह में रुकावट आदि. कभी-कभी ये समस्या इतनी बढ़ जाती है कि लोगों को मेंटल ट्रॉमा तक हो सकता है.
मानसिक रोगियों को दी गई दवाएं भी बढ़ाती हैं मोटापा
डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि मानसिक रोग चाहे कोई भी हो, उससे नींद और खान-पान पर प्रभाव पड़ता है. जिसकी वजह से मान लीजिए अगर किसी को डिप्रेशन है तो वह या तो कम खाएगा या ज्यादा खाएगा लेकिन दोनों ही स्थितियों में वजन बढ़ेगा. दिलचस्प है कि खाना नहीं खाएंगे या कम खाएंगे तो भी वजन बढ़ेगा. डिप्रेशन में व्यक्ति को पता भी नहीं होता कि वह क्या खा रहा है, इससे भी वजन बढ़ता है. इसके अलावा बीमारियों का इलाज भी कई बार मोटापे का कारण बन जाता है. मानसिक स्वास्थ्य के लिए मरीजों की दी जाने वाली दवाएं भी वजन बढ़ने का कारण बन जाती हैं. इन दवाओं से नींद या सुस्ती आती है, ये सभी दवाएं भूख बढ़ाती हैं. ऐसे में मानसिक रोगी भूख बढ़ने के कारण ज्यादा खाएगा, ऐसे में मरीजों में सोते रहने, लगातार खाते रहने, कुछ भी खाने की आदतें विकसित हो जाती हैं. लिहाजा जो लोग मानसिक स्वास्थ्य से गुजर रहे हैं उनमें मोटापे का खतरा और जो मोटापे से जूझ रहे हैं उनमें मानसिक स्वास्थ्य का खतरा पैदा हो जाता है.
मानसिक रोगियों को दी गई दवाएं भी बढ़ाती हैं मोटापा
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