नरेंद्र मोदी के PM के रूप में 100 महीने: अंत्योदय बना नए भारत का आधार स्तंभ | – News in Hindi

प्रधानमंत्री के रूप में 100 महीने पूरे करने वाले नरेंद्र मोदी के बीते 8 वर्ष में लिए गए सैकड़ों निर्णायक-दूरगामी निर्णय 2047 के स्वर्णिम नए भारत के लिए चल रही अमृत यात्रा का आधारस्तंभ बन गए हैं. यानी 100 महीने, 100 निर्णय जो बन गए हैं शताब्दी वर्ष का आधार. अंत्योदय के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती इस बार विशेष अवसर लेकर आई है. इसी दिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में 100 महीने पूरे हो रहे हैं. गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में लगभग 13 वर्ष तक विकास की नई धारा और सुशासन का नया अध्याय लिखने के बाद उन्होंने 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और 25 सितंबर 2022 को जब राष्ट्र अंत्योदय के जनक पं. दीनदयाल जी की जयंती पर नमन कर रहा है, बतौर प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी देश के प्रधान सेवक के रूप में 100 महीने पूरे कर रहे हैं.
आखिरी व्यक्ति तक पहुंचने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से सिद्धि के मंत्र के लिए इससे पुनीत अवसर नहीं हो सकता है कि दीनदयाल जी की जयंती का अवसर इसका साक्षी बन रहा है. यह अवसर इसलिए भी विशिष्ट है क्योंकि पीएम मोदी ने बीते 8 वर्ष की विकास यात्रा को आधार स्तंभ बनाकर आजादी के 100वें वर्ष यानी 2047 तक भारत को विकसित बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 100 महीने 100वें वर्ष के नए भारत का आधार बन गए हैं.
भारत अपने शताब्दी वर्ष के संकल्प के साथ अमृत यात्रा प्रारंभ कर चुका है. आत्मनिर्भरता और आजादी को एकदूसरे का पूरक कहा जाता है. जो देश जितना आत्मनिर्भर होगा, वो उतना ही सशक्त है. इसलिए आज का भारत, बल और बदलाव दोनों को साथ लेकर चल रहा है. एक निश्चित कालखंड में भारत को विकसित बनाने का संकल्प यूं ही नहीं है. विकास की नई परिभाषा ही अमृत काल का आधार बनी है.
राष्ट्रवाद को प्रेरणा, अंत्योदय को दर्शन और सुशासन को मंत्र बनाकर, देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने और निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर रखने की सोच के साथ पहली बार किसी केंद्र सरकार ने समयबद्ध तरीके से अंतिम छोर तक विकास की पहुंच सुनिश्चित कर विकसित भारत की बुनियाद रख दी है. इसमें प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली में लोगों की जरूरत को समझना सबसे महत्वपूर्ण है. वे सरकार या राजनीति में भी कोई निर्णय लेने से पहले सीधे लोगों की सोच के साथ जुड़ने की कोशिश करते हैं. जब इस तरह का अध्ययन पूरा हो जाता है तभी वे आगे की रणनीति पर काम कर उसे साकार करते हैं. उन्होंने सदैव ऐसे विकास की सोच को आगे बढ़ाया है जो सर्वांगीण-सर्वसमावेशी-सर्वस्पर्शी हो. विकासवाद आज के भारत की नीति-रीति बन गई हैं. यहां हम कुछ ऐसे निर्णयों का जिक्र कर रहे हैं जो नए भारत की अमृत यात्रा का आधार बन गए हैं और अमृत काल के संकल्प को साकार करने का विकासरूपी संस्कार.
अटल सरकार ने बजट का समय बदला तो प्रधानमंत्री मोदी ने बजट को एक महीने पहले किया ताकि विकास की गति को एक महीने पहले दौड़ाया जा सके. प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं, ‘अब हमने बजट एक महीना पहले किया है. एक महीना पहले करने का मतलब है मुझे देश की आर्थिक व्यवस्था को एक महीना पहले दौड़ाना है. हम देखते हैं, खास करके इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए ये समय बहुत मूल्यवान है क्योंकि हमारे यहां अप्रैल में बजट लागू होता है और उसके बाद अगर हम चर्चा शुरू करेंगे तो उसमें मई महीना निकल जाता है. मई एंड से हमारे देश में बारिश शुरू हो जाती है और इन्फ्रास्ट्रक्चर के सारे काम तीन महीने लटक जाते हैं. ऐसी स्थिति में 1 अप्रैल से ही काम शुरू जाए तो हमें अप्रैल-मई-जून, इन्फ्रास्ट्रक्चर काम के लिए बहुत समय मिल जाता है; जुलाई-अगस्त-सितम्बर बारिश के दिन होते हैं; फिर हम तेज गति से आगे बढ़ सकते हैं. समय का उत्तम उपयोग करने के लिए ये बजट हम एक महीना पहले करके आगे बढ़ रहे हैं.’
