Jaipur Culture: संभल और मुंबई में क्यों मच रहा बवाल? मंदिर तो जयपुर में भी हटाए गए थे, फिर भी बना रहा था सौहार्द्र, जानें वजह

Last Updated:April 21, 2025, 14:02 IST
Jaipur News : देशभर में हो रही मंदिर मस्जिद विवादों के बीच जयपुर एक ऐसा शहर है जो हिन्दु मुस्लिम सांपद्रायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश करता है. यहां आज से 10 साल पहले मेट्रो ट्रेन के मार्ग में आ रहे परकोटे के 100 …और पढ़ें
जयपुर में लोगों ने हिंसा को कभी समर्थन नहीं दिया.
हाइलाइट्स
जयपुर में 100 से ज्यादा मंदिर हटाए गए, कोई बवाल नहीं हुआ.जयपुर का सांप्रदायिक सौहार्द्र और सरकार की प्लानिंग ने हिंसा रोकी.मंदिर हटाने की प्रक्रिया शांतिपूर्वक और समझदारी से की गई.
जयपुर. मंदिर और मस्जिद को लेकर आजकल देशभर में रोजना कहीं न कहीं बवाल मच रहा है. पहले उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद के सर्वे की बात को लेकर हिंसा भड़क उठी. देशभर में यह मामला छाया हुआ है. अब ताजा मामला मुंबई में सामने आया है. मुंबई के विले पार्ले इलाके में स्थित एक पुराने जैन मंदिर को लेकर विवाद बढ़ गया और लोग सड़कों पर आ गए. करीब 10 साल पहले जयपुर में भी मेट्रो ट्रेन के रास्ते में आ रहे छोटे-मोटे करीब 100 से ज्यादा मंदिर एक साथ हटा दिए गए थे लेकिन कोई बवाल नहीं मचा. वजह थी जयपुर का सांप्रदायिक सौहार्द्र.
राजधानी जयपुर में करीब 10 साल पहले बीजेपी के वसुंधरा राज में ही मेट्रो ट्रेन के लिए परकोटे के भीतर करीब 100 से ज्यादा छोटे बड़े मंदिरों को हटाया दिया गया था. लेकिन हिंसा तो दूर की कोई हल्ला गुल्ला तक नहीं हुआ था. इसकी वजह जयपुर के सांप्रदायिक सौहार्द्र के साथ ही सरकार की फुलफ्रूप प्लानिंग. इन दोनों फैक्टर ने कोई बवाल नहीं होने दिया. यह दीगर बात है कि एक दो बड़े मंदिरों को लेकर बवाल जरुर मचा था. लेकिन वह कुछ समय बाद वह शांत हो गया. जयपुर में लोगों ने हिंसा को कभी समर्थन नहीं दिया. हालांकि बाद में तत्कालीन सीएम राजे जरुर आरएसएस के निशाने पर आ गई थीं.
शांतिपूर्वक हटाया गया मंदिरों कोपरकोटे में मेट्रो निर्माण के रास्तों में आ रहे मंदिरों को हटाने के लिए सभी संबंधित पक्षों से बातचीत की गई. शहर की जरुरत और विकास को देखते हुए सर्वसम्मती से मंदिरों को पुजारियों से विधि विधानपूर्वक उन्हें हटवाया गया. बाद में उनको शहर में ही आतिश मार्केट में एक जगह पुजारियों के हाथों पुर्नस्थापित करवाया गया. इस पूरी प्रक्रिया को बेहद समझदारी के साथ अंजाम दिया गया. इसमें प्रभावित समुदाय ने भी समझदारी और संयम का परिचय दिया जिससे कहीं कोई बड़ा बवाल नहीं मचा. सबकुछ शांतिपूर्वक हो गया.
जयपुर शहर काफी शांत प्रकृति का माना जाता हैराजस्थान देश के शांत प्रदेशों में शुमार है. खासकर जयपुर शहर काफी शांत प्रकृति का माना जाता है. हालांकि समय के साथ इसमें थोड़ी तब्दीली आ रही है लेकिन फिर भी अन्य शहरों और प्रदशों के मुकाबले जयपुर आज भी शांत और गंभीर प्रकृति का शहर है. जयपुर समेत राजस्थान में कई बार ऐसे मौके आए हैं जब धार्मिक स्थलों को किसी कारणवश (अतिक्रमण मानते हुए या डवलपमेंट की दृष्टि) हटाया गया तो एकबारगी हंगामा तो जरुर हुआ लेकिन यहां हिंसा को स्थान नहीं मिला.
जयपुर सांप्रदायिक सौहार्द्र की कई बार मिसाल पेश कर चुका हैजानकारों की मानें तो प्रदेश के लोगों की तासीर ही ऐसी है कि वे जितने जल्दी उग्र होते हैं उतने ही जल्दी शांत भी होते हैं. जयपुर के हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के लोग बेहतरीन सांप्रदायिक सौहार्द्र की कई बार मिसाल पेश कर चुके हैं. पुराने समय में यहां के राजा महाराजा और वर्तमान सियासत भी इन मामलों को लेकर बेहद संवेदनशील रही है. वहीं पुजारी और मौलवी भी एक दूसरे के धर्मों का सम्मान करते हैं. बीते दिनों रामनवमी पर कोटा में तो मुस्लिम समुदाय ने बाकायदा हिन्दू संगठनों की ओर से निकाले गए जुलूस पर फूल बरसाए थे. दोनों समुदाय के लोगों ने मिलकर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए थे. जयपुर में भी ऐसे उदाहरण सामने आ चुके हैं.
पहले के मुकाबले अब उग्रता का भाव बढ़ा हैजयपुर के नुमांइदे और आम पब्लिक मानती है कि समय के साथ लोगों की सहनशक्ति में बड़ा बदलाव आया है. पहले के मुकाबले उग्रता का भाव बढ़ा है. लोग धार्मिक कट्टरता की ओर बढ़ रहे हैं. लेकिन शु्क्र मनाइए कि यह सब बदलाव भी कुछ ही लोगों में हो रहा है. जयपुर में हिन्दू मुस्लिम दोनों पक्ष समय की मांग और हालात को देखकर आगे कदम बढ़ाते हैं. धार्मिक तनाव जैसे विपरीत हालात में भी जल्दी से संयम नहीं खोते हैं. इसे सभी को अपनाना चाहिए.
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan
First Published :
April 21, 2025, 13:56 IST
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संभल और मुंबई में क्यों मच रहा बवाल? मंदिर तो जयपुर में भी हटाए गए थे