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जापान में घटती जन्म दर: 125 सालों में सबसे कम बच्चों का जन्म, देश के खत्म होने का खतरा

Last Updated:February 28, 2025, 15:09 IST

Japan Birth Rate: जापान में जन्म दर 125 सालों में सबसे कम हो गई है. 2024 में सिर्फ 7,20,988 बच्चे पैदा हुए, जबकि 16,18,684 मौतें हुईं. विशेषज्ञों के अनुसार, अगर यही स्थिति रही तो 2720 तक जापान में सिर्फ एक बच्च…और पढ़ेंदुनिया के नक्शे से मिट जाएगा यह विकसित देश, हिंदुओं से है गहरा नाता,जानिए कैसे

जापान में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या 125 सालों में सबसे कम हो गई है.

हाइलाइट्स

जापान में जन्म दर 125 सालों में सबसे कम.2024 में जापान में 7,20,988 बच्चे पैदा हुए.जापान में 2024 में 16,18,684 मौतें दर्ज हुईं.

सृष्टि चलाने के लिए जीवन और मरन दोनों का होने जरूरी है. अगर बच्चे पैदा नहीं होंगे तो एक वक्त बाद किसी देश या समाज का अस्तित्व मिट जाएगा. ऐसा ही खतरा अब जापान पर मंडरा रहा है. वही जापान, जिसके तकनीक और साइंस की दुनिया लोहा मानती है. जापान में बौद्ध धर्म के मानने वाले लोग हैं. यहां इस्लाम को लोग नहीं मानते. बहुसंख्यक आबादी बुद्धिस्ट है. बौध धर्म का नाता हिंदुओं के घर हिंदुस्तान से है. यहीं पर भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.

जी हां,  जापान पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है.  अगर सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो आज से 695 साल बाद जनवरी 2720 में जापान में सिर्फ एक ही बच्चा पैदा होगा. यह चौंकाने वाला आंकड़ा तब आया है जब जापान ने अपना जनसंख्या डेटा जारी किया है. इसमें पता चला है कि 2024 में जापान में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या लगातार नौवें साल घटकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है.

यह खबर दक्षिण कोरिया की उस रिपोर्ट के दो दिन बाद आई है जिसमें बताया गया था कि 2024 में देश में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या नौ साल में पहली बार बढ़ी है. इसके पीछे एक वजह उन जोड़ों में शादियों का बढ़ना भी है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान शादी की तारीख आगे बढ़ा दी थी. जनसांख्यिकी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जापान इसी रास्ते पर चलता रहा तो इस देश के खत्म होने का खतरा है. आइए एक नज़र डालते हैं जापान में घटती जन्म दर और इसकी वजहों पर.

जापान में बच्चे कहां हैं?जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को अपने जनसंख्या आंकड़े जारी किए. इसमें पता चला कि 2024 में देश में विदेशी नागरिकों सहित सिर्फ 7,20,988 बच्चे पैदा हुए हैं. यह 2023 में हुए 7,58,631 जन्म के मुकाबले पांच फीसदी कम है. इसकी तुलना में अगर भारत की बात करें तो कंट्रीमीटर के मुताबिक, 2024 में भारत में 2,94,66,366 जन्म हुए.

जापानी आंकड़ों से आगे पता चला है कि 1899 में जब से सरकार ने आंकड़ों पर नजर रखना शुरू किया है, तब से लेकर अब तक जन्म दर सबसे कम हुई है. अब इसमें जापान में होने वाली मौतों की संख्या को भी जोड़ लीजिए तो ये एक बड़ी मुसीबत बन गई है. 2024 में देश में 16,18,684 मौतें दर्ज की गईं, जो पिछले साल के मुकाबले 1.8 प्रतिशत अधिक है. इसका मतलब है कि जापान में बच्चे पैदा कम हो रहे हैं और लोग मर ज्यादा रहे हैं.

कम बच्चे पैदा होना और अधिक मौतें होना, इसी वजह से आबादी में कमी आई है. इससे लगभग 9,00,000 लोगों की आबादी कम हुई है, जो एक और रिकॉर्ड आंकड़ा है. इसका मतलब है कि हर नए जन्म लेने वाले बच्चे के अनुपात में दो लोगों की मौत हुई है.

इस घटनाक्रम पर जवाब देते हुए जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने स्वीकार किया कि घटती जन्म दर के चलन में अभी तक कोई बदलाव नहीं आया है. उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात से अवगत रहने की ज़रूरत है कि घटती जन्म दर पर अभी तक लगाम नहीं लग पाई है. लेकिन शादियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. शादियों और जन्मों की संख्या के बीच घनिष्ठ संबंध को देखते हुए, हमें इस पहलू पर भी ध्यान देना चाहिए.’

जनसंख्या के आंकड़े बताते हैं कि जापान की आबादी 2008 में अपने चरम पर 128.1 मिलियन तक पहुंच गई थी. हालांकि, तब से अब तक इसमें लगभग पचास लाख लोगों की कमी आई है और यह गिरावट जारी है. राष्ट्रीय जनसंख्या और सामाजिक सुरक्षा अनुसंधान संस्थान के अनुमानों में भविष्यवाणी की गई है कि 2048 तक देश की जनसंख्या घटकर 100 मिलियन से कम और 2060 में 87 मिलियन रह जाएगी. दूसरे शब्दों में कहें तो आधी सदी से कुछ ज़्यादा समय में देश की एक तिहाई आबादी यानी 40 मिलियन से ज्यादा लोग गायब हो जाएंगे.

