सर्दियों में आपका मूड रहता है खराब, हर वक्त आती है नींद, समझिए इस परेशानी का हो गए शिकार !
All About Seasonal Affective Disorder: ठंड का मौसम अधिकतर लोगों को पसंद आता है और लोग जमकर इस सीजन का आनंद लेते हैं. कई लोग सर्दी में पहाड़ों पर बर्फबारी का मजा लेने जाते हैं, तो कुछ लोग समंदर के किनारे वक्त बिताना पसंद करते हैं. हालांकि कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो सर्दियों के मौसम में हर वक्त नींद से परेशान रहते हैं और उनका मूड खराब रहता है. ऐसे लोग सर्दी में उदास रहते हैं और मौसम को एंजॉय नहीं कर पाते हैं. अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है, तो सावधान होने की जरूरत है. ये सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के संकेत हो सकते हैं.
जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन की रिपोर्ट के मुताबिक सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) एक प्रकार का डिप्रेशन है, जो मौसम बदलने के साथ हो सकता है. यह डिसऑर्डर लोगों को सबसे ज्यादा सर्दियों में परेशान करता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो सर्दियों में दिन छोटे होने और कम धूप मिलने से हमारे ब्रेन में केमिकल चेंजेस हो सकते हैं, जिससे डिप्रेशन के लक्षण नजर आने लगते हैं. इसकी वजह से लोगों को ज्यादा नींद आती है और शरीर में एनर्जी की कमी महसूस होती है. कई लोग मूडी हो जाते हैं और उदास महसूस करने लगते हैं. SAD से परेशान लोग अपने काम पर भी फोकस नहीं कर पाते हैं.
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) की सबसे बड़ी वजह मौसम में बदलाव होता है. सर्दियों में कम धूप और छोटे दिन के कारण यह डिसऑर्डर हो सकता है. कम रोशनी से हमारे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक में बदलाव आ जाता है और मेलाटोनिन और सेरोटोनिन हॉर्मोन का लेवल गड़बड़ा जाता है. इसके अलावा शरीर में विटामिन D की कमी भी इस डिसऑर्डर को पैदा कर सकती है. इस डिसऑर्डर का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है, जिन्हें मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं हों. 20 साल से ज्यादा के लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है. महिलाएं इस डिसऑर्डर का ज्यादा शिकार होती हैं.
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट की बात करें, तो सर्दी खत्म होने के बाद यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है. हालांकि कई लोगों में यह परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है और इसका इलाज लाइट थेरेपी, साइकोथेरेपी और एंटी-डिप्रेसेंट दवाओं से किया जाता है. लाइट थेरेपी में मरीज को विशेष प्रकार की ब्राइट लाइट से उजाला मिलता है, जो ब्रेन में केमिकल इंबैलेंस को सुधारने में मदद करता है. एंटीडिप्रेसेंट दवाएं डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं. साइकोथेरेपी SAD के मरीजों को अपने नेगेटिव विचारों को पहचानने और उन्हें सही दिशा में बदलने में मदद करती है. इन उपचारों से इस डिसऑर्डर को कंट्रोल किया जाता है और इससे लोगों को मानसिक शांति और एनर्जी मिलती है.
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FIRST PUBLISHED : December 21, 2024, 09:00 IST