Rajasthan

कांग्रेस आलाकमान का CM गहलोत पर दबाव, पायलट गुट के नेताओं को सत्ता में मिली भागीदारी- Congress high command pressure on CM Gehlot The leaders of the pilot faction got power NODBK– News18 Hindi

भवानी सिंह

जयपुर. राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक बड़ी खबर सामने आई है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान (Congress high command) के दबाव के बाद अब गहलोत सरकार (Gehlot Sarkar) ने सचिन पायलट और उनके गुट के नेताओं को सत्ता और संगठन में भागीदारी देनी शुरू कर दी है. दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट (Sachin Pilot) को एआईसीसी में महासचिव पद देने पर सहमति बन चुकी है. वहीं, इसकी शुरुआत विधानसभा की कमेटियों में पायलट गुट की भागीदारी से हुई है. खुद सचिन पायलट को विधानसभा की एथिक्स कमेटी में शामिल किया गया. पायलट गुट के ही नेता दीपेंद्र सिंह शेखावत को एथिक्स कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. पायलट गुट के हटाए गए मंत्री रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को सदस्य मनोनीत किया गया.

इतना ही नहीं नाराज होकर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले पायलट गुट के विधायक हेमाराम चौधरी को विधानसभा की राजकीय उपक्रम समिति का अध्यक्ष बनाया गया. इससे साफ है कि हेमाराम का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ और उन्हें मना लिया गया. पायलट गुट के विधायक इंद्रराज गुर्जर, वेद‌ प्रकाश सोलंकी, मुरारी मीणा और हरीश मीणा को भी विधानसभा की समितियों में शामिल कर पायलट गुट की नाराजगी दूर करने की कोशिश की गई है. माना जा रहा‌ है कि मंत्रीमंडल विस्तार और राज्य स्तर पर राजनीतिक नियुक्तियां जल्द हो सकती है.

एआईसीसी द्वारा सीधे पैनल मांगे गए हैं
बता दें कि बीते 30 जून को खबर सामने आई थी कि राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रहे घमासान में कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत को झटका दे दिया है. कांग्रेस नेतृत्व ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए सीधे जिला प्रभारियों से नाम मांगे हैं. यानी जिलाध्यक्षों का फैसला अब राजस्थान कांग्रेस नहीं पार्टी हाईकमान करेगा. इससे पायलट का सियासी वजन बढ़ेगा. जिला कांग्रेस की कार्यकारिणी या करीब 11 महीने से ठप पड़ी है. बार-बार नियुक्तियों के लिए कवायद शुरू होती है लेकिन हर बार कोई ना कोई अवरोध भी खड़ा हो जाता है. अब एक बार फिर से कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियों की कवायद तेज हो गई है. कांग्रेस में जल्द ही जिलाध्यक्षों समेत अन्य पदाधिकारियों की नियुक्तियों की संभावना जताई जा रही है. पहली बार ऐसा हो रहा है जब प्रदेश कांग्रेस कमेटी को दरकिनार कर एआईसीसी द्वारा सीधे पैनल मांगे गए हैं.

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