कोटा की नर्सरियों में सर्दियों की रौनक, अफ्रीकन और फ्रेंच गेंदा की बढ़ी मांग, जानें ठंड में पौधों की देखभाल कैसे करें

देवेंद्र सेन/कोटा: सर्दियों का मौसम आते ही शहर की नर्सरियों में फिर से रौनक लौट आई है. पिछले एक सप्ताह से सीजनल फूलों की बिक्री में लगातार तेजी देखी जा रही है. इस समय सबसे ज्यादा मांग अफ्रीकन गेंदा, फ्रेंच गेंदा, गुलदावरी, पिटोनिया और डेंथेस जैसे पौधों की बनी हुई है. नर्सरी संचालकों के अनुसार, ठंड में पौधों की ग्रोथ भले ही सामान्य दिनों की तुलना में धीमी रहती है, लेकिन सही देखभाल और पौष्टिक खाद के उपयोग से इन्हें पूरे मौसम हरा-भरा रखा जा सकता है.
सर्दियों में सबसे बड़ी चुनौती पर्याप्त धूप की कमी होती है. ठंड के दिनों में सूरज की रोशनी कमजोर पड़ जाती है और मिट्टी ठंडी हो जाती है, जिससे पौधों की जड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है. ऐसे में विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि पौधों को रोजाना कम से कम 4–6 घंटे सुबह की हल्की धूप जरूर मिले. जिन घरों में ज्यादा धूप नहीं आती, वहां पौधों को ऐसे स्थान पर शिफ्ट किया जाता है जहां सुबह की किरणें थोड़ी देर के लिए ही सही, लेकिन सीधे पहुंचती हों. नर्सरी संचालकों के अनुसार, धूप न मिलने पर पौधों के फूल आने की क्षमता भी प्रभावित होती है.
पानी और खाद का सही समय पर उपयोग जरूरी
सर्द मौसम में पानी देने का तरीका पौधों की सेहत को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. जरूरत से ज्यादा पानी देने पर मिट्टी ज्यादा समय तक गीली रहती है और जड़ें सड़ने लगती है. इसलिए पानी सिर्फ तभी दें जब मिट्टी ऊपर से 1-2 इंच तक सूखी महसूस हो. पानी सुबह के समय देना सबसे अच्छा माना जाता है, ताकि मिट्टी दिनभर हल्की गर्म बनी रहे. खाद की बात करें तो इस मौसम में भारी केमिकल खाद से परहेज करना चाहिए.
कोटा के नर्सरियों में इस समय वर्मीकम्पोस्ट, नीम खली, सरसों खली का पानी, नीम ऑयल और हल्के जैविक पोषक तत्वों की डिमांड सबसे ज्यादा है. कई माली बताते हैं कि डीएपी के 10-15 दाने एक पौधे में डालने से फूल आने की क्षमता काफी बढ़ जाती है. वहीं गमले को जमीन पर सीधे न रखकर ईंट या लकड़ी के स्टैंड पर रखने से मिट्टी जल्दी ठंडी नहीं होती और जड़ों का विकास बेहतर होता है.
पौधों को रात की ठंडी हवाओं से बचाएं
कोटा के कई इलाकों में रात का तापमान तेजी से गिर रहा है, जिसकी वजह से लोग अपने पौधों को हल्की प्लास्टिक शीट, गननी बैग या पन्नी से कवर करने लगे हैं. इससे पौधे पाला और तेज ठंड से सुरक्षित रहते हैं. सूखी, मरी या पीली पत्तियों को हटाना भी जरूरी है, ताकि पौधा अपनी ऊर्जा नई शाखाओं और फूलों पर लगा सके. सप्ताह में एक बार मिट्टी को हल्का ढीला करने से जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है और पौधों की ग्रोथ बढ़ जाती है.
अफ्रीकन गेंदा अपने बड़े, घने और गोल पीले-नारंगी फूलों के कारण सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है, खासकर पूजा और मालाओं में उपयोग के लिए. वहीं, फ्रेंच गेंदा छोटे आकार के रंग-बिरंगे फूलों और तेज सुगंध के कारण सजावटी गार्डन में लोगों की पहली पसंद बना हुआ है. नर्सरी संचालकों का कहना है कि सर्दियों के इस शुरुआती दौर में पौधों की बिक्री में पिछले साल की तुलना में अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.