इतना ही नहीं, किसानों की आय दोगुनी करने का एक विराट लक्ष्य लिया गया और इसके लिए सरकार ने बुवाई से पहले, बुवाई के दौरान और बुवाई के बाद के हर चरणों में किसानों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाईं. कभी कुपोषण को खत्म करने के लिए ऐसे प्रयास नहीं हुए, लेकिन पोषण अब राष्ट्र का मिशन बन गया है और सही पोषण से देश रोशन की आवाज बुलंद हो रही है. दर्जन भर से अधिक मंत्रालय इसके लिए एक साथ प्रयास में जुटे हैं. बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ ने लिंगानुपात में लड़कियों की संख्या बढ़ा दी है तो हर घर नल से जल का भागीरथी सपना साकार हो रहा है. जबकि आजादी के इतने लंबे अरसे तक 15 करोड़ ग्रामीण घरों में पीने को स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं था.
कोविड की आपदा के समय को अवसर में बनाकर भारत ने पीपीई किट, एन-95 मास्क जैसे उत्पाद जो देश में न के बराबर होते थे, भारत उसका निर्यातक बन गया है. स्वास्थ्य क्षेत्र में जनक्रांति की शुरुआत हो चुकी है और यूनिवर्सल हेल्थकेयर आज की हकीकत बन रही है. आयुष्मान भारत योजना, डिजिटल स्वास्थ्य का ढांचा अब स्वास्थ्य सुविधाओं को सहज बना रहा है. जनऔषधि योजना से सस्ती दवाई की पहुंच हो या फिर वैक्सीन से जुड़े प्रयास. असम में बोगीबिल ब्रिज हो या कश्मीर में चिनाब ब्रिज. हल्दिया से वाराणसी जलमार्ग की शुरुआत हो या सभी परियोजनाओं को जोड़कर पीएम-गतिशक्ति की शुरुआत, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी निर्माण व खरीद को बढ़ावा देना, उरी-बालाकोट से दुनिया को नए भारत की शक्ति का अहसास कराना. आज भारत की नीति-रीति बन गई है.
स्टार्टअप से यूनिकॉर्न की यात्रा हो या हर गरीब तक स्वच्छ ईंधन पहुंचाने वाली उज्ज्वला योजना, हर नागरिक को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने वाली जन-धन योजना हो या या जनजातीय कल्याण के लिए समग्रता में प्रयास, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाना हो या फिर सवर्ण आरक्षण. उपेक्षित नायकों को सम्मान दिलाना हो या विदेश नीति को मजबूत कर भारतीय पासपोर्ट की ताकत को बढ़ाना, एक देश-एक राशन कार्ड के साथ-साथ एक देश-एक व्यवस्था की अनगिनत पहल, अनुच्छेद-370 से आजादी हो या दिव्यांग जनों के लिए सुगम्य भारत का निर्माण, पीएम आवास, मुद्रा योजना से स्वरोजगार, स्वनिधि से रेहड़ी-पटरी वालों का स्वावलंबन, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति- हैकॉथन से नई सोच का विकास, आकांक्षी जिलों के विकास पर फोकस, जनसहभागिता, जीवन प्रमाणन, हर घर बिजली, बीमा और पेंशन योजना, डीबीटी, श्रम सुधार-ई श्रम पोर्टल, महिला सुरक्षा- मातृत्व अवकाश, स्थायी कमीशन, लिंगानुपात में सुधार, कानूनी सुरक्षा जैसी तमाम पहल. तीन तलाक से मुक्ति, खेल का नया ईको-सिस्टम- खेलो इंडिया, टॉप्स, तीन ओलंपिक की सोच पर 2016 में ही कमेटी बनाकर की गई पहल ताकि खेलों को लेकर समाज की बदली सोच. कौशल विकास की नई शुरुआत, सड़क-राजमार्ग- नेशनल हाईवे- प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना आदि. उड़ान योजना टेकेड यानी तकनीक से विकास को नई उड़ान. जीएसटी- एक देश एक टैक्स, यूपीआई लेनदेन- 40 प्रतिशत अकेले भारत में होना, प्रगति प्लेटफॉर्म, लंबित परियोजनाएं जो हुईं साकार- जैसे सरयू नहर, कोसी, कोल्लम बाईपास, अटल सुरंग, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे- नदी जोड़ो परियोजना आदि. पुराने कानूनों के जंजाल से मुक्ति से सुगम