A farmer’s income from a garden of 150 feet length and 50 feet width is up to Rs 2.50 lakh every year – News18 हिंदी

रिपोर्ट- कालू राम जाट
दौसा. आम तौर पर हम लोग बेर को हल्के में लेते हैं. ऐसा जंगली पेड़ जो कहीं भी उग आता है. कभी खेत की मेढ़ पर तो कहीं सड़क किनारे. सभी अपने बगीचे की किसी क्यारी में अपने आप कहीं से भी उगने लगता है. जहां किसी ने गुठली फेंकी वहीं बेर का पेड़ देख लो. न खाद पानी की जरूरत न देखभाल की. लेकिन अगर बेर को ज़रा सा प्यार और देखभाल देकर देखिए, उसकी मिट्टी भी सोना उगलने लगेगी.
दौसा से करीब 40 किलोमीटर धनाऊ कला की ढाणी है. यहां एक किसान ने ऐसा ही प्रयोग बेर के साथ किया. उसने बेर को सहेजा और अपने खेत में खेती शुरू कर दी. बेर ने भी किसान का दुलार बेकार नहीं जाने दिया. आज उस किसान के लिए बेर की खेती मुनाफे का सौदा बन गयी है.
कम लागत ज्यादा मुनाफा
इस किसान का नाम है रमेशचन्द्र. उनका 150 फीट लंबा और 50 फीट चौड़ा खेत है. रमेशन ने 10 साल पहले बेर का बगीचा लगाया था. उस वक्त उस पर 30 से 40 हजार रुपए की लागत आई थी. दो साल इंतज़ार के बाद खट-मिट्ठे बेर फलने लगे. बेर भले ही खट्टे हों लेकिन इसकी फसल ने रमेशचंद्र को बेहद मीठा फल दे दिया. आप यकीन नहीं करेंगे किसान को ढाई लाख रुपए तक का मुनाफा हो गया. बस वो दिन और आज का दिन रमेशचंद्र ने मुड़कर नहीं देखा. उनका मुनाफा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.
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सिर्फ इतना सा खर्च
रमेशचंद्र को इन पेड़ों की देखरेख में सिर्फ कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करना पड़ता है. इस पर सिर्फ 50 हजार रुपए का खर्च आता है. किसान को इस खेत में ज्यादा लागत भी नहीं लगती है और अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है.
सुनिए किसान की सलाह
किसान रमेशचन्द्र ने बताया उनका यह छोटा सा खेत है. इसमें पहले वो गेहूं की खेती करते थे. लेकिन गेहूं की फसल में देखभाल, मेहनत और खर्च बहुत ज्यादा है और मुनाफा बहुत कम. ऊपर से अगर मौसम बिगड़ जाए तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाता था. रमेशचंद्र काफी परेशान रहते थे. लगातार घाटा देखते हुए उन्होंने कुछ अलग करने का विचार किया. कई खेत और बगीचे देखे. मुझे बेर का बगीचा भा गया. तय कर लिया कि अब बेर की खेती करेंगे. बस तब से बेर की खेती कर रहा हूं. इसकी देखभाल पर खर्च आता है सिर्फ 50 हजार रुपए और मुनाफा हो जाता है ढाई लाख रुपए. रमेशचंद्र सलाह देते हैं कि हर किसान को इस तरह की खेती करनी चाहिए जिससे लागत कम लगे और मुनाफा ज्यादा रहे.
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FIRST PUBLISHED : January 29, 2024, 12:58 IST