बवासीर की 3 बीमारियों के बारे में जानते हैं आप? क्या होता है पाइल्स, फिशर और फिस्टुला में अंतर, क्या है इनका सटीक इलाज

Difference Between Piles Fissure and Fistula: पाइल्स या बवासीर नसों से संबंधित बीमारी है. मेडिकल भाषा में इसे हेमेरायड कहा जाता है. इसमें खून की जो शिराएं होती हैं उसमें इंफ्लामेशन या सूजन हो जाती है. इससे शिराएं फूल जाती है. इसमें बहुत दर्द होता है. यह बहुत खतरनाक बीमारी होती है. इससे लोगों की प्रोडक्टिविटी पर असर पड़ता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बवासीर जैसी तीन बीमारियां होती है. लोगों को इन तीनों में से कोई एक हो सकती है या तीनों एक साथ हो सकती है. इसलिए शुरुआत में ही इसका इलाज कराना चाहिए. अगर इसे छोड़ दिया जाए तो यह बहुत दर्दनाक और गंभीर हो जाता है. इसी विषय को लेकर न्यूज 18 ने फोर्टिस अस्पताल, फरीदाबाद के सर्जन डॉ. बीडी पाठक से बात की.
क्या होता है पाइल्स
फोर्टिस अस्पताल फरीदाबाद में सर्जन डॉ. बीडी पाठक ने बताया कि पाइल्स या हेमोराइड या बवासीर ये तीनों एक ही बीमारी है. इस बीमारी में मलद्वार के सबसे निचले हिस्से यानी लोअसर रेक्टम की शिराओं (veins) में सूजन हो जाती है. इससे शिराएं फूल जाती है. यह रेक्टम के थोड़ा उपर भी हो सकता है. पाइल्स कई तरह से हो सकता है. अगर यह मलद्वार के थोड़ा अंदर है तो शौच करने के दौरान दर्द नहीं करता. इसमें टॉयलेट के समय थोड़ा ब्लड भी निकलता है. लेकिन अगर यह पाइल्स आगे बढ़ गया तो इससे प्रोलेप्स्ड हो जाता है और इसमें दर्द भी बहुत करता है. इसी तरह यदि पाइल्स यानी शिराएं मलद्वार के बाहर स्किन पर फूल गई है तो इसमें दर्द भी करेगा और खुजली भी होगी. इसके अलावा खून भी निकलेगा. यह असहज स्थिति हो जाती है. वहीं अगर अंदरुनी पाइल्स या शिराओं में खून का थक्का बन गया है तो यह बहुत गंभीर पाइल्स है और इसमें बहुत ज्यादा दर्द होता है और सामने सूजन हो जाती है और मलद्वार के पास गांठ जैसा बनने लगता है.
क्या होता है फिशर
फिशर का मतलब होता है दरार. दरअसल, मलद्वार के पास पतला और मुलायम टिशू होता है. यह टिशू फट जाता है या इसमें घाव हो जाता है. इस बीमारी में बहुत अधिक दर्द होता है. इसमें शौच के दौरान भी दर्द करता है और शौच हो जाने के 2-3 घंटे तक दर्द करता रहता है. इसे भगंदर भी कहा जाता है. शौच के दौरान गहरा लाल रंग का खून निकल सकता है. इस घाव को कोई भी देख सकता है. सामान्य तौर पर दवा से या भोजन में फाइबर कंटेंट बढ़ाने से फीसर ठीक हो जाता है.
फिस्टुला की बीमारी क्या है
फिस्टुला यानी भगंदर की बीमारी में मलद्वार के अंदरुनी हिस्से से लेकर बाहर तक एक पतली सुरंग की तरह बन जाती है. इसमें स्किन में छेद हो जाता है जो बाहर से फोड़े की तरह निकल जाता है. इससे पस निकलता रहता है. ज्यादातर फिस्टुला इंफेक्शन की वजह से होता है. फिस्टुला की बीमारी में मलद्वार के पास स्किन लाल दिखने लगता है और सूजन हो जाती है. वहीं मलद्वार के अंदरुनी हिस्से में दर्द करता रहता है. खासकर शौच के समय. इस बीमारी में बुखार भी लग सकता है.
