1971 युद्ध की अफवाहें: पाकिस्तानी प्रोपेगैंडा और भारतीय सच्चाई.

वर्ष 1971 के युद्ध में जब भारत और पाकिस्तान आमने सामने थे. दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे से टकरा रही थीं, तब भारत में शहरों में ब्लैकआउट और सायरन के बीच लोग रेडियो से चिपके रहते थे. तब ना तो इंटरनेट था और ना टेलीविजन लेकिन तब भी कई अफवाहें बहुत तेजी से फैलीं. लोगों ने इन पर विश्वास भी करना शुरू कर दिया लेकिन ये अफवाहें सच्चाई से कोसों दूर थीं.
हर बड़े युद्ध की तरह उस दौर में भी कई अफवाहें और गप फैलती रहीं. कुछ अफवाहें तो इस तरह फैली कि लोग या तो उनसे डरे या उन्हें असलियत समझ लिया लेकिन बाद में हकीकत अलग निकली.
इस तरह की अफवाहें और भ्रांतियां कहां से फैलाई गईं, ये तो कभी पता नहीं चल पाया लेकिन इसका उद्देश्य जनता में भय, अराजकता या सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा करना था. कहा जाता है कि इसमें से कई पाकिस्तानी प्रोपेगैंडा का हिस्सा थीं, तो कुछ स्थानीय डर या अज्ञानता से उपजीं.
पाकिस्तानी पैराट्रूपर्स दिल्ली, आगरा और अमृतसर में उतरने वाले हैंयद्यपि पाकिस्तान ने पैराट्रूपर्स भेजने की कोई कोशिश नहीं की थी लेकिन 3 दिसंबर 1971 को जब पाकिस्तान ने भारत के एयरबेस पर हवाई हमला किया, तो डर और अफवाह फैल गई कि पाकिस्तानी सैनिक पैरा ड्रॉप के ज़रिए भारतीय शहरों में घुसने वाले हैं. लेकिन इस अफवाह में कोई दम नहीं निकला. आल इंडिया रेडियो और अखबारों के जरिए सरकार ने इसका खंडन किया.
वर्ष 1971 में भारत – पाकिस्तान युद्ध के दौरान अफवाह फैली कि पाकिस्तानी एयर ट्रूपर्स अमृतसर और दिल्ली में उतरने वाले हैं. ( AI)
रावलपिंडी और कराची पर भारत ने बम गिराए, पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दियाभारतीय वायुसेना ने कराची बंदरगाह और कुछ पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर ज़रूर हमले किए थे, लेकिन रावलपिंडी जैसे शहर पर कोई बड़ा बमबारी नहीं हुई. युद्ध 16 दिसंबर 1971 को समाप्त हुआ, जब ढाका में जनरल नियाज़ी ने आत्मसमर्पण किया, न कि इससे पहले.
कुछ अखबारों और गपशप में यह बात उड़ाई गई कि पाकिस्तान के पास “इस्लामिक बम” है और वह भारत पर हमला कर सकता है. वास्तविकता ये थी उस समय पाकिस्तान के पास परमाणु क्षमता नहीं थी (उसने पहला परमाणु परीक्षण 1998 में किया)।
चीनी सेना भारत की उत्तर-पूर्वी सीमा पर हमला करने वाली हैचीन ने 1962 के युद्ध के बाद 1971 में भारत के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की थी लेकिन इस आशंका को लेकर भारतीय सेना ने सिक्किम और अरुणाचल सीमा पर चौकसी ज़रूर बढ़ाई थी.कुछ इलाकों में (खासकर उत्तर-पूर्व और हिमाचल में) झूठी खबरें फैलीं कि चीन ने 1962 जैसा हमला शुरू कर दिया है. वास्तविकता ये थी कि चीन ने केवल पाकिस्तान को मौखिक समर्थन दिया, लेकिन युद्ध में शामिल नहीं हुआ.
युद्ध के दौरान ये भी अफवाहें काफी ज्यादा जोरों पर थीं कि पाकिस्तानी एजेंट भारत के कुओं में जहर मिला रहे हैं. भारतीय सरकार को इसका खंडन करना पड़ा. ( AI)
पाकिस्तानी एजेंट कुओं में ज़हर घोल रहे हैंइस तरह की अफवाहें कई शहरों में फैलीं. दिल्ली, अमृतसर और पंजाब के कुछ हिस्सों में लोग कुओं और पानी के स्रोतों को लेकर डर गए. सरकार और प्रशासन ने इस अफवाह को खारिज किया. साथ ही पानी की सुरक्षा भी सुनिश्चित की. कोई ऐसा मामला सामने नहीं आया.