कार्यनीति, इनोवेशन की नई सोच- इनोवेशन इंडेक्स में मजबूत भारत, पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत का पश्चिम की तरह विकास, सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण- विरासत पर गर्व- मूर्तियां वापस लाना, धरोहरो की संख्या बढ़ना. राम मंदिर- 499 वर्ष पुराना विवाद खत्म- सांप्रदायिक सौहार्द्र के साथ, काशी कॉरीडोर का निर्माण, केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण, डेरा बाबा नानक-करतारपुर कॉरीडोर, सोमनाथ का पुनरोद्धार, हाइड्रोजन मिशन, मेक इन इंडिया, नीति आयोग का गठन, सेंट्रल विस्टा-संसद भवन, इंटरनेशल योग दिवस, स्व-प्रमाणन-Self Attestation, निचले ग्रेड की नौकरियों में इंटरव्यू खत्म, पद्म पुरस्कार बना जनता का पद्म, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस आत्मनिर्भरता बना आंदोलन- वोकल फॉर लोकल का मंत्र अब हर भारतीय के मन-मस्तिष्क में छाया. और अब आखिर में अमृत यात्रा यानी शत-प्रतिशत लोगों तक लाभ पंहुचाने के लक्ष्य के साथ विकसित भारत का सपना साकार करने की दिशा में बढ़ने के संकल्प के साथ एक यात्रा.
पांच दशक का सार्वजनिक जीवन और 20 वर्ष से अधिक शासन में ‘सेवक’ बनकर अपनी निष्ठा और राष्ट्र-समाज को नई दिशा देने की सोच के साथ आगे ले जाने की दृढ़ इच्छाशक्ति ही किसी नेतृत्वकर्ता को जन-जन का सम्मान दिलाती है. ऐसे ही व्यक्तित्व के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर 2022 को बतौर प्रधानमंत्री 100 महीने पूरे करने का अपने नाम नया कीर्तिमान स्थापित किया है. वे भले ही 100 महीने पूरे करने वाले देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बन गए हैं और गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री के रूप में एक नई लकीर खींच दी है, लेकिन उससे बड़ा कीर्तिमान उनके द्वारा लिए गए निर्णय हैं जिसने देश के विकास की धारा को बदल दिया है. अगर आज भारत अमृत यात्रा के साथ एक निश्चित कालखंड यानी 2047 में भारत को विकसित बनाने का विराट लक्ष्य लेकर चल पड़ा है तो उसका बड़ा आधार बीते 100 महीने में लिए गए प्रधानमंत्री मोदी के निर्णय ही हैं. अगर नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के बारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उस टिप्पणी को देखें तो इस पड़ाव को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है. उन्होंने हाल ही में कहा है, ‘जब एक व्यक्ति अपने परिवार को भुलाकर, जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण 130 करोड़ लोगों के कल्याण के लिए समर्पित कर सकता है, तभी नरेंद्र मोदी नाम का व्यक्ति बनता है.’ राजनीति में तमाम आलोचनाओं के बावजूद अपनी नीति में ‘राष्ट्र सर्वोपरि-राष्ट्र प्रथम’ जैसे विचारों को प्रवाहमान बना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नित नए और निर्णायक फैसलों से नए भारत की आधारशिला तैयार कर चुके हैं और भविष्य के भारत का स्वर्णिम इतिहास रचने को आतुर हैं.

संतोष कुमार वरिष्ठ पत्रकार
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। रामनाथ गोयनका, प्रेस काउंसिल समेत आधा दर्जन से ज़्यादा पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। भाजपा-संघ और सरकार को कवर करते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव पर भाजपा की जीत की इनसाइड स्टोरी पर आधारित पुस्तक “कैसे मोदीमय हुआ भारत” बेहद चर्चित रही है।
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