क्या ये तीनों बीमारी एक साथ हो सकती है
डॉ. बीडी पाठक ने बताया कि आमतौर पर लोगों एक साथ इनमें से दो यानी बवासीर और फीसर या बवासीर या फिस्टुला या फिस्टुला और फीसर या तीनों एक साथ हो सकती है. इसलिए इसमें डॉक्टर से दिखाना जरूरी है. सामान्य तौर पर अगर दो या तीनों एक साथ है तो शौच के समय रेक्टम में दर्द, खुजली, पस आदि की शिकायत हो सकती है. दर्द हल्का से बहुत तेज भी हो सकता है.
ये बीमारियां होती क्यों है
डॉ. बीडी पाठक ने बताया कि इन तीनों बीमारियों के पीछे सबसे बड़ा कारण हमारा खराब लाइफस्टाइल है. उन्होंने कहा कि हमारा सिस्टम माइंड से कंट्रोल होता है. हमारा माइंड कुदरत के साथ चलता है. जैसे सोने का जो समय है माइंड उसी समय पर बॉडी को सोने का संदेश देता है लेकिन जब इसमें व्यवधान होता है तो दिक्कतें होने लगती है. हमारा खान-पान भी खराब हो गया है. पाइल्स, फीसर, फिस्टुला न हो इसके लिए भोजन में फाइबर की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए. फाइबर का मतलब रेशदार हरी सब्जियों से हैं. लोग आजकल हरी सब्जियां कम खाते हैं जिसके कारण कॉन्स्टिपेशन की समस्या हो जाती है. कॉन्स्टिपेशन इन तीनों बीमारियों की बड़ी वजह है. वहीं टॉयलेट शीट पर बहुत देर तक बैठना, शौच में बहुत जोर लगाना, लगातार बहुत ज्यादा भारी उठाना, मोटापा आदि भी इसकी वजह सकता है.
इलाज क्या है
डॉ. बीडी पाठक ने बताया कि बवासीर हो या भगंदर हो या फिस्टुला. तीनों बीमारियों में हमें देखना होता है कि बीमारी कितनी आगे तक बढ़ी है. पहले हमलोग कुछ दवा और एहतियात बरतने की सलाह देते हैं. भोजन में फाइबर कंटेंट यानी हरी रेशेदार सब्जियों को खाने की सलाह देते हैं. कुछ दवा और क्रीम देते हैं. इसके साथ ही सीट्ज बाथ यानी गर्म पानी के भाप से सिकाई आदि की सलाह देते हैं. अगर 15 दिनों तक इससे आराम नहीं मिलता तो फिर ऑपरेशन कराना पड़ सकता है. डॉ. बीडी पाठक ने बताया कि इसकी मुख्य रूप से दो तकनीकी हैं. एक लेजर विधि से ऑपरेशन होता है और एक स्टेपलर विधि से होता है. दोनों में हेमोरायड को काटकर हटा दिया जाता है और अगर टिशू बढ़ गया है तो उसे भी हटा दिया जाता है.
इन बीमारियों से बचे कैसे
डॉ. बीडी पाठक ने बतायाइन तीनों बीमारियों से बचने का सबसे बेस्ट तरीका है आप अपना लाइफस्टाइल कुदरत के हिसाब से बदल लीजिए. जल्दी सो जाइए. पर्याप्त नींद लीजिए और हेल्दी खाना खाइए. भोजन में रोज हरी पत्तीदार सब्जियों और ताजे फल का सेवन कीजिए. खूब पानी पीजिए. हमेशा हाइड्रेट रहिए. पेट को साफ रखिए. अल्कोहल, सिगरेट, प्रोसेस्ड फूड का कम से कम इस्तेमाल कीजिए. रोजाना एक्सरसाइज कीजिए.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 14:20 IST