Heart Attack: हार्ट अटैक के बाद बचेगी जिंदगी या जाएगी जान, अब ‘मर्क’ बताएगा खतरे वाले 30 दिनों का लेखा-जोखा

Life Threat and Expectancy After Heart Attack: मान लीजिए, आपको हार्ट अटैक आया और किस्मत से आपकी जान बच गई. अब आपको कोई यह बता दे कि हार्ट अटैक से अगले 30 दिनों के भीतर आपकी मृत्यु हो जाएगी या आपका जीवन से खतरा किस हद तक टल गया है, तो कैसा रहेगा. आप यही कहेंगे कि यदि यह संभव हुआ तो किसी चमत्कार से कम नहीं होगा. तो साहिब, यह चमत्कार अब संभव हो गया है.
दरअसल, जीबी पंत हॉस्पिटल ने आईआईटी-दिल्ली के साथ मिलकर एक मर्क मॉडल (MERC Model) तैयार किया है, जो आपके शरीर के पैरामीटर्स को पढ़कर यह बता सकेगा कि आपकी ‘जीवन रेखा’ अब कितनी लंबी है. मर्क मॉडल को पूरी तरह से समझने के लिए न्यूज 18 हिंदी ने बात की जीबी पंत हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट और मर्क मॉडल के ‘जनक’ डॉ. मोहित गुप्ता से. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश….
प्रश्न: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित मर्क मॉडल की उपयोगिता को आप कैसे देखते हैं?
डॉ. मोहित गुप्ता: हमारे देश में हर साल 14 से 15 लाख लोगों को हार्ट अटैक की चपेट में आ रहे हैं और रोजाना करीब 1200 मरीजों की हार्ट अटैक के चलते मृत्यु हो जाती है. वहीं, हार्ट अटैक के ऐसे मरीज, जिनकी जान बचा ली गई है, अभी तक उनको लेकर भी यह पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता था कि अगले दिनों में उनके जीवन पर कोई खतरा नहीं आएगा या नहीं. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित मर्क मॉडल के आ जाने के बाद हमारे के लिए यह गणना करना बहुत आसान हो गया है कि हार्ट अटैक के बाद अगले दिनों में मरीज के जीवित रखने की संभावना कितनी है.
प्रश्न: मर्क मॉडल से पहले हार्ट अटैक के मरीज के जीवन और मृत्यु का आंकलन कितना संभव था?
डॉ. मोहित गुप्ता: ऐसा नहीं है कि हार्ट अटैक के बाद मृत्यु की संभावना आंकने वाले सोर्स हमारे पास नहीं थे. अमेरिका सहित कुछ अन्य देशों के सोर्स हमारे पास थे, जिनकी मदद हम हार्ट अटैक के बाद मरीज के जीवन की संभावना और मृत्यु की आशंका को आंक सकते थे. लेकिन, ये सभी विदेशी सोर्स भारतीय परिपेक्ष में बहुत अधिक कारगर नहीं थे, जिसकी एक बड़ी वजह सोर्स में इस्तेमाल किए गए पैरामीटर्स को माना जाता है. दरअसल, विदेशी सोर्स को बनाते समय जिन पैरामीटर्स का इस्तेमाल किया गया था, वह सभी विदेशी नागरिक और वहां की परिस्थितियों पर आधारित थे, जिनका तुलना हम भारतीय परिस्थितियों से बिल्कुल नहीं कर सकते हैं.
प्रश्न: मर्क मॉडल के खोज की शुरूआत कैसे-कब हुई और इस खोज का हिस्सा कौन-कौन बना?
डॉ. मोहित गुप्ता: करीब तीन साल पहले आईआईटी-दिल्ली के साथ मिलकर हमने एक स्टडी शुरू की. इस स्टडी में करीब 4000 मरीजों को शामिल किया गया और इनके करीब 135 पैरामीटर्स को रिकार्ड कर, उनकी लगातार मॉनीटर की. इस स्टडी में उन मरीजों को भी शामिल किया, जिनकी हार्ट अटैक से 30 दिनों के भीतर मृत्यु हो गई. स्टडी के दौरान, मरीज के हर इवेंट और पैटर्न को बेहद बारीकी से परखा गया. स्टडी के दौरान हमने पुराने मॉडल्स का भी इस्तेमाल किया और आईआईटी के साथ मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को यूज करते हुए हमने इन सारे पैरामीटर्स को डाला.
प्रश्न: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित मर्क मॉडल के अस्तित्व में आने की पूरी कहानी क्या है?
डॉ. मोहित गुप्ता: स्टडी के दौरान हमने 135 में से 31 ऐसे पैरामीटर्स को चिंहित किया, जो मरीजों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार बने या जान बचाने में उपयोगी शाबित हुए. हमने इन पैरामीटर्स को एक टूल के रूप में विकसित किया और चार हजार मरीजों पर इसकी टेस्टिंग शुरू की गई. इस टूल की इन-पॉपुलेशन स्टडी भी की गई और पाया गया कि इस टूल की एक्यूरेसी करीब 85 फीसदी तक थी. यह फिगर मेडिकल फील्ड में बहुत अच्छा माना जाता है. इस टूल की सफलता के बाद हमने इसको नए सिरे से डिजाइन किया और मार्क मॉडल के रूप में विकसित किया. अब इस टूल की मदद से हार्ट अटैक के मरीजों के जीवन को बचाया जा सकता है.
