शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast: जीवन योग का पर्याय | Sharir Hi Brahmand Podcast 23 Mar 2024 Gulab Kothari Article
जयपुरPublished: Mar 22, 2024 05:27:02 pm
Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: गीता के अनुसार प्राणियों के लिए जो रात्रि है उसमें स्थितप्रज्ञ योगी जागता है। यहां स्थितप्रज्ञ किसी योगी के लिए लिखा है। किन्तु जो भी व्यक्ति अपने चहेते विषय पर एकाग्र हो जाता है, अन्य विषय ओझल हो जाते हैं, वह वर्तमान में जीने लगता है।… ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में कल सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- जीवन योग का पर्याय
शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast
Gulab Kothari Article शरीर ही ब्रह्माण्ड: “शरीर स्वयं में ब्रह्माण्ड है। वही ढांचा, वही सब नियम कायदे। जिस प्रकार पंच महाभूतों से, अधिदैव और अध्यात्म से ब्रह्माण्ड बनता है, वही स्वरूप हमारे शरीर का है। भीतर के बड़े आकाश में भिन्न-भिन्न पिण्ड तो हैं ही, अनन्तानन्त कोशिकाएं भी हैं। इन्हीं सूक्ष्म आत्माओं से निर्मित हमारा शरीर है जो बाहर से ठोस दिखाई पड़ता है। भीतर कोशिकाओं का मधुमक्खियों के छत्ते की तरह निर्मित संघटक स्वरूप है। ये कोशिकाएं सभी स्वतंत्र आत्माएं होती हैं।”
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की बहुचर्चित आलेखमाला है – शरीर ही ब्रह्माण्ड। इसमें विभिन्न बिंदुओं/विषयों की आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या प्रस्तुत की जाती है। गुलाब कोठारी को वैदिक अध्ययन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें 2002 में नीदरलैन्ड के इन्टर्कल्चर विश्वविद्यालय ने फिलोसोफी में डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया था। उन्हें 2011 में उनकी पुस्तक मैं ही राधा, मैं ही कृष्ण के लिए मूर्ति देवी पुरस्कार और वर्ष 2009 में राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान से सम्मानित किया गया था। ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में प्रकाशित विशेष लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें नीचे दिए लिंक्स पर –