‘Yash Shukla’ emerged as the epitome of kindness and sacrifice | महामारी में दया और त्याग की प्रतिमूर्ति बनकर सामने आए ‘यश शुक्ला’

महामारी (pandemic) की चपेट में आए लोगों के लिए संकटमोचक साबित हो रहे ‘यश शुक्ला’… लोगों की मदद करने से तृप्ति और संतुष्टि का अहसास होता है। इस तरह की बातें हम अभी तक सुनते आए हैं। या कभी कभार ऐसा कुछ लोगों को देखने को भी मिलता है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इसे हर इंसान ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फील किया है। ऐसा इसलिए कि दुनियाभर में लाखों लोग कोविड—19 (Covid-19) के शिकार हुए। लोगों को संकट से बाहर निकालने के लिए कई लोगों ने दवाओं, टेलीहेल्थ और अन्य नैतिक संसाधनों के माध्यम से सहायता की।
जयपुर
Updated: January 21, 2022 12:45:11 am
जयपुर। लोगों की मदद करने से तृप्ति और संतुष्टि का अहसास होता है। इस तरह की बातें हम अभी तक सुनते आए हैं। या कभी कभार ऐसा कुछ लोगों को देखने को भी मिलता है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इसे हर इंसान ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फील किया है। ऐसा इसलिए कि दुनियाभर में लाखों लोग कोविड—19 (Covid-19) के शिकार हुए। ऐसे लोगों को संकट से बाहर निकालने के लिए कई लोगों ने दवाओं, टेलीहेल्थ और अन्य नैतिक संसाधनों के माध्यम से सहायता की। कुछ आज भी इस काम को अंजाम दे रहे हैं। यही वजह है कि महामारी के दौरान सामूहिक परोपकार के कई रूप देखने को भी मिले हैं।

महामारी में दया और त्याग की प्रतिमूर्ति बनकर सामने आए ‘यश शुक्ला’
हमने देखा कि इस कठिन दौर में कई पथ प्रदर्शक तो कुछ लोग निष्ठावान सिपाही बनकर सामने आए हैं। हकीकत भी यही है कि ऐसे समय में संकट में फंसे लोगों को सहानुभूति और आर्थिक मददगारों के साथ ऐसे इंसान की भी जरूरत है, जो लोगों में जागरूकता फैलाने का काम करे। यही वजह है कि कई उत्साही युवाओं को लोगों ने सम्मानित भी किया।
भरोसा और मजबूत रिश्ते के विकास पर जोर देने का सही समय
महामारी (Epidemic) के दौरान हम लोगों ने कई नए सबक भी सीखे। हम लोगों को उसी अनुभव से बेहतर भविष्य का निर्माण करने में मदद मिलेगी। यह न केवल लोगों को कई कष्टों से मुक्त कराता है, बल्कि उनमें जिंदगी को फिर से जीने की किरण भी लेकर आता है। यही वजह है कि संकट के दौर में दूसरों की मदद करने के क्षेत्र में शुमार अग्रणी लोगों के कई अनुकरणीय उदाहरण भी हमारे सामने पेश किए। ऐसा काम उन लोगों ने ऐसे वक्त में किया है, जब इसकी लोगों को सख्त जरूरत थी। साथ ही विकट समय ने हमें इस बात की भी सीख दी है कि सभी को स्वतंत्र रूप से जीना सीखना चाहिए। जैसा कि लॉकडाउन में हमें देखने को मिला। कई लोग कोरोना की चपेट में आने से अकेले पड़ गए। अपनों ने भी उनकी सुध नहीं ली। जिन लोगों ने इस संकट का सामना किया, उनके लिए यह घोर मानवीय त्रासदी का समय था।
ऐसे समय में यश शुक्ला (Yash Shukla) ने न केवल कई लोगों को दवाओं और अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों से न केवल मदद की, बल्कि उनकी एंड टू एंड मेडिकल जरूरतों का भी ध्यान रखा। उन्होंने न केवल भावनात्मक रूप से लोगों की मदद की बल्कि घर की बुनियादी सुविधाओं को जुटाने में भी मदद की है। उनकी ये कोशिश आज भी दूसरों को संकट में फंसे लोगों की सहायता के लिए आगे आने को प्रेरित करती है।
दरअसल, यश शुक्ला (Yash Shukla) एक राजनेता परिवार में पले बढ़े युवा हैं। वह हर स्थिति में सकारात्मक सोच से प्रेरित होकर काम करते हैं। उनका कहना है कि मानव समाज का एक नागरिक होने के नाते हमेशा सुरक्षित, स्वस्थ और विपदाओं से दूर रहने की हर कोई इच्छा रखता है। ऐसे समय में एक क्षेत्र ऐसा है, जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। वो क्षेत्र रोजगार का है। कोरोना महामारी ने रोजगार को सबसे ज्यादा जोर का झटका दिया। इसको देखते हुए सभी को एक साथ काम करना चाहिए। हमें महामारी की वजह से आर्थिक संकटों में फंसे लोगों की मदद करनी चाहिए।
फूड बैंक योजना पर काम करने की जरूरत
एक और काम संकट में फंसे लोगों को भोजन मुहैया कराने की है। ऐसे जरूरतमंद और गरीब लोगों के लिए हमें फूड बैंक योजना पर काम करने की जरूरत है। ध्यान देने की बात यह है कि इन सब परिस्थितियों में ही गंभीर बीमारी और आर्थिक नुकसान का लोगों को सामना करना पड़ता है। ऐसे में पार्सल से मिले भोजन के पैकेट उनके भूख को मिटा सकता है।
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