World

रईसी जैसा कट्टर या रुहानी सा लिबरल…अब कैसा होगा ईरान का राष्ट्रपति? ये तो सुप्रीम लीडर के मूड पर, जानें रोल

तेहरान: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत हो गई. अब ईरान को नए राष्ट्रपति की तलाश होगी. ईरान को अब अगला राष्ट्रपति रईसी जैसा कट्टर मिलेगा या हसन रूहानी सा लिबरल, यह तो अब ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के मूड पर ही निर्भर करता है. ईरान में राष्ट्रपति चुनने में सुप्रीम लीडर की बड़ी भूमिका होती है और अब सब कुछ उनके ऊपर ही निर्भर है. फिलहाल, ईरानी संविधान के मुताबिक, उपराष्ट्रपति को ही कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया जाएगा और 50 दिनों के भीतर राष्ट्रपति चुनाव कर नया राष्ट्रपति चुनना होगा. हालांकि, यह भी सुप्रीम लीडर खामेनेई के मूड पर ही डिपेंड करता है.

दरअसल, ईरानी संविधान के हिसाब से अगर किसी मौजूदा राष्ट्रपति की मौत हो जाती है तो उस परिस्थिति में आर्टिकल 131 के तहत प्रथम उपराष्ट्रपति को अधिकतम 50 दिनों के लिए राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. हालांकि, इसके लिए ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला खामनेई की मंजूरी जरूरी होगी. इस हिसाब से ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को अब राष्ट्रपति बनाया जा सकता है. लेकिन परमानेंट राष्ट्रपति के लिए ईरान को सुप्रीम लीडर के निर्णय पर ही निर्भर रहना होगा. बता दें कि रईसी के साथ ईरान के विदेश मंत्री की भी हेलिकॉप्टर हादसे में मौत हो गई है.

2025 में होगा राष्ट्रपति चुनावइब्राहिम रईसी ने ईरान का राष्ट्रपति चुनाव 2021 में जीता था. साल 2025 में उनका कार्यकाल समाप्त होने वाला था. क्योंकि कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उनकी मौत हो गई है, ऐसे में अब ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को उनकी जगह पर ईरान की कमान दी जा सकती है. लेकिन 2025 में जब ईरान में राष्ट्रपति चुनाव होगा, तो कैंडिडेट चुनने में भी सुप्रीम लीडर की ही अहम भूमिका होगी. अब ऐसे में सवाल यह है कि आखिर ईरान को इब्राहिम रईसी जैसा कट्टरपंथी छवि वाला राष्ट्रपति मिलेगा या फिर हसन रूहानी जैसा, जिन्हें काफी लिबरल माना जाता था. इब्राहिम रईसी से पहले हसन रूहानी ही ईरान के राष्ट्रपति थे और उन्हें भारत समर्थक माना जाता था. जबकि रईसी की चीन से नजदीकियां रही हैं.

इब्राहिम रईसी आखिर क्या करने गए थे अजरबैजान? हेलिकॉप्टर क्रैश में चली गई जान, यह सपना रह गया अधूरा

सुप्रीम लीडर की मर्जी ही सबकुछअगर सुप्रीम लीडर की शक्तियों पर गौर करें तो यह पाएंगे कि ईरान में जो कुछ भी होता है, उनकी मर्जी के बगैर नहीं होता है. ईरान में भले ही राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति होते हैं, मगर सबका पावर कंट्रोल सुप्रीम लीडर के पास ही होता है. यूं कहें तो पावर का रिमोट कंट्रोल सुप्रीम लीडर के हाथ में होता है. राष्ट्रपति चुनाव में कैंडिडेट के नामों पर भी सुप्रीम लीडर की ही मुहर लगती है. ईरान में वही शख्स राष्ट्रपति पद के लिए कैंडिडेट बनता है, जिसे काउंसिल ऑफ गार्डियन्स अप्रूव करता है. यह बारह सदस्यों की एक बॉडी होती है, जिसमें ईरान के सर्वोच्च नेता द्वारा चयनित छह मौलवी और छह वकील शामिल होते हैं, जिन्हें सुप्रीम लीडर प्रस्तावित करता है और ईरान की न्यायिक प्रणाली के हेड नियुक्त करता है.

ईरान में क्या हैं सुप्रीम लीडर के पावर?ईरान में सुप्रीम लीडर ही सबकुछ होता है. चाहे वह ईरान की घरेलू नीति हो या विदेश नीति या फिर जनरल पॉलिसी, हर चीज के लिए सुप्रीम लीडर ही जिम्मेदार है. ईरान की सभी सेनाओं की कमांड सुप्रीम लीडर के पास ही होती है. सुप्रीम लीडर ही वह शख्स है, जो किसी युद्ध का ऐलान कर सकता है या फिर शांति की घोषणा कर सकता है. ईरान के सिक्योरिटी ऑपरेशन पर भी उसी की नजर होती है. सुप्रीम लीडर के पास ज्यूडिशियरी के नेता को डिसमिस और अप्वाउंट करने का पावर है. साथ ही सुप्रीम लीडर ही इस्लामिक रिवॉलुशनरी गार्ड कॉर्प्स के मुखिया को हटा और नियुक्त कर सकता है. एक तरह से कहा जाए तो सुप्रीम लीडर ही ईरान का पावरफुल पॉलिटिकल अथॉरिटी होता है.

रईसी जैसा कट्टर या रुहानी सा लिबरल...अब कैसा होगा ईरान का राष्ट्रपति? ये तो सुप्रीम लीडर के मूड पर, जानें रोल

रईसी कट्टरपंथी तो रूहानी थे उदारइब्राहिम रईसी को सुप्रीम लीडर आयतुल्ला खामनेई का करीबी और वफादार माना जाता था. वह कितने कट्टरपंथी मिजाज के थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सत्ता में आते ही उन्होंने हिजाब पर सख्ती दिखाई थी. यही वजह है कि उनके कार्यकाल में हिजाब को लेकर काफी प्रदर्शन हुए. ईरानी महिला महसा अमिनी की कस्टडी में मौत के बाद ईरान में खूब बवाल हुआ था. कहा गया कि अमिनी ने हिजाब नहीं पहने थे, जिसकी वजह से ईरानी पुलिस ने उसकी बेरहमी से पिटाई की थी. वहीं, रईसी के उलट ईरान के पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी को काफी उदार माना जाता है. रूहानी को अक्सर एक मध्यमार्गी और सुधारवादी नेता के रूप में जाना जाता है. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सूचना तक निःशुल्क पहुंच को प्रोत्साहित किया और महिला विदेश मंत्रालय प्रवक्ताओं की नियुक्ति करके उन्होंने महिलाओं के अधिकारों में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया था.

Tags: Ebrahim Raisi, Iran, Iran news

FIRST PUBLISHED : May 20, 2024, 11:41 IST

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj