Diabetes And UTI Problem – यूरिन में शुगर की मात्रा अधिक आने से यूटीआइ की आशंका बढ़ जाती है

बार-बार यूरिन में संक्रमण व कंधे में दर्द रहना भी डायबिटीज के संकेत
कुछ लोग अपनी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का इलाज कराने की जगह तनाव, वर्कलोड या फिर उम्र संबंधी समस्या मानकर नजरअंदाज करते रहते हैं। इस कारण उनकी दिक्कत गंभीर भी हो जाती है। इसका असर शरीर के किसी खास अंगों से पूरे शरीर पर दिखने लगता है। इनमें डायबिटीज भी है। यदि समय रहते इस बीमारी पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका दुष्प्रभाव किडनी, लिवर, आंखों आदि अंगों पर भी पड़ता है। अगर किसी को पहली बार इसका पता चलता है तो घबराएं नहीं बल्कि डॉक्टर को दिखाएं। इसको नियंत्रित रखा जा सकता है।
इनकी अनदेखी न करें
ल गातार वजन का कम होना, कमजोरी महसूस होना, कंधे में दर्द होना, चश्मे का नंबर बदलना या दृष्टि कमजोर होना आदि समस्याएं डायबिटीज का संकेत हो सकते हैं। महिलाओं में यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (यूटीआइ) और पुरुषों में पेशाब की नली के आसपास संक्रमण भी लक्षण हैं। कुछ लोग लक्षणों के नजरअंदाज करते रहते हैं, उनमें समस्या के बढऩे पर डायबिटीज का पता चलता है।
पीसीओडी से भी जोखिम
यदि परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री है या प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज हुई है तो समय-समय पर शुगर लेवल की जांच करवाएं। डायबिटीज का जोखिम उन लोगों में भी हो सकता है, जिन्हें हार्मोन संबंधी बीमारियां जैसे पीसीओडी रही हो। इसके अलावा मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसे कोलेस्ट्रॉल, बीपी और मोटापा या लंबे समय तक स्टेरॉइड लेने से भी इसकी आशंका बढ़ जाती है।
मधुमेह को आयुर्वेद में माना गया प्रमेह रोग
आयुर्वेद में 20 प्रकार के प्रमेह रोग को तीन श्रेणियों कफज, पित्तज और वातज में बांटा गया है। कफज में यूरिन संक्रमण की समस्या डायबिटीज का लक्षण है। पित्तज में कफ और पित्त दोनों तरह की समस्या होती है। वातज डायबिटीज की अंतिम स्थिति है। इसलिए रोग की विकृति को समझते हुए ही उपचार होता है।
4 तरह की डायबिटीज
खराब दिनचर्या और तनाव हैं कारण
बदलती जीवनशैली और तनाव के कारण कम उम्र में भी डायबिटीज के रोगी बढ़ रहे हैं। डायबिटीज की चार श्रेणियां टाइप-1, टाइप-2, सेकंडरी डायबिटीज (विभिन्न बीमारियों या दवाओं से) और गर्भावस्था में जेस्टेशनल डायबिटीज हैं।
शुगर कंट्रोल करने से दूर होगी यूटीआइ की समस्या
यदि यूटीआइ की समस्या हैं तो घबराए नहीं। यूरिन में शुगर आने की वजह से ऐसा होता है। शुगर कंट्रोल होने पर समस्या से राहत मिल जाती है। दवा से शुगर लेवल कंट्रोल न होने पर मरीज को इंजेक्शन के माध्यम से इंसुलिन दी जाती है। इंसुलिन सुरक्षित दवा है। यदि किडनी, लिवर, हृदय संबंधी समस्या या किटोन्स बढ़े हुए है तो ही मरीज को एडमिट करने की जरूरत पड़ती है। स्वस्थ जीवनशैली और आहार पर ध्यान दें।
दही संतुलित मात्रा में खाएं, खूब पानी पीएं
आयुर्वेद के अनुसार डायबिटीज के साथ यूटीआइ की समस्या है तो पानी ज्यादा पीएं। कुछ आयुर्वेदिक दवाइयां भी देते हैं जैसे गोक्षुरादि गुग्गुल और मंजिस्ठादि काढ़ा आदि। लेकिन इनको चिकित्सकों की सलाह से ही लें। इससे यूटीआइ की समस्या भी दूर होगी। जितना ज्यादा हो सके, उतना पैदल चलें। खानपान की आदतों को सुधारें। दही नहीं खाएं या बहुत कम मात्रा में लें। स्वयं से कोई उपचार न लें, नहीं तो अन्य समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। पर्याप्त नींद लें और तनाव वाले कार्यों से बचें।
डॉ. मनुज शर्मा,
सह आचार्य (हार्मोन रोग विभाग) गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल
डॉ. बी.एन.सिन्हा
वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ, नई दिल्ली