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Arbitrage Fund: जब बाजार खाए हिचकोले तो यहां से बनेगा पैसा, जितना ज्‍यादा होगा उतार-चढ़ाव, उतनी ही होगी कमाई

हाइलाइट्स

आर्बिट्राज फंड में बढ रही है निवेशकों की रुचि. अप्रैल में नेट 16 हजार करोड़ का हुआ निवेश हुआ.मार्केट वॉलैटिलिटी का होता है रिटर्न बनाने में यूज.

नई दिल्‍ली. शेयर बाजार में इन दिनों खूब उतार-चढ़ाव (Volatility) देखने को मिल रहा है. इंडिया वोलैटिलिटी इंडेक्‍स (India VEX) में पिछले कुछ दिनों में तेजी आई है. इससे आशंका जताई जा रही है कि बाजार में उतार-चढ़ाव अभी थमेगा नहीं. India VEX नियर टर्म में बाजार में संभावित उतार-चढ़ाव को दर्शाता है. आज यानी 16 मई को यह 20 के पार चला गया है. 30 जनवरी, 2023 के बाद का यह इस इंडेक्स का सबसे ऊंचा स्तर है. आम चुनाव जैसे अहम मौकों से पहले इंडिया वीएएक्‍स आम तौर पर चढ़ता ही है. 2019 और 2014 में भी इसने छलांग लगाई थी.

बाजार के हिचकोले खाने का सीधा असर निवेशकों के रिटर्न पर पड़ता है. लेकिन, मार्केट की वोलैटिलिटी में भी एक जगह निवेश करके आप मुनाफा कमा सकते हैं. आर्बिट्राज फंड (Arbitrage Fund) में आप इस समय पैसा लगा सकते हैं. आर्बिट्राज फंड वोलैटिलिटी का इस्तेमाल रिटर्न जेनरेट करने के लिए करते हैं. खास बात यह है कि आर्बिट्राज फंडों में के प्रति निवेशकों की रुचि बढ़ती जा रही है. आर्बिट्राज फंड में अप्रैल महीने में नेट 16 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ. इस कैटेगरी के फंडों का टोटल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 1.90 लाख करोड रुपये के ऊपर चला गया.  वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान आर्बिट्राज फंडों में नेट 90 हजार करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ.

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क्या है आर्बिट्राज फंड?आर्बिट्राज फंड, इक्विटी फंड की कैटेगरी में आते हैं और टैक्स के मामले में डेट फंड की तुलना में बेहतर हैं. इनमें कम से कम 65 फीसदी निवेश इक्विटी में होता है. बाकी निवेश डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है. आर्बिट्राज फंड इक्विटी मार्केट के कैश और फ्यूचर (डेरिवेटिव) सेगमेंट में किसी शेयर की कीमत में अंतर का फायदा उठाकर रिटर्न बनाते हैं. शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव वाले दौर में दोनों सेगमेंट के बीच कीमतों का अंतर यानी स्प्रेड (spread) बढ़ जाता है. जब बाजार में उतार-चढ़ाव ज्‍यादा होता है, तब ये फंड ज्यादा रिटर्न देते हैं.

कैसे होती है कमाई?आर्बिट्राज फंड एक सेगमेंट से कम कीमत पर शेयर खरीद कर दूसरे सेगमेंट में ज्यादा कीमत पर बेच देते हैं और कमाई करते हैं. उदाहरण के लिए किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत कैश सेगमेंट में 200 रुपये है और फ्यूचर/डेरिवेटिव सेगमेंट में 205 रुपये है. आर्बिट्राज फंड मैनेजर कंपनी के 100 शेयर 20,000 रुपये में कैश सेगमेंट में खरीदता है और 20,500 रुपये में डेरिवेटिव सेगमेंट में बेच देता है और 500 रुपये मुनाफा कमाता है. हां, रिटर्न तभी मिलेगा बशर्ते फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायरी के वक्त कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट में शेयर की यही कीमत बनी रहे.

इसी शेयर की कीमत फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायरी के वक्त कैश सेगमेंट में शेयर की कीमत घटकर 195 रुपये और डेरिवेटिव सेगमेंट में 190 रुपये तक आ जाए तो ऐसा होने पर कैश मार्केट में प्रति शेयर 5 रुपये यानी 1000 रुपये का नुकसान होगा, जबकि डेरिवेटिव सेगमेंट में प्रति शेयर 15 रुपये यानी कुल 3000 रुपये का मुनाफा. यानी फंड मैनेजर को 2,000 रुपये का नेट मुनाफा होगा.

टैक्‍सेशन आर्बिट्राज फंड, इक्विटी म्युचुअल फंड श्रेणी में आते हैं. इसलिए इस पर टैक्स भी इक्विटी की तरह ही लगता है. एक साल से कम अवधि में अगर आप रिडीम करते हैं तो इनकम शार्ट-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको 15 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) शार्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. अगर आप एक साल के बाद रिडीम करते हैं तो इनकम लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा की इनकम पर 10 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी म्‍यूचुअल फंड प्रदर्शन पर आधारित हैं. यदि आप इनमें से किसी में भी पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह की लाभ या हानि के लिए लिए जिम्मेदार नहीं होगा.)

Tags: Business news in hindi, Money Making Tips, Mutual fund, Stock market

FIRST PUBLISHED : May 16, 2024, 14:55 IST

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