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Banks and UPI apps will soon be able to verify mobile number ownership with telecom operators to prevent fraud in hindi

Last Updated:September 11, 2025, 20:48 IST

इस नए सिस्टम से बैंक और UPI ऐप्स यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि उपयोगकर्ता का पंजीकृत मोबाइल नंबर वास्तव में उन्हीं का है, जिससे साइबर धोखाधड़ी में इस्तेमाल होने वाले म्यूल अकाउंट्स को रोकने में मदद मिलेगी.धोखाधड़ी से बचाने को बैंक और UPI ऐप्स ने न‍िकाला तगड़ा आइड‍िया, जानें

नई द‍िल्‍ली. देश में साइबर धोखाधड़ी और पहचान चोरी के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए, दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक नया मोबाइल नंबर वैलिडेशन (MNV) प्लेटफॉर्म प्रस्तावित किया है. ET Telecom की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म बैंकों और फिनटेक कंपनियों को टेलीकॉम ऑपरेटरों के साथ सीधे मोबाइल नंबरों की मालिकाना हक की पुष्टि करने की सुविधा देगा. इस पहल का उद्देश्य धोखाधड़ी या “म्यूल” खातों में मोबाइल नंबरों के उपयोग को रोकना है, जिनका उपयोग साइबर धोखाधड़ी के बाद पैसे निकालने के लिए किया जाता है.

संसदीय स्थायी समिति का समर्थनइस पहल को गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति का समर्थन भी मिला है. इस प्लेटफॉर्म के अलावा, समिति चाहती है कि टेलीकॉम सिम सब्सक्राइबर वेरिफिकेशन के लिए AI-पावर्ड फेसियल रिकग्निशन जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाए ताकि सिम जारी करते समय पहचान धोखाधड़ी को रोका जा सके.

टेलीकॉम साइबर सुरक्षा नियमों में संशोधनवर्तमान में, कोई ऐसा सिस्टम नहीं है जो यह सुनिश्चित कर सके कि बैंक खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर वास्तव में खाता धारक का है. यह नया सिस्टम बैंकों और फिनटेक ऑपरेटरों को टेलीकॉम प्रदाताओं के साथ सीधे फोन नंबरों की मालिकाना हक की पुष्टि करने की सुविधा देगा. इसे संभव बनाने के लिए, DoT ने टेलीकॉम साइबर सुरक्षा नियमों में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया है.

गोपनीयता कार्यकर्ता नाखुशहालांकि, गोपनीयता कार्यकर्ता इस कदम से खुश नहीं हैं. उनका मानना है कि ये नियम अत्यधिक हैं और उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता को खतरे में डाल सकते हैं. इसके बावजूद, संसदीय समिति ने धोखाधड़ी को रोकने के लिए गोपनीयता सुरक्षा उपायों के साथ सिस्टम को जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह किया है.

निर्दोष उपयोगकर्ताओं पर प्रभावएक बार लागू होने के बाद, यह सिस्टम उन निर्दोष उपयोगकर्ताओं को प्रभावित कर सकता है जिन्होंने अपने बैंक खातों में माता-पिता, भाई-बहन या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर सिम कार्ड पंजीकृत किया है. ऐसे यूजर्स को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हमें सिस्टम लागू होने के बाद ही अधिक स्पष्टता मिलेगी.

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New Delhi,Delhi

First Published :

September 11, 2025, 20:48 IST

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