Ek Deewane Ki Deewaniyat Review: टाइम पास भी नहीं है हर्षवर्धन राणे की ‘दीवानियत’

Last Updated:October 21, 2025, 21:43 IST
Ek Deewane Ki Deewaniyat Review: ‘एक दीवाने की दीवानियत’ हर्षवर्धन राणे के लिए एक आशाजनक वापसी लग रही थी, लेकिन फिल्म उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी. कहानी में कोई नयापन नहीं है. ऐसा लगता है कि निर्माता 90 के दशक की फिल्म को फिर से बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन नाकाम रहे.
21 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म ‘एक दीवाने की दीवानियत’.एक दीवाने की दीवानियत 221 अक्टूबर 2025|हिंदी141 मिनट|रोमांटिक ड्रामा
Starring: हर्षवर्धन राणे, सोनम बाजवा, शाद रंधावा, सचिन खेडेकर और अन्यDirector: मिलाप जावेरीMusic: कुणाल वर्मा, कौशिक-गुड्डू और अन्य
सोशल मीडिया के इस जमाने में कोई भी अकेला या लाचार नहीं है. इस मंच ने हमें अपनी बात दुनिया के साथ साझा करने का मौका दिया है. आज अगर हमें फ्लाइट, बस, ट्रेन या कहीं भी कोई परेशानी आती है, तो एक सोशल मीडिया पोस्ट हमारी बहुत बड़ी मदद कर सकती है, अब वो चाहे आर्थिक मदद हो या शारीरिक. सोशल मीडिया अच्छे-अच्छे लोगों को भी बर्बाद कर सकता है. नेपाल इसका ताजा उदाहरण है.
ऐसे समय में अगर कोई फिल्म निर्माता ऐसी फिल्म बनाए जिसमें एक लड़की किसी लड़के की वजह से परेशान हो और कुछ नहीं कर पा रही हो तो ऐसी कहानी पर कौन यकीन करेगा? ऐसी कहानी काल्पनिक भी नहीं हो सकती, क्योंकि आज के समय हम ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकते… लेकिन ये यकीन करना होगा कि आज के जमाने में भी निर्माता ‘एक दीवाने की दीवानियत’ जैसी फिल्म बनाने का साहस रखते हैं, जो सिनेमाघरों से कब उतर जाए कह पाना थोड़ा मुश्किल है.
फिल्म की कहानी विक्रमादित्य नाम के एक युवक की है, जिसका किरदार हर्षवर्धन राणे ने निभाया है. वह अपनी विरासत में मिली राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाता है. वह चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ रहा है, लेकिन चुनाव के बीच में उसकी नजर मशहूर अभिनेत्री अदा रंधावा (सोनम बाजवा) पर पड़ती है. विक्रमादित्य को अदा से पहली नजर में ही प्यार हो जाता है और वह उससे मिलना चाहता है, लेकिन अदा उससे मिलने से इनकार कर देती है. विक्रमादित्य खुद अदा से मिलने जाता है और बातचीत के दौरान उसकी खूब तारीफ करता है.
आखिरकार, विक्रमादित्य अदा को प्रपोज करता है, जिस पर अदा चौंक जाती है और साफ-साफ कह देती है कि वह न तो उससे प्यार करती है और न ही उससे शादी करेगी. विक्रमादित्य को यह पसंद नहीं आता और एक दिन वह अपने दोस्त संजय (शाद रंधावा) के साथ अदा के घर जाता है और उसके माता-पिता से शादी की बात करता है. यहां भी अदा उसे बेइज्जत करती है और घर से निकाल देती है, हालांकि उसके पिता उसका साथ देते हैं. हालांकि, विक्रमादित्य गुस्से में यह कहते हुए बाहर निकल जाता है कि वह उसे ही अपनी दुल्हन चुनेगा.
इसके बाद, विक्रमादित्य अदा के सामने अपना असली रूप दिखा देता है. वह अदा की फिल्मों पर बैन लगवाकर उसे इंडस्ट्री से निकलवाने लगता है. वह अदा की बहन, मां और पिता को भी परेशान करने लगता है. इतना सब होने के बावजूद अदा शांत रहती है, लेकिन एक दिन वह बगावत कर देती है और सीधे विक्रमादित्य की चुनावी रैली में पहुंच जाती है… आगे क्या होता है, यह जानने के लिए आपको थिएटर जाकर पूरी फिल्म देखनी होगी.
फिल्म की कहानी में कुछ भी नया नहीं है; ऐसा लगता है कि निर्माताओं ने 90 के दशक की कई बॉलीवुड फिल्मों को मिलाकर एक नई कहानी गढ़ने की कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हुए. फिल्म के संवाद और गाने अच्छे हैं, लेकिन पटकथा थोड़ी फीकी लगती है.
निर्देशक मिलाप जावेरी ने फिल्म में कुछ नयापन लाने की कोशिश में कई पुराने तत्वों को नए सिरे से पेश किया है, जो दर्शकों को शायद पसंद न आए. हालांकि, अभिनय के मामले में आपको हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा की जोड़ी पसंद आएगी. दोनों ने शानदार अभिनय किया है. फिल्म में उनकी मेहनत साफ दिखाई देती है. अगर आप यह फिल्म देखने की सोच रहे हैं, तो अपने जोखिम पर ही देखें. मैं इस फिल्म को 5 में से 2 स्टार देता हूं.
Pratik Shekhar
Pratik Shekhar is leading the entertainment section in Hindi. He has been working in digital media for the last 12 years. After studying from Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Co…और पढ़ें
Pratik Shekhar is leading the entertainment section in Hindi. He has been working in digital media for the last 12 years. After studying from Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Co… और पढ़ें
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New Delhi,Delhi
First Published :
October 21, 2025, 21:43 IST
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