ऑडी, बिंगा, व्हिसपरिंग डेथ और चीकू..जानें दिग्गज क्रिकेटरों के निकनेम के पीछे की रोचक कहानी
नई दिल्ली. क्रिकेट या खेलों की दुनिया के प्लेयर्स को कई बार सहयोगी और फैंस उनके ‘निकनेम’ से पुकारते हैं. कभी-कभी तो प्लेयर्स के यह ‘शॉर्टनेम’ इतनी लोकप्रियता हासिल कर लेते हैं कि लोग मूल नाम ही भूलने लगते हैं. सामान्यत: किसी खिलाड़ी विशेष का नाम बेहद लंबा होने और या किसी घटना विशेष से जुड़ाव के चलते यह ‘निकनेम’ दिए जाते हैं. उदाहरण के तौर पर टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर वांगीपुरप्पु वेंकट साई लक्ष्मण का नाम बेहद लंबा था. अपने ‘आकार’ के कारण यह न तो स्कोरबोर्ड पर लिखने और न ही पुकारे जाने के लिहाज से सुविधाजनक था, ऐसे में उन्हें वीवीएस लक्ष्मण, वीवीएस या केवल ‘लक्ष्मण’ कहा गया. इसी तरह भारत के पूर्व तेज गेंदबाज रुद्रप्रताप सिंह को आरपी सिंह या केवल ‘आरपी’और महेंद्र सिंह धोनी को एमएस धोनी, एमएसडी या माही नाम से पुकारा जाने लगा.
इससे इतर कुछ प्लेयर्स को मिले निकनेम इनसे जुड़ी किसी घटना की भी याद दिलाते हैं. मसलन ऑस्ट्रेलिया के स्टीव वॉ और मार्क वॉ जुड़वा भाई हैं. चूंकि मार्क उम्र में स्टीव से कुछ सेकंड छोटे हैं, ऐसे में उन्हें ‘जूनियर’ नाम मिल गया. उनके दो अन्य निकनेम ‘अफगान’ और ‘ऑडी’ हैं. मार्क वॉ को मिले इन दोनों नामों, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ली को ‘बिंगा’ और वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग को मिले ‘व्हिसपरिंग डेथ’ के निकनेम के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है.
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लगातार चार ‘डक’ के कारण मिला ऑडी नामस्टीव वॉ (Steve Waugh) को साथी प्लेयर ‘टुग्गा’ (Tugga) नाम से बुलाते थे. टफ क्रिकेट खेलने के कारण उन्हें यह नाम मिला था. ‘टुग्गा’ वास्तव में रस्साकशी (tug of war) का खेल है. उनके जुड़वां भाई मार्क (Mark Waugh) को मिले निकनेम ‘अफगान’ और ‘ऑडी’ के पीछे की वजह दिलचस्प है. स्टीव को दिसंबर 1985 में इंटरनेशनल डेब्यू का मौका मिल गया जबकि मार्क को प्रतिभावान होने के बावजूद इसके लिए 1988 तक इंतजार करना पड़ा. एक समय तो लगने लगा था कि मार्क के लिए समय तेजी से निकलता जा रहा है और वे ‘हारी बाजी’ लड़ रहे थे. अफगानिस्तान में उस समय सोवियत संघ (अब रूस) की सेना मुजाहिदीनों के खिलाफ जंग लड़ रही थी. अफगानिस्तान के बारे में यह धारणा आम है कि यहां जो भी सेना जंग के लिए जाती है जटिल भौगोलिक स्थिति के कारण उसे हार मिलती है. उस दौर में मार्क वॉ की ऑस्ट्रेलियाई टीम के एंट्री की दावेदारी को भी ‘हारी बाजी’ की तरह लिया गया और उन्हें ‘अफगान’ नाम मिला. इसी तरह अगस्त-सितंबर 1992 में कोलंबो और मोरातुवा में हुए लगातार दो टेस्ट में मार्क दोनों पारियों में खाता खाता नहीं खोल पाए. दोनों टेस्ट में उनका स्कोर रहा-0, 0, 0, 0. चूंकि ऑडी के लोगो में चार शून्य (0) गुंथे हुए हैं. चार ‘डक’ के लिए मार्क को ‘ऑडी’निकनेम मिला.
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ब्रेट ली को इसलिए कहा गया गया ‘बिंगा’
शोएब अख्तर के बाद दुनिया के दूसरे सबसे तेज गेंदबाज ऑस्ट्रेलिया के ब्रेट ली (Brett Lee) को ‘बिंगा’ का पेटनेम मिला था. यह नेम मिलने के पीछे की कहानी भी रोचक है. ब्रेट ली ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स प्रांत से आते हैं जहां इलेक्ट्रिक कंपनी ‘बिंग ली (Bing Lee)’ के कई स्टोर हैं. ऐसे में ब्रेट को पहले ‘बिंग’ कहा गया और बाद में उन्हें ‘बिंगा’ कहा जाने लगा. ब्रेट ली को एक बार उनके कप्तान स्टीव वॉ ने अनजाने में निकनेम ‘ओसवाल्ड’ दिया था. स्टीव एक मैच का बैटिंग ऑर्डर पढ़ रहे थे जिसमें शेन ली (ब्रेट ली के क्रिकेटर भाई) और इयान हार्वे के बाद ब्रेट को बैटिंग के लिए आना था. ऐसे में स्टीव ने बैटिंग ऑर्डर को ‘ली, हार्वे, ली’ के बजाय ‘ली, हार्वे, ओसवाल्ड’ पढ़ा. फिर क्या था ब्रेट ली को एक और निकनेम ‘ओसवाल्ड’ मिल गया. बता दें, वर्ष 1963 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या ली हार्वे ओसवाल्ड नाम के शख्स ने की थी. इसी तरह ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज एंड्रयू साइमंड्स (स्वर्गीय) खेल जगत में रॉय नाम से पॉपुलर थे. बचपन के कोच ने पहली बार उन्हें इस नाम से बुलाया था. दरअसल साइमंड्स देखने में पूर्व बास्केटबॉल खिलाड़ी लेरॉय लॉगगिंस की तरह थे. इसी वजह से उन्हें यह निकनेम मिला.
