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प्रॉपर्टी में अब दिल्ली-मुंबई नहीं इन छोटे शहरों का होगा राज, एक्सप्रेसवे बनेंगे रीढ़, बाजार पर आई सबसे बड़ी रिपोर्ट! these tier 2 cities will rule the property market soon leaving behind delhi mumbai metro cities expressways will become the backbone of real estate report

Tier-2 Cities will rule property market in future: अगर आप भी सोचते हैं कि घर खरीदना अब सिर्फ बड़े शहरों का खेल है, तो यह रिपोर्ट आपका नजरिया बदल देगी. आने वाले दो दशकों में भारत का रियल एस्टेट सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनने जा रहा है. कोलियर्स–CII की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2047 तक भारत का रियल एस्टेट मार्केट 5 से 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. फिलहाल यह आंकड़ा करीब 0.3 ट्रिलियन डॉलर है. रिपोर्ट बताती है कि 2047 तक यह क्षेत्र भारत की जीडीपी में 14 से 20 प्रतिशत तक योगदान दे सकता है. यानी आने वाले वक्त में रियल एस्टेट सिर्फ घर बनाने का नहीं, बल्कि देश बनाने का सबसे बड़ा जरिया बनेगा और इसका फायदा केवल दिल्ली या मुंबई जैसे मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि लखनऊ, जयपुर, देहरादून, चंडीगढ़ और इंदौर जैसे शहरों में देखने को मिलेगा.

एक्सप्रेसवे और इंफ्रास्ट्रक्चर बनेंगे रियल एस्टेट ग्रोथ के असली हीरोकेंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की उप सचिव हरलीन कौर का कहना है कि भारत में एक्सप्रेसवे और औद्योगिक कॉरिडोर सिर्फ सड़कों का जाल नहीं हैं, बल्कि ये विकास के गलियारे हैं. इनसे देश की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र मेट्रो शहरों से निकलकर टियर-2 और टियर-3 शहरों की ओर बढ़ रहा है. आने वाले समय में वही शहर सबसे तेज़ी से आगे बढ़ेंगे, जो कनेक्टिविटी और औद्योगिक ढांचे के मामले में तैयार होंगे.

अब मेट्रो से आगे बढ़ रही रियल एस्टेट की कहानी
रियल एस्टेट डेवलपर्स का मानना है कि अब भारत का ग्रोथ इंजन दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु तक सीमित नहीं रहेगा. एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट, इंडस्ट्रियल बेल्ट और नए स्मार्ट शहरों की वजह से निवेशकों की नजर अब लखनऊ, जयपुर, देहरादून, इंदौर, चंडीगढ़ जैसे शहरों पर है.

एसकेए ग्रुप के डायरेक्टर, संजय शर्मा ने कहा कि भारत में रियल एस्टेट सेक्टर अब केवल मेट्रो शहरों का खेल नहीं रहा. बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, सरकारी सुधारों और बढ़ती आय के चलते देशभर में हाउसिंग की मांग बढ़ रही है. आने वाले सालों में ग्रोथ का असली इंजन वही शहर बनेंगे, जहां कनेक्टिविटी मजबूत है और लोगों की जीवनशैली में तेजी से बदलाव आ रहा है. यह रियल एस्टेट के लिए एक सुनहरा दौर है.

सिक्का ग्रुप के चेयरमैन हरविंदर सिंह सिक्का ने कहा सरकार की नीतियां और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश ने रियल एस्टेट सेक्टर को नया जीवन दिया है. हम जिस ग्रोथ को आज देख रहे हैं, वह केवल कीमतों की वृद्धि नहीं, बल्कि जीवनस्तर में सुधार की कहानी है. 2047 तक भारत के कई छोटे शहर वैश्विक स्तर की सुविधाएं देंगे, जहां लोग रहेंगे, काम करेंगे और निवेश करेंगे.

अंसल हाउसिंग के कुशाग्र अंसल ने कहा रियल एस्टेट अब केवल प्रॉपर्टी का कारोबार नहीं रहा, यह देश की आर्थिक दिशा तय करने वाला क्षेत्र बन चुका है. आने वाले समय में हाउसिंग, कमर्शियल और औद्योगिक सभी सेगमेंट में डिमांड बढ़ेगी. टियर-2 और टियर-3 शहरों में लग्ज़री हाउसिंग भी तेजी से पांव पसारेगी. वन ग्रुप के डायरेक्टर उदित जैन का कहना है कि 2047 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, और इस सफर में रियल एस्टेट प्रमुख भूमिका निभाएगा. बेहतर कनेक्टिविटी, ग्रीन हाउसिंग और टेक्नोलॉजी आधारित प्रोजेक्ट्स इस परिवर्तन की असली पहचान होंगे।

छोटे शहरों में बढ़ेगी रोजगार और निवेश की संभावनाएंरिपोर्ट बताती है कि आने वाले समय में छोटे शहर रोजगार और उद्योग के नए केंद्र बनेंगे. एक्सप्रेसवे और औद्योगिक कॉरिडोर ने इन शहरों को बड़े बाजारों से जोड़ दिया है, जिससे न केवल रियल एस्टेट, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और रिटेल जैसे सेक्टरों को भी जबरदस्त फायदा मिलेगा.

एक्सेंशिया इंफ्रा के डायरेक्टर मानित सेठी का कहना है कि टियर-2 शहरों में अब रियल एस्टेट को लेकर बहुत सकारात्मक माहौल देखने को मिल रहा है. बेहतर सड़क कनेक्टिविटी, एयरपोर्ट लिंक और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास ने इन शहरों को निवेश के नए केंद्र बना दिया है. देहरादून जैसे शहरों में पिछले कुछ सालों में हाउसिंग की मांग तेजी से बढ़ी है, क्योंकि लोग अब भीड़-भाड़ वाले मेट्रो शहरों से हटकर बेहतर जीवन गुणवत्ता की तलाश में हैं. आने वाले समय में ये शहर रियल एस्टेट ग्रोथ के बड़े इंजन साबित होंगे.

रिपोर्ट कहती है कि रियल एस्टेट के क्षेत्रों जैसे आवासीय, ऑफिस, खुदरा, औद्योगिक और वेयरहाउसिंग के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों के लिए आवास, को-लीविंग और डेटा सेंटर्स जैसे उभरते सेगमेंट्स में भी तेजी देखने को मिलेगी. इनमें से ज्यादातर रुझानों को सरकारी सुधारों, तेज़ शहरीकरण, जनसांख्यिकीय बदलाव, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और तकनीकी नवाचारों से समर्थन मिल रहा है.ये सभी कारक मिलकर एक गुणक प्रभाव (multiplier effect) पैदा कर रहे हैं, जो न केवल रोजगार बढ़ा रहे हैं, बल्कि रियल एस्टेट में संस्थागत निवेश को भी आकर्षित कर रहे हैं और देश भर में विकास के नए रास्ते खोल रहे हैं.

आवासीय क्षेत्र पर सबसे बड़ा असरतेज शहरीकरण और लोगों की बदलती जरूरतों का सबसे बड़ा असर आवासीय क्षेत्र पर देखने को मिलेगा. वहीं वाणिज्यिक और औद्योगिक सेक्टरों को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर-आधारित कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण से सीधा फायदा होगा.

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