World Soil Day: क्या मिट्टी से दूर होता है तनाव? यह कैसे वजन कर सकती है कम?
बॉलीवुड में मिट्टी पर कई गाने बने. ज्यादातर देशभक्ति पर आधारित थे. ‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती, मेरे देश की धरती’ इस गानों में मिट्टी की हकीकत बयां होती है. मिट्टी केवल अनाज ही नहीं उगाती, बल्कि इंसानों को सेहतमंद भी बनाती है. मिट्टी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो दवा की तरह काम करते हैं. पुराने जमाने में कई बीमारियों का इसी से इलाज हुआ करता था. आयुर्वेद में आज भी मिट्टी से कई रोग दूर किए जाते हैं. प्राचीन काल में ही लोगों ने इसका फायदा जान लिया था तभी वह मिट्टी के बर्तनों में पानी पीते थे और खाना खाते थे. इसका इस्तेमाल महिलाएं अपनी खूबसूरती को निखारने के लिए भी करती आई हैं. आज 5 दिसंबर है और यह दिन World Soil Day के रूप में मनाया जाता है.
मटके का पानी बीमारियों से बचाएगर्मी के मौसम में अधिकतर लोग फ्रिज का पानी पीते हैं जबकि मिट्टी का बना मटका ज्यादा फायदेमंद होता है और इसमें पानी भी ठंडा रहता है. मिट्टी के मटके में पानी में मौजूद अशुद्धियां दूर होती हैं और वह फिल्टर होता है. इस पानी को पीने से एसिडिटी, ब्लोटिंग और सर्दी-जुकाम नहीं होता. ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है. जिन लोगों में खून की कमी होती है यानी एनिमिक होते हैं, उन्हें इसका पानी जरूर पीना चाहिए क्योंकि इसमें आयरन की मात्रा अधिक होती है. मटके के पानी से इम्यूनिटी भी बढ़ती है.
काली मिट्टी से बाल बने चमकदारबालों को खूबसूरत बनाने के लिए लोग हजारों रुपए सैलून में खर्च कर देते हैं लेकिन इन्हें काली मिट्टी से भी इन्हें घना, चमकदार और मुलायम बनाया जा सकता है. आयुर्वेद आचार्य डॉ. संदीप कटियार कहते हैं कि पुराने जमाने में लोग इसी मिट्टी से बालों को धोया करते थे और इससे नुकसान भी नहीं होता. यह मिट्टी कंडीशनर का काम करती है. इससे डैंड्रफ दूर होता है. जिन लोगों को सोरायसिस या एक्जिमा जैसी स्किन प्रॉब्लम है और स्कैल्प की पपड़ी झड़ती है तो यह मिट्टी काफी मददगार है. इस मिट्टी को पानी में भिगोकर या दही में भिगोकर लगाया जाता है. 15 मिनट बालों में रखने के बाद इसे पानी से धो लेना चाहिए.
तालाब या नदी की मिट्टी का लेप बहुत फायदेमंद होता है (Image-Canva)
पेट की समस्या नहीं होतीकाली मिट्टी केवल बालों को ही नहीं चमकाती बल्कि पेट को भी दुरुस्त रखती है. आयुर्वेद में इस मिट्टी का इस्तेमाल पेट के दर्द, ऐंठन और अपच की समस्या को दूर करने के लिए किया जाता है. पेट पर काली मिट्टी का लेप लगाया जाता है जिससे पेट को ठंडक मिलती है. पीरियड्स में पेट में दर्द उठता है, तब भी इस लेप से फायदा होता है. जिनकी आंखों और सिर में दर्द रहता है, उन्हें भी इस मिट्टी से लाभ होता है. वहीं अगर कोई ततैया, मधुमक्खी या मकड़ी काट ले तो काली मिट्टी तुरंत लगानी चाहिए.