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होल्डिंग को डिकी वर्ड ने कहा था ‘व्हिसपरिंग डेथ‘
माइकल होल्डिंग (Michael Holding) तेज गेंदबाजी के कारण दुनियाभर के नामी बैटरों के खौफ का पर्याय थे. उनका बॉलिंग एक्शन एकदम सहज था. इस नेचुरल एक्शन के कारण लंबे कद के होल्डिंग की गेंदों में जबर्दस्त गति होती थी. मशहूर अंपायर डिकी वर्ड ने स्मूद और शांत रन अप के लिए होल्डिंग को ‘व्हिस्परिंग डेथ’ (धीरे-धीरे आने वाली मौत) का निकनेम दिया था. होल्डिंग ने अपनी आत्मकथा का नाम भी ‘व्हिस्परिंग डेथ’ ही रखा. होल्डिंग को इसके अलावा ‘माइकी’ नाम से भी पुकारा जाता था.
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विराट को कोच अजीत चौधरी से मिला था निकनेम ‘चीकू’
टीम इंडिया के स्टार बैटर विराट कोहली (Virat Kohli) को उनके शुरुआती दिनों में निकनेम ‘चीकू’ मिला था. ‘चीकू’ दरअसल पुराने समय की बाल पत्रिका चंपक के पॉपुलर खरगोश के कैरेक्टर का नाम था. विराट ने एक कार्यक्रम में उन्हें यह नाम मिलने के पीछे की रोचक कहानी सुनाई थी. विराट ने बताया था कि घरेलू क्रिकेट के दिनों में उन्होंने एक बार ऐसी हेयर कटिंग कराई थी कि उनके कान बड़े-बड़े नजर आने लगे थे. विराट के उस समय के असिस्टेंट कोच अजीत चौधरी को यह कान, कॉमिक कैरेक्टर चीकू के जैसे लगे थे. बस फिर क्या था, उनके कोच और टीम के साथी उन्हें ‘चीकू’ नाम से पुकारने लगे. विराट के टीम इंडिया में आने के बाद यह नाम बहुत पॉपुलर हो गया. विराट ने एक बार बताया था, ‘फील्ड सेट करते समय एमएस धोनी मुझे चीकू कहकर पुकारते थे- चीकू थोड़ा आगे आजा, चीकू थोड़ा साइड में हो जा. ऐसे में फैंस के बीच भी ‘चीकू’ नाम पॉपुलर होता गया.
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कुंबले को नवजोत सिद्धू ने दिया था ‘जंबो’ नाम
अनिल कुंबले (Anil Kumble) टेस्ट क्रिकेट में भारत की ओर से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले बॉलर हैं. लेगब्रेक बॉलर कुंबले ने टेस्ट में 619 विकेट लेने के बाद वनडे में भी 337 विकेट हासिल किए. कुंबले की कई गेंदें अच्छी खासी तेज होती थीं. कर्नाटक का यह बॉलर काफी उछाल हासिल करने में भी सफल रहता था. इसी कारण उन्हें निकनेम ‘जंबो’ मिला था.अनिल कुंबले ने एक बार बातचीत के दौरान बताया था कि उन्हें पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने यह नाम दिया था. कुंबले ने बताया था, ‘मैं ईरानी ट्रॉफी के एक मैच में फिराज शाह कोटला मैदान पर खेल रहा था जबकि सिद्धू मिडऑन पर थे. मेरी गेंद उछलती हुई तेजी से निकली तो उन्होंने कहा-जंबो जेट. बाद में यह ‘जंबो जेट’ से ‘जंबो’ हो गया और मुझे टीम के सहयोगी इसी नाम से पुकारने लगे.’
कुछ अन्य मशहूर क्रिकेटरों के निकनेमशाहिद अफरीदी : बूम-बूम अफरीदी, लालाजेम्स एंडरसन : बर्नले लारा, बर्नले एक्सप्रेसइयान बॉथम : बीफीमाइकल क्लार्क : पप, क्लार्कीएलिस्टर कुक : शेफ, कैप्टन कुकअरविंद डिसिल्वा : मैड मैक्सएलेन डोनाल्ड : व्हाइट लाइटनिंगजोएल गार्नर : बिग बर्डजेसन गिलेस्पी: डिजीक्लाइव लॉयड : सुपर कैट
Tags: Anil Kumble, Brett lee, Navjot singh sidhu, Steve Waugh, Virat Kohli
FIRST PUBLISHED : May 20, 2024, 18:40 IST