Mehangai Hatao rally Congress Why chosen Rajasthan Know 5 big reasons Rahul Gandhi Vs Mamta Banerjee rjsr

जयपुर. महंगाई के खिलाफ कांग्रेस (Congress) की राष्ट्रीय रैली कहने को केंद्र की एनडीए सरकार के खिलाफ है लेकिन इसके दो बड़े मकसद माने जा रहे हैं. पहला कांग्रेस को विपक्ष की सबसे बड़ी ताकत के रूप में दिखाना और दूसरा राहुल गांधी को विपक्ष के सबसे बड़े नेता के रूप में प्रजेंट करना. कांग्रेस की रैली के लिए जयपुर से लेकर दिल्ली तक राहुल गांधी के जगह-जगह पोस्टर और कट आउट लगाए गए हैं. कांग्रेस ‘ब्रांड राहुल’ को एक बार फिर स्थापित करना चाहती है. कांग्रेस में राहुल गांधी की पहली लॉन्चिंग भी 2013 में जयपुर से ही हुई थी. तब कांग्रेस के चिंतन शिविर में पहली बार राहुल गांधी (Rahul Gandhi ) को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुना गया था.
कांग्रेस की यह रैली ऐसे वक्त में हो रही है जब यूपीए में कांग्रेस के नेतृत्व और सबसे बडे दल की हैसियत को चुनौती मिल रही है. वो भी यूपीए के घटक दलों से और क्षेत्रीय पार्टियों से. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यूपीए में कांग्रेस के नेतृत्व को चुनौती दे रही है. ऐसे में जयपुर की इस महंगाई विरोधी रैली से कांग्रेस यह साबित करने की कोशिश करेगी कि यूपीए की असली ताकत और नेतृत्व की क्षमता अभी भी कांग्रेस के पास है. इसके साथ ही यह दिखाने की कोशिश करेगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने में राहुल गांधी और कांग्रेस सक्षम है.
पिछले कई दिनों से खड़े हो रहे हैं सवाल
राजनीतिक गलियारों में यह सवाल पिछले कई दिनों से खड़ा हो रहा है कि जब रैली का आयोजन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से किया जा रहा है तो फिर जयपुर को क्यों चुना गया? जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव है खास तौर पर पंजाब और उत्तर प्रदेश को रैली के लिए क्यों नहीं चुना गया? जानकारों का मानना है कि कांग्रेस में कई राज्यों में हालात विकट हैं. दिल्ली में रैली के आयोजन में भीड़ और संसाधन जुटाना आसान नहीं है. यूपी में है लेकिन वहां कांग्रेस बड़ी ताकत नहीं है. पंजाब में जिस तरह से मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच टकराव चल रहा है उसे देखते हुए कांग्रेस को राजस्थान सबसे मुफीद नजर आया.
गहलोत-पायलट संघर्ष पर लगा विराम
उसकी वजह यह है कि राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे संघर्ष पर कैबिनेट विस्तार के बाद विराम लगा है. बड़ी रैली के आयोजन के लिए जिस तरह के संसाधन और भीड़ लानी है उसके लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान की सरकार को ज्यादा ठीक समझा गया. इसीलिए रैली का दायित्व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंपा गया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए भी यह रैली साख और प्रतिष्ठा का सवाल बन रही है. क्योंकि इससे कांग्रेस की साख और प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है.
सब कुछ जिम्मेदारी मंत्रियों की तय की गई है
इसी वजह से रैली को भव्य बनाने के लिए पूरी ताकत झौंकी जा रही है. मंत्रियों को जिलों में भेजा गया है. भीड़ लाने का दायित्व सौंपा गया है. किस तरह से भीड़ और संसाधन जुटाने हैं सब कुछ जिम्मेदारी मंत्रियों की तय की गई है. हर मंत्री और विधायक को भीड़ लाने का टारगेट दिया गया है. राजस्थान के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी कुछ भीड़ जुटाने की कोशिश हो रही है.
विपक्ष में कांग्रेस की ताकत दिखाना है
वैसे आधिकारिक रूप से तो यह रैली केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ है. महंगाई के विरोध में है लेकिन निशाने पर यूपीए के घटक दल ही हैं. इस रैली का असली मकसद विपक्ष में कांग्रेस की ताकत दिखाना है ताकि यूपीए में कांग्रेस से अलग नेतृत्व को लेकर चल रही तलाश थम सके. यूपीए के घटक दल कांग्रेस और राहुल गांधी के नेतृत्व में भरोसा कर सकें.
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