Skin cancer increasing in youths mole on body or mark can be symptom of skin cancer

हाइलाइट्स
आजकल युवाओं में स्किन कैंसर का खतरा बढ़ रहा है.
देर तक धूप में रहने से भी स्किन कैंसर होता है.
Skin Cancer: भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इनमें कई प्रकार के कैंसर (Cancer) शामिल हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों में देखा जा रहा है कि जो कैंसर गोरी त्वचा वाले लोगों को होता था वह अब सांवली और गहरी स्किन वाले भारतीय लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. यही वजह है कि यहां स्किन कैंसर (Skin Cancer) के मरीज बढ़ रहे हैं. कुछ दिन पहले पंजाब में हुई एक स्टडी बताती है कि सूरज की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों के संपर्क और पानी में आर्सेनिक और पेस्टिसाइड्स की मात्रा होने के कारण त्वचा कैंसर बढ़ रहा है. वहीं आश्चर्यजनक रूप से यह महिलाओं और युवाओं में हो रहा है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि त्वचा कैंसर को पहचान पाना सबसे मुश्किल काम है. आमतौर पर स्किन में खुजली, घाव, तिल, निशान आदि के रूप में बढ़ने वाले इस कैंसर को लोग चर्म रोग या स्किन की एलर्जी समझकर छोड़ देते हैं जो धीरे-धीरे लोगों को नुकसान पहुंचाता रहता है. हालांकि यह बीमारी अब गंभीर होती जा रही है. खासतौर पर शरीर पर बने तिल और मस्से को लेकर किसी को बीमारी का शक नहीं होता लेकिन इनका बढ़ना भी कैंसर का लक्षण हो सकता है.
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ डीएम महाजन बताते हैं कि त्वचा कैंसर को एपिडर्मिस, या त्वचा की ऊपरी परत में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि के रूप में जाना जाता है. डीएनए (DNA) के डेमेज होने के कारण होता है. ये त्वचा कोशिकाएं संक्रामक ट्यूमर बना सकती हैं.
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. बेसल सेल कार्सिनोमा- यह कैंसर आमतौर पर गर्दन और सिर पर पाया जाता है, हालांकि यह त्वचा पर कहीं भी हो सकता है. यह सूरज के संपर्क में आने से शुरू होता है लेकिन यह उन लोगों में भी हो सकता है जिन्होंने बचपन में विकिरण चिकित्सा ली हो. यह कैंसर पूरे शरीर में भी फैल जाता है.
. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा- स्किन जलने पर यह कैंसर होता है. फिर चाहे वह रसायनों द्वारा नुकसान पहुंचा हो, एक्स-रे के संपर्क में आया हो या सूरज की किरणों से जला हो. यह होठ, मुंह, गुदा और योनि के आसपास की त्वचा में हो सकता है.
. मर्केल सेल कार्सिनोमा- मर्केल सेल कैंसर बेहद आक्रामक या तेजी से विकसित हो रहा है. यह खासतौर पर गर्दन और सिर की त्वचा के नीचे वाले बालों के रोम में और हार्मोन बनाने वाली कोशिकाओं में शुरू होता है. इस कैंसर का दूसरा नाम न्यूरोएंडोक्राइन कार्सिनोमा भी है.
. मेलेनोमा- शरीर में विभिन्न क्षेत्रों में मेलानोसाइट्स होते हैं. ये कोशिकाएं मेलेनिन पैदा करती हैं. यह कैंसर का सबसे आक्रामक रूप है जो त्वचा में मेलानोसाइट्स को प्रभावित करता है.
. स्किन कैंसर तब होता है जब शरीर त्वचा कोशिकाओं के अंदर डीएनए की मरम्मत नहीं कर पाता. इससे कोशिकाएं बंट जाती हैं और कंट्रोल से बाहर हो जाती हैं.
. सूर्य के प्रकाश और टैनिंग बेड सहित पराबैंगनी (यूवी) किरणों के अत्यधिक संपर्क में आने से भी ये कैंसर होता है. हालांकि इसका जोखिम समय के साथ बढ़ता जाता है.
. नया बना या उभरा हुआ तिल दिखाई दे तो यह कैंसर का लक्षण हो सकता है.
. स्किन में घाव बढ़ने लगे या ठीक होने में कई सप्ताह का समय ले.
. अगर स्किन के घाव से खून निकले, खुजली हो या पपड़ी पड़ जाए.
. अगर किसी घाव का व्यास 6 मिमी से बड़ा हो जाए.
. पूरी तरह से ढके हुए कपड़े पहनना- ऐसे कपड़े पहनें जो अधिक से अधिक त्वचा को ढक सकें, जैसे धूप में लंबी बाजू की शर्ट, लंबी बाजू की पैंट.
. सनस्क्रीन का प्रयोग करें- कम से कम 30 एसपीएफ वाले सनब्लॉक का प्रयोग करें और विशेष रूप से तैराकी के बाद हर दो घंटे में दोबारा लगाएं.
. धूप का चश्मा पहनें- अपनी आंखों के आसपास की नाजुक त्वचा की रक्षा के लिए, ऐसे धूप के चश्मे पहनें जो यूवीए और यूवीबी दोनों किरणों को रोकते हैं.
. अपनी त्वचा की नियमित जांच करें- अपनी त्वचा की नियमित जांच करें और किसी भी बदलाव या संदिग्ध धब्बे की सूचना अपने डॉक्टर को दें.
. टैनिंग बेड से बचें- टैनिंग बेड यूवी विकिरण के उच्च स्तर का उत्सर्जन करते हैं, जो आपकी त्वचा के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं.
. स्वस्थ आहार लें- फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर आहार खाने से आपकी त्वचा के कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है.
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Tags: Cancer, Cancer Survivor, Health News
FIRST PUBLISHED : February 15, 2023, 15:53 IST