मुल्तानी मिट्टी से झुर्रियां होती दूरमुल्तानी मिट्टी मिनरल्स से भरपूर होती है. इसे चेहरे पर लगाने से अलग ही निखार आता है. यह एक तरह की क्ले थेरेपी है. इस मिट्टी को गुलाब जल में भिगोकर लगाया जाए तो स्किन की टोनिंग होती है और टैनिंग भी दूर होती है. इस मिट्टी से स्किन टाइट होती है और झुर्रियां नहीं पड़तीं. जिनको ऑयली स्किन की वजह से मुहांसे निकलते हैं, उनके लिए मुल्तानी मिट्टी बहुत अच्छी है. इससे रंग भी निखरता है. जिनकी स्किन रूखी है, उन्हें इस मिट्टी को शहद और दही के साथ मिलाकर लगाना चाहिए. एंटीसेप्टिक गुण होने की वजह से यह सेंसिटिव स्किन को भी सूट करती है.
लाल मिट्टी से सफेद दाग ठीक होते हैंकुछ लोगों के शरीर पर सफेद दाग होते हैं. इसे विटिलिगो कहते हैं. इन सफेद दागों पर लाल मिट्टी बहुत असरदार है. लाल मिट्टी का पेस्ट इन दागों पर लगाएं और सूखने दें. जब यह सूख जाएं तो इसे धो लें. इस मिट्टी में कॉपर की मात्रा ज्यादा होती है जिससे त्वचा में मौजूद मेलेनिन का लेवल बढ़ने लगता है. मेलेनिन से ही बालों, त्वचा और आंखों का रंग तय होता है. जिनमें अधिक मेलेनिन बनता है, उनका रंग सांवला और जिनमें मेलेनिन का लेवल कम होता है, उनका रंग गोरा होता है.
मिट्टी के बर्तन में खाने से पोषक तत्व खत्म नहीं होते (Image-Canva)
मिट्टी के बर्तनों में खाना अच्छा हैपुराने जमाने में लोग मिट्टी के बर्तनों में ही खाना पकाते भी थे और खाते भी थे. इसके बाद स्टील, कांच, तांबे, पीतल के बर्तनों ने जगह ले ली लेकिन जब से लोग इकोफ्रेंडली हो रहे हैं तब से मिट्टी के बर्तनों का दौर फिर से लौट आया है. अब बाजार में मिट्टी के गिलास, कटोरी, कप, प्लेट, बोतल खूब बिकने लगे हैं. मिट्टी के बर्तन में मैग्नीशियम, आयरन, सल्फर जैसे कई मिनिरल्स होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. स्टील या दूसरे बर्तनों में खाने से भोजन का न्यूटीशन खत्म होने लगता है जबकि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने या खाने से ऐसा नहीं होता है. इन बर्तनों में खाने का स्वाद बढ़ जाता है और खाने का पीएच भी संतुलित रहता है. इन बर्तनों की सबसे अच्छी बात यह भी है कि इसमें कम तेल लगता है इसलिए वजन बढ़ने का खतरा भी नहीं रहता. इससे दिल की सेहत भी अच्छी रहती है.
मड थेरेपी से दूर होता स्ट्रेसबारिश होते ही जब गीली मिट्टी की सौंधी सुगंध आती है तो दिल खुश हो जाता है. आजकल स्ट्रेस को दूर करने के लिए मड थेरेपी खूब इस्तेमाल हो रही है. इसमें मिट्टी को पूरे शरीर पर लगाया जाता है और उसके बाद पानी से शरीर को धोया जाता है. यह एक तरह का स्पा ट्रीटमेंट भी है. इसे रज स्नान कहा जाता है. मड बाथ से केवल तनाव ही दूर नहीं होता बल्कि जिन्हें स्किन प्रॉब्लम होती है, माइग्रेन होता है, जोड़ों में दर्द रहता है या आंखों में समस्या होती है, वह भी ठीक होती है.
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FIRST PUBLISHED : December 5, 2024, 14:56 IST