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Sheikh Hasina Interview Reuters Living Safely In Delhi Says Former Bangladesh Prime Minister | दिल्ली में ‘आजाद’ शेख हसीना, बांग्लादेश में ‘गद्दार’ कहलातीं, क्या भगाए गए नेता की वापसी सत्ता का खेल पलट देगी?

नई दिल्ली: बांग्लादेश की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा रही शेख हसीना आजकल दिल्ली में रह रही हैं. वही हसीना जिन्होंने 15 साल लगातार सत्ता चलाई. वही हसीना जिनके राज में आर्थिक ग्रोथ की तारीफ भी हुई और फिर उनपर तानाशाही के आरोप भी लगे. अगस्त 2024 में जब छात्र विरोधी आंदोलन ने सरकार को जला डाला तो वे हेलिकॉप्टर से ढाका छोड़कर भारत आ गईं. अब नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार देश चला रहे हैं. उन्होंने अगले साल चुनाव का वादा किया है. हसीना लंबे समय बाद मीडिया के सामने आई हैं. बोलीं कि वे दिल्ली में फ्री हैं पर सतर्क भी क्योंकि उनकी फैमिली के इतिहास में खून है. उनके पिता शेख मुजीब और तीन भाई सेना के तख्तापलट में मारे गए थे. हसीना का दावा है कि अवामी लीग को बैन करना जनता को खामोश करना है. और अगर पार्टी चुनाव से रोकी गई तो करोड़ों वोटर मतदान का बहिष्कार कर देंगे.

दिल्ली की खुली हवा में सांस ले रहीं हसीना

दिल्ली की सड़कों पर चुपचाप टहलती शेख हसीना… पहले तस्वीरें सोशल मीडिया पर आई थीं. अब रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में हसीना कहती हैं कि वे दिल्ली में खुलकर रहती हैं. कभी-कभी लोग उन्हें लोदी गार्डन में टहलते भी देख लेते हैं. साथ में सिक्योरिटी के 2-3 लोग रहते हैं.

वे कहती हैं कि उन्हें आजादी है. पर ‘सावधानी’ उनकी मजबूरी है. उनके मन में डर बैठा है. 1975 के मिलिट्री कूप ने उनके पूरे परिवार को खत्म कर दिया था. वे खुद उस वक्त विदेश में थीं, तभी बच गईं. वे बार-बार परिवार का जिक्र करते हुए कहती हैं – ‘देश एक परिवार से बड़ा होता है’.

उनके शब्दों में, ‘घर जाने की इच्छा है. पर तभी, जब वहां वैधानिक सरकार हो और कानून का राज हो.’ ढाका में हसीना की सत्ता खत्म होने की वजह छात्र आंदोलन था. भर्ती में ‘कोटा सिस्टम’ को लेकर युवाओं का गुस्सा हिंसक हो गया. भीड़ ने प्रधानमंत्री आवास तक को नहीं बख्शा. उस रात हसीना की राजनीति दिल्ली की ओर धकेल दी गई.

अवामी लीग बैन पर क्या बोलीं हसीना?

यूनुस सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के आरोपों का हवाला देकर अवामी लीग पर पार्टी गतिविधि रोक दी. चुनाव आयोग ने मई में उनकी पार्टी का रजिस्ट्रेशन ही निलंबित कर दिया. हसीना ने इस पर कहा, ‘आप लाखों समर्थकों को वोट देने का हक नहीं छीन सकते. ऐसी राजनीति काम नहीं करती.’

126 मिलियन वोटर्स वाले देश में बीएनपी को चुनावी बढ़त मिलने की चर्चा है. पर अगर अवामी लीग बाहर रही तो चुनाव की वैधता सवालों में घिर जाएगी. हसीना मानती हैं कि पार्टी उनकी निजी जागीर नहीं. वे कहती हैं, ‘देश की राजनीति किसी एक परिवार की गुलाम नहीं.’ पर उनका बेटा और सलाहकार सजीब वाजेद पहले ही इशारा कर चुके हैं कि अगर चाहा गया तो वे नेतृत्व की जिम्मेदारी उठा सकते हैं.

हसीना पर सबसे बड़ा दाग, 2024 की खूनी कार्रवाई

यही वह घटना है जिसने हसीना की किस्मत पलटी. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने उन पर छात्रों पर हिंसक दमन का आदेश देने का आरोप लगाया है. UN की रिपोर्ट कहती है कि 1,400 लोग मारे गए, हजारों घायल हुए. ज्यादातर गोलियां सुरक्षा बलों की ओर से चलीं. विपक्ष कहता है कि हसीना के इशारे पर ‘सीक्रेट डिटेंशन सेंटर्स’ चलाए गए. 13 नवंबर को फैसला आना है. अगर दोषी करार दी गईं तो उनकी राजनीतिक वापसी पर ताला लग सकता है.

हसीना का पलटवार, यह सब अफवाह और साजिश

हसीना कहती हैं कि यह एक राजनीतिक खेल है. उन्होंने क‍हा, ‘कंगारू कोर्ट चल रहा है. पहले फैसला लिखा, फिर ट्रायल किया गया. मुझे अपनी बात रखने का मौका भी नहीं मिला.’ वे खुद को देश की रक्षक और आरोपों को लोकतांत्रिक बदला बता रही हैं.

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