सिलाई सिखाने आई महिला से हो गया प्यार, दिव्यांग के जीवन में ऐसे आई बहार
रिपोर्ट-जुगल कलाल
डूंगरपुर. कुछ समय पहले तक लोगों के लिए बोझ बने रहे दिव्यांग अब सिलाई सीखकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. ये दिव्यांग सिलाई सीखकर समाज की मुख्यधारा में भी शामिल हो रहे हैं. इन दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनकी मदद कर रहा डूंगरपुर का आपणो संस्थान.
700 दिव्यांग यहां ट्रेनिंग पाकर हुए आत्मनिर्भर
डूंगरपुर शहर के नवाडेरा स्थित आपणो संस्थान दिव्यांगों की ज़िंदगी में नई उमंग व ऊर्जा भरने का काम कर रहा है. आपणो संस्थान में दिव्यांग व्यक्तियों को सिलाई सिखाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यहां दिव्यांग व्यक्तियों को प्रशिक्षण के बाद सिलाई मशीन भी प्रदान की जाती है, जिससे दिव्यांग सिलाई कर आत्मनिर्भर बन सके. अभी संस्थान में 15 दिव्यांग पुरुषों को सिलाई की ट्रेनिंग दी जा रही है. वहीं, आपणो संस्थान अभी तक 700 दिव्यांगों को सिलाई की ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना चुका है.
राकेश को सिलाई सीखते-सीखते मिला जीवन साथी
शीशोद गांव के रहने वाले राकेश गमेती बताते हैं कि 2017 में वो आपणो संस्थान से जुड़े तब सिलाई सिखाने आई लीला से उनकी दोस्ती हुई, आगे चलकर उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई. 2021 में दोनों की शादी हो गई. लीला भी दिव्यांग है, आज वो कपड़े सीलने का काम करती हैं. अब राकेश भी सिलाई का काम सीख रहे हैं. मशीन चलाना सीख कर राकेश पत्नी के साथ सिलाई का काम करेंगे. वहीं नरेश परमार ने बताया कि 2 महीने पहले अख़बार में देखा कि आपणो संस्थान दिव्यांग को सिलाई मशीन की ट्रेनिंग देता है. इसके बाद वो संस्थान पहुंचे और सिलाई की ट्रेनिंग ले रहे हैं.
आपणो संस्थान के सचिव संतोष कटारा ख़ुद भी एक दिव्यांग हैं. संतोष बताते हैं कि संस्थान में अब तक 700 दिव्यांग को सिलाई मशीन की ट्रेनिंग दी जा चुकी है. वर्तमान में 15 दिव्यांग पुरुषों को ट्रेनिंग दी जा रही है. बाद में इन को आजीविका की सहायता से 2 हज़ार रुपए दिए जाएंगे, साथ ही सिलाई मशीन भी प्रदान की जाएगी. जिससे वे अपनी दुकान खोल सकें.
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FIRST PUBLISHED : December 27, 2022, 08:11 IST