अमेरिकी नौसेना का सातवां बेड़ा हमला करने आ रहा हैसच्चाई ये है कि अमेरिका ने पाकिस्तान के समर्थन में अपना सातवां बेड़ा USS Enterprise को बंगाल की खाड़ी भेजा था लेकिन भारतीय नौसेना और सोवियत संघ की नौसेना की उपस्थिति और कूटनीतिक दबाव के चलते अमेरिकी बेड़ा हस्तक्षेप नहीं कर सका. ये एक तनावपूर्ण क्षण ज़रूर था, मगर जंग नहीं छिड़ी.
ये अफवाह उस युद्ध के दौरान फैली ऐसी बड़ी अफवाह थी, जिसमें ज्यादा भारतीयों ने कुछ समय के लिए विश्वास करना शुरू कर दिया था. लोगों को लगने लगा कि अमेरिका भारत पर हमला करने वाला है. क्योंकि पाकिस्तान को अमेरिका का खुला समर्थन भी था. अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और उनके सलाहकार हेनरी किसिंजर ने पाकिस्तान का पक्ष लिया.
अमेरिकी नौसेना का सातवां बेड़ा यूएस इंटरप्राइजेज बंगाल की खाड़ी आकर जब खड़ा हुआ, तब वाकई लोगों को लगने लगा कि अमेरिकी हमला भारत पर होने वाला है, क्योंकि अमेरिका तब पाकिस्तान का समर्थन कर रहा था. (NEWS18 AI)
जब अमेरिका का 7वां नौसेना बेड़ा बंगाल की खाड़ी में आकर खड़ा हो गया तो मीडिया और जनता में दहशत फैल गई. अखबारों और रेडियो पर चर्चा होने लगी कि अमेरिका भारत पर बमबारी कर सकता है या नौसैनिक नाकाबंदी लगा सकता है. लोगों को लगा कि अमेरिका वियतनाम युद्ध की तरह भारत को भी निशाना बना सकता है. कुछ लोगों को डर था कि अमेरिका, भारत-सोवियत मित्रता संधि (अगस्त 1971) के कारण, भारत को सबक सिखाना चाहेगा.
ये अफवाह इतनी तेजी से फैली कि स्कूलों, दफ्तरों और राशन की दुकानों पर लोग इसी बात पर चर्चा करते थे. कुछ लोगों ने अपने घरों में आपातकालीन सामान जमा करना शुरू कर दिया. वास्तविकता ये थी कि अमेरिका ने केवल दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन सीधी सैन्य कार्रवाई नहीं की. सोवियत संघ ने भारत का समर्थन किया. अपने जहाज़ भी भेजे, जिससे अमेरिका पीछे हट गया. इंदिरा गांधी की छवि एक दृढ़ नेता के रूप में स्थापित हुई, क्योंकि उन्होंने अमेरिकी दबाव को झेल लिया.
पाकिस्तानी सेना भारत में घुस आएगीकुछ लोगों में यह डर फैलाया गया कि पाकिस्तानी टैंक और सैनिक सीमा पार करके भारतीय शहरों तक पहुंच जाएंगे. जो दूर दूर तक हुआ ही नहीं. भारतीय सेना ने पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर पाकिस्तान को धूल चटाई. युद्ध महज 13 दिनों में जीत लिया गया.
सरकार युद्ध के नाम पर लोगों की संपत्ति जब्त करेगीकुछ व्यापारियों और जमींदारों के बीच यह अफवाह फैलाई गई कि सरकार अतिरिक्त टैक्स लगाएगी या सोना-जमीन जब्त कर लेगी. ऐसा कुछ नहीं हुआ, हालांकि आर्थिक संकट के कारण कुछ नीतियां कड़ी हुईं.
राशन की दुकानें बंद हो जाएंगीलोगों में यह डर फैला कि अनाज और तेल की आपूर्ति पूरी तरह खत्म हो जाएगी और भुखमरी फैलेगी. वास्तविकता में सरकार ने राशनिंग प्रणाली को मजबूत किया, लेकिन आपूर्ति पूरी तरह नहीं रुकी.
भारतीय सेना हार रही हैपाकिस्तानी रेडियो और कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने झूठी खबरें फैलाईं कि भारत को भारी नुकसान हुआ है. वास्तविकता ये थी कि भारत ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करवाकर ऐतिहासिक जीत हासिल की.