Rajasthan

After looting Shivalinga from Rudramal in Gujarat Alauddin khilji had to face defeat here

दर्शन शर्मा/सिरोही :- सिरोही-जालोर के आराध्य देव सारणेश्वर महादेव मंदिर में हर वर्ष लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं. सिरनवा पर्वत के पश्चिम में किले जैसा दिखाई देने वाला ये मंदिर आस्था का केंद्र है. यहां विराजमान सारणेश्वर महादेव सिरोही देवडा-चौहान राजवंश के ईष्टदेव के रूप में पूजे जाते हैं. वर्तमान में सिरोही देवस्थान बोर्ड द्वारा मंदिर का रखरखाव किया जाता है. मुख्य मंदिर के अलावा आसपास का क्षेत्र चारों ओर ऊंची दीवारों, चौकियों के साथ घिरा हुआ है. मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर तीन विशालकाय हाथी हैं, जिन्हें आकर्षक रूप से सजाया है. इनमें प्रवेश द्वार पर दो हाथी खड़े हैं, जिन पर हनुमान व गणेश के विग्रह हैं.

मंदिर के बाहर मंदाकिनी झील के किनारे सिरोही के महाराजा की कलात्मक व शानदार छतरियां हैं. मुख्य मंदिर के मंडप में अठारह स्तंभ है. मंडप में नृत्य की मुद्रा में पत्थर की 12 मूर्तियां हैं. मुख्य मंदिर के सामने चंदवा में नंदी की दो मूर्तियां हैं और पास में एक त्रिशूल है. मंदिर के पास बैजनाथ महादेव का मंदिर है. मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्तियां भी हैं, जिनमें 108 शिवलिंग है.

रंग कुंड में प्रकट होती हैं माता गंगा
महाशिवरात्रि को रात्रि में मंदिर में बने रंग कुंड में माता गंगा प्रकट होती हैं. इसके बाद सवा लाख घड़ों में गंगाजल लेकर त्रिकालदर्शी अभिषेक किया जाता है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस अभिषेक के पानी से कई प्रकार के चर्म रोग भी दूर होते हैं.

खिलजी को हराकर रुद्रमाल के शिवलिंग को किया स्थापितमंदिर का इतिहास गौरवशाली रहा है. सारणेश्वर के ज्योतिषाचार्य व अशोक पंडित लोकल18 को बताते हैं कि 1298 ईस्वी में दिल्ली के शक्तिशाली सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने सोलंकी साम्राज्य को समाप्त कर सिद्धपुर स्थित सोलंकी सम्राटों द्वारा सात मंजिला विशाल रूद्रमाल के मंदिर को ध्वस्त किया. इसमें स्थापित शिवलिंग को हाथी के पैर के पीछे घसीटता हुआ खिलजी दिल्ली जा रहा था. सिरोही के महाराव विजयराज को इस बात की सूचना मिलने पर उन्होंने अपने भतीजे जालोर के कान्हडदेव सोनीगरा व अपने समधी मेवाड़ के महाराणा रतन सिंह को पत्र भेजकर बुलाया.

सिरोही, जालोर और मेवाड़ की राजपूत सेनाओं ने मिलकर खिलजी का पीछा कर भीषण युद्ध में जीत हासिल की. दीपावली के दिन युद्ध में जीत के बाद सिरोही नरेश महाराव विजयराज ने खिलजी की सेना से रूद्रमाल के शिवलिंग को हासिल कर उसे सिरणवा पहाड़ पर स्थापित किया.

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दूसरी बार हुए युद्ध में भी हारा खिलजीयुद्ध के 10 महीने बाद एक विशाल सेना को तैयार कर अपना बदला लेने, क्षारणेश्वर के शिवलिंग को तोड़ने व सिरोही नरेश का सिर काटने का संकल्प लेकर खिलजी ने सन 1299 ईस्वी के भाद्र माह में सिरोही पर आक्रमण किया था. तब सिरोही की जनता ने सिरोही नरेश से विनती की थी कि धर्म की रक्षा के लिए वे सब मर मिटने को तैयार हैं. भीषण युद्ध में सिरणवा पहाड़ के हर पत्थर व पेड़ के पीछे खड़े होकर रेबारी समाज के लोगों ने गोफन के पत्थरों से सेना पर हमला किया था. इस भीषण हमले से खिलजी की सेना को हारना पड़ा. देवझुलनी एकादशी को हुए इस युद्ध के बाद इसी दिन मन्दिर का वार्षिक मेला आयोजित होता है. इस एक दिन के लिए मन्दिर का चार्ज रेबारी समाज को सौंप दिया जाता है.

Tags: Hindu Temple, Local18, Rajasthan news, Sirohi news

FIRST PUBLISHED : May 17, 2024, 15:04 IST

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