इन दो अंगों से शरीर में घुसता है टीबी का बैक्टीरिया, फेफड़ा हो या दिमाग, बना देता है कंकाल, बचाव का है बस एक रास्ता..
ट्यूबरक्यूलोसिस यानि टीबी की बीमारी के बारे में तो आपने सुना ही होगा. यह रोग खतरनाक तो है ही जानलेवा भी है. अगर एक बार यह किसी को हो जाए तो इसकी अधिकतम डेढ़-दो साल तक लगातार दवा खानी पड़ सकती है. साथ ही परिवार के अन्य लोगों को भी टीबी की चपेट में आने का खतरा रहता है.
टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है. यह आपके फेफड़ों, दिमाग, लिवर, किडनी, ब्लैडर आदि किसी भी हिस्से को अपना शिकार बना सकती है और अगर सही इलाज न मिला तो उस अंग को खत्म करके ही दम लेती है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि ये होती क्यों है और कैसे होती है? इस बीमारी का बैक्टीरिया आखिर कैसे हमारे शरीर में घुसता है?
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डॉक्टर कहते हैं कि अगर आपको यह पता चल जाए कि टीबी का बैक्टीरिया कैसे आप पर हमला करता है और आपको बीमार करता है, तो आप सावधानी बरत के इस रोग से बच सकते हैं.
शरीर के इन 2 अंगों से घुसता है बैक्टीरिया..
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्ली में डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी में प्रोफेसर डॉ. उर्वशी बी सिंह कहती हैं कि टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नाम के बैक्टीरिया की वजह से होती है. सबसे बड़ी बात जो जानने ही है, वह ये है कि यह बैक्टीरिया आपके शरीर में हाथ, पैर, आंख या कोई चीज छूने या कुछ खाने से प्रवेश नहीं करता. बल्कि चेहरे के दो अंगों नाक और मुंह से घुसता है.
जब भी आप हवा में सांस लेते हैं और अगर वहां टीबी का बैक्टीरिया मौजूद है तो वह आपकी नाक या मुंह के माध्यम से आपके अंदर चला जाएगा. यह जीवाणु हवा में तैरता रहता है और सांस लेने पर फेफड़ों में चला जाता है. अगर बैक्टीरिया बहुत स्ट्रांग है और आपके शरीर की इम्यूनिटी बहुत कमजोर है तो यह शरीर के अन्य अंगों में भी पहुंच जाता है.
और हो जाती है एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी..
एम्स के ही पल्मोनरी एंड स्लीप मेडिसिन के एचओडी डॉ. अनंत मोहन कहते हैं कि जब टीबी का बैक्टीरिया फेफड़ों के बजाय अन्य अंगों की तरफ मुड़ जाता है, तब एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी हो जाती है. यानि उस स्थिति में ब्रेन, लिवर, किडनी, ब्लैडर, हड्डियों में, पेट में, त्वचा, बच्चेदानी में कहीं भी टीबी का बैक्टीरिया पहुंचकर रोग बना देता है.
हालांकि 70 फीसदी मामलों में फेफड़ों की टीबी होती है क्योंकि यह सबसे कॉमन है और टीबी की शुरुआत यहीं से होती है. इसके बाद यह अन्य अंगों में फैल जाती है और एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी बन जाती है.
बचाव का है एक रास्ता
डॉ. उर्वशी कहती हैं कि नाक और मुंह के माध्यम से टीबी फैलती है, लेकिन कोई भी व्यक्ति सांस लेना तो नहीं छोड़ सकता है, लेकिन कुछ सावधानियां जरूर बरत सकता है, ताकि टीबी को फैलने से रोका जा सके..
टीबी को रोकने का सबसे प्रभावी रास्ता है मास्क. जब भी आप भीड़भाड़ वाली जगहों में जाएं तो मास्क जरूर पहनें क्योंकि आपको नहीं पता है कि आपके आसपास कोई टीबी के मरीज ने खांसा या छींका है. हालांकि ऐसा करने से काफी हद तक आप इसके संक्रमण से बच सकते हैं. इसके अलावा इम्यूनिटी को मजबूत रखने के लिए पोषण युक्त खाना-पीना बेहद जरूरी है.
इन 5 लक्षणों पर हो जाएं सावधान
टीबी संक्रमण को टीबी रोग बनने में कुछ समय लगता है. इसलिए अगर संक्रमण के समय ही लक्षणों को पहचान कर सावधानी बरती जाए तो टीबी रोग से बचा जा सकता है. इसके लिए इन 5 लक्षणों का ध्यान रखें.
. हल्का-हल्का बुखार दो हफ्ते से ज्यादा समय तक रहना.
. खांसी को दो हफ्ते से ज्यादा हो जाएं.
. खांसी के साथ बलगम और उसमें खून आए.
. छाती में दर्द रहे.
. वजन घटने लगे.
डॉ. अनंत मोहन कहते हैं कि अगर किसी भी मरीज को ये 5 लक्षण महसूस हों तो वह तुरंत किसी भी डॉट सेंटर पर जाकर टीबी की जांच कराए और मुफ्त दवाएं ले. इसके इलाज के लिए कोई पैसा नहीं देना पड़ता है और ये दवाएं गांव व शहर दोनों में ही हमेशा उपलब्ध रहती हैं. टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए जागरुकता बहुत जरूरी है.
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FIRST PUBLISHED : March 27, 2024, 15:18 IST