प्रश्न: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित मार्क किस तरह हार्ट पेशेंट्स के लिए मददगार साबित होगा?
डॉ. मोहित गुप्ता: हम सभी जानते हैं कि हॉस्पिटल्स में हमारे पास संसाधन बहुत सीमित है. लिहाजा, संसाधनों को इस्तेमाल वहीं किया जाना चाहिए, जहां उसकी सबसे अधिक जरूरत है और उसका सही लाभ मिल सके. मान लीजिए, मेरे हॉस्पिटल में दो लोगों को हार्ट अटैक होता है. और मॉडल के जरिए मुझे पता चलता है कि एक मरीज की मृत्यु की संभावना करीब 20 प्रतिशत हैं और दूसरे के संभावना 5 से 10 प्रतिशत है. ऐसे में, मेरी पहली प्राथमिकता पहले पहला मरीज होगी. मैं दवा और मॉनीटरिंग के जरिए उसके जीवन की संभावना को बढ़ा सकता हूं. इस तरह, हर साल पोस्ट हार्ट अटैक होने वाली मौतों की दर को कम किया जा सकेगा.
प्रश्न: क्या आप उदाहरण के जरिए समझा सकते हैं कि मर्क मॉडल का लाभ मरीजों को कैसे मिल जाएंगा?
डॉ. मोहित गुप्ता: किसी एक मरीज के हार्ट का ऑपरेशन हुआ. ऑपरेशन के बाद वह आवश्यकता अनुसार हॉस्पिटल में रहता है और उसके बाद डिस्चार्ज हो जाता है. डिस्चार्ज के समय मरीज की रिपोर्ट नार्मल हैं और वह देखने में भी बिल्कुल ठीक-ठाक लग रहा है. ऐसी स्थिति में, बतौर कार्डियोलॉजिस्ट मेरे मन में एक आशंका हमेशा बनी रहती है कि क्या मेरा मरीज अगले 30 दिनों तक ठीक रहेगा, उसे किसी तरह की मेडिकल कॉम्प्लिकेशन तो नहीं होगी. अब मैं मर्क मॉडल के जरएि अपनी आशंका का निवारण कर सकता हूं. इस मॉडल की मदद से मु्झे मालूम होगा कि मृत्यु की संभावना क्या है और कौन से पैरामीटर्स इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.
प्रश्न: क्या मर्क मॉडल का फायदा उत्तर भारतीय मरीजों के साथ देश के दूसरे हिस्से के मरीजों को भी मिल सकेगा?
डॉ. मोहित गुप्ता: फिलहाल यह स्टडी उत्तर भारत के मरीजों पर ही की गई है और इस स्टडी में शामिल पैरामीटर्स उत्तर भारतीयों के अनुरूप हैं. जैसे कि आपको पता है कि हमारे देश में क्षेत्रवार जीवनशैली, खान-पान, जलवायु और वातावरण अलग-अलग है. इस मॉडक का देश के अन्य हिस्सों के अनुरूप अध्ययन किया जाना अभी बाकी है, जिसे जल्द पूरा किया जाएगा. हमारी कोशिश है कि यह मॉडल देश के सभी हॉस्पिटल में पहुंचे, जिससे हार्ट अटैक के मरीजों के अमूल्य जीवन को बचाया जा सके. हमारी स्टडी को इंटरनेशनल जरनल ऑफ कार्डियोलॉजिस्ट ने भी प्रकाशित किया है.
प्रश्न: वह कौन सी जानकारियां हैं, जिनकी मदद से मर्क मॉडल जीवन और मृत्यु की संभावनाओं की गणना करता है?
डॉ. मोहित गुप्ता: मरीज की उम्र, लिंग, ब्लड प्रेशन, शुगर, हाइपरटेंशन, हीमोग्लोबिन, सीरम-क्रेटनिन, फेमिली हिस्ट्री, फिजिकल एक्टिविटी शामिल हैं. इसके अलावा, मरीज को बेहोशी आई थी या नहीं, छाती में दर्द हुआ था या नहीं, पसीना आया था या नहीं, हार्ट में कोई लीकेज तो नहीं है, हार्ट फेल तो नहीं था, मरीज को समय पर अस्पताल लाया गया या देरी हो गई थी, हार्ट की कौन सी मसल्स में दिक्कत है, हार्ट में ब्लड का फ्लो, स्टंटिंग 12 घंटे से पहले या बाद में हुई है आदि की जानकारी मॉडल में भरी जाती है. मरीज कौन सी दवाएं ले रहा है, धूम्रपान कितना करते हैं, हार्ट पंपिंग कितनी है, जैसे सवाल भी जीवन और मृत्यु के आंकलन में मददगार शाबित होते हैं.
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Tags: Health News, Heart attack, Sehat ki baat
FIRST PUBLISHED : June 19, 2022, 06:00 IST