Bikaner News: सात पीढ़ियों की विरासत, कीमत सुनकर हो जाएंगे हैरान, जानिए इसका इतिहास

बीकानेर: राजस्थान के बीकानेर में एक अनोखी धरोहर को आज भी आचार्य परिवार की पांचवीं पीढ़ी सहेजे हुए है. यह धरोहर है राजा-महाराजाओं और अंग्रेजों के काल की अनमोल सोने की ‘पीतांबरी’ (अंगवस्त्र), जो पीढ़ियों से विरासत के रूप में चली आ रही है. इसे केवल विशेष अवसरों, खासकर दीपावली के दिन, पूजा में उपयोग किया जाता है.
उमाशंकर आचार्य की पत्नी भारती आचार्य बताती हैं कि यह पीतांबरी करीब 150 साल पुरानी है, जिसमें सोने के तार का बारीक काम किया गया है. उनका परिवार इसे दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के दौरान खास सम्मान के साथ पहनता या पूजा में पास रखता है. भारती जी के अनुसार, यह बहुमूल्य अंगवस्त्र उनके ससुर के पड़दादा तोलाराम जी आचार्य को अंग्रेजों ने उनकी ईमानदारी और सेवा के प्रशंसा-चिह्न के रूप में भेंट की थी.
वंदेमातरम और ‘सुबंधु’ जैसे शब्द बंगाली भाषा में अंकित हैंइस पीतांबरी पर सोने के तार से ‘वन्देमातरम’ और ‘सुबंधु’ जैसे शब्द बंगाली भाषा में अंकित हैं, जो इसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से और भी अनमोल बनाते हैं. भारती बताती हैं कि समय के साथ इस धरोहर का कपड़ा कुछ कमजोर हो चुका है, लेकिन इसके महत्व और महत्ता में कोई कमी नहीं आई है. आज के बाजार में इसकी कीमत लाखों में आंकी जाती है, परंतु उनके लिए यह अमूल्य विरासत है, जिसे वे संभालकर आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना चाहती हैं.
त्योहारों के अलावा परिवार की शादियों में भी इसे निकाल कर उपयोग किया जाता है. भारती जी के अनुसार, यह पीतांबरी उनकी सातवीं पीढ़ी तक विरासत में संजोई गई है, और वे स्वयं को सौभाग्यशाली मानती हैं कि उनके पास यह अनमोल धरोहर है. दीपावली के शुभ अवसर पर इस अंगवस्त्र को पहनना और पूजा में रखना उनके लिए विशेष महत्त्व रखता है, जो पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखे हुए है.
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FIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 11:56 IST