जन्मदर के कारण विलुप्त होने वाला पहला देश बनेगा जापान?जापान के एक जनसंख्या विशेषज्ञ, तोहोकू यूनिवर्सिटी के रिसर्च सेंटर फॉर एज्ड इकोनॉमी एंड सोसाइटी के प्रोफेसर हिरोशी योशिदा ने कहा है कि अगर जापान इसी तरह जन्मदर में गिरावट देखता रहा तो साल 2720 तक देश में 14 साल से कम उम्र का केवल एक बच्चा रह जाएगा. उनका कहना है कि 695 साल में जापानी प्रजाति का नामोनिशान मिट जाएगा. याानी 695 जापान का अस्तित्व ही मिट जाएगा. उनके हवाले से कहा गया, ‘अगर जन्मदर में गिरावट नहीं रुकी तो ‘घड़ी’ पीछे हो जाएगी.’ उन्होंने आगे कहा, ‘कम जन्मदर के कारण जापान विलुप्त होने वाला दुनिया का पहला देश बन सकता है.’

जापान में जन्मदर घटने की क्या वजह है?जापान में जन्मदर में गिरावट के कई कारण हैं. जापान रिसर्च इंस्टीट्यूट के अर्थशास्त्री ताकुमी फुजिनामी देश में कम होती शादियों की ओर इशारा करते हैं. दूसरे देशों के मुकाबले जापान में हर 100 बच्चों में से कुछ ही बच्चे ऐसे होते हैं जो शादी के बंधन के बाहर पैदा होते हैं. इससे साफ है कि शादी और जन्मदर में गहरा संबंध है.

पिछले साल जापान में शादी की दर में 2.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह आंकड़ा 499,999 पर पहुंच गया. लेकिन यह उस गिरावट को नहीं छुपा सकता जो 2020 में देखने को मिली थी. 2020 में देश में शादी की दर में 12.7 प्रतिशत की कमी आई थी. फुजिनामी ने कहा, ‘इसका असर 2025 में भी देखने को मिल सकता है.’

लेकिन जापानी शादी क्यूं नहीं करना चाहते? एक्सपर्ट्स इसके पीछे आर्थिक स्थिति और लिंग भूमिकाओं को अहम वजह बता रहे हैं. जापान में बहुत सी महिलाओं का कहना है कि जिन पुरुषों के पास पक्की नौकरी नहीं होती, उन्हें शादी के लिए पसंद नहीं किया जाता. ऑक्सफोर्ड इंटरनेट इंस्टीट्यूट और इंस्टीट्यूट फॉर एथिक्स इन एआई में एसोसिएट प्रोफेसर एकेटेरिना हर्टोग जापानी श्रम पद्धतियों के सामाजिक प्रभाव पर रिसर्च करती हैं. उन्होंने न्यूजवीक को बताया कि जापान में ‘पारंपरिक रूप से पुरुषों से कमाने वाले की उम्मीद’ की जाती है. इसके चलते कम कमाई वाले पुरुष शादी को टाल देते हैं या पूरी तरह से छोड़ देते हैं.

एक दिक्कत ये भी है कि महिलाओं को खुद भी अनियमित नौकरियां मिलती हैं. ऐसे में उनके लिए भी परिवार चलाना बड़ा मुश्किल होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह की नौकरियों में काम के घंटे अनिश्चित होते हैं और वेतन कम मिलता है. नतीजतन बहुत सी महिलाएं परिवार शुरू न करने का फैसला लेती हैं.

क्यों शादी नहीं करना चाह रहे लोगकुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जापानी बाजार में अच्छी नौकरियों की कमी है. इसकी वजह से ऐसे पुरुषों का एक वर्ग तैयार हो रहा है, जो शादी नहीं करते और बच्चे पैदा नहीं करते. ऐसा इसलिए क्योंकि वे और उनकी संभावित पार्टनर जानते हैं कि वे परिवार का खर्च नहीं उठा सकते. जापान में बहुत ज्यादा काम करने का कल्चर भी है. यहां तक कि अधिक काम करने से मौत के लिए एक जापानी शब्द ‘करोशी’ भी है. जाहिर है इसका असर ये होता है कि कपल्स कम बच्चे पैदा करते हैं.

क्या जापान अपनी घटती आबादी को लेकर कुछ कर रहा है?पिछले कुछ वर्षों से जापान के अधिकारी घटती आबादी को लेकर चिंतित हैं. 2023 में, इसी वजह से तत्कालीन जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा को यह कहना पड़ा था कि यह ‘अभी या कभी नहीं’ वाली स्थिति है. उन्होंने कहा था, ‘जापान उस कगार पर खड़ा है जहां हमें यह तय करना है कि हम एक समाज के रूप में आगे भी काम कर सकते हैं या नहीं. बच्चों और बच्चों के पालन-पोषण से जुड़ी नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना एक ऐसा मुद्दा है जिसे टाला नहीं जा सकता.’

सरकार क्या कर रहीजापान में शादियां और बच्चे बढ़ाने के लिए सरकार कई तरह के कार्यक्रम चला रही है. टोक्यो मेट्रोपॉलिटन सरकार ने तो शादी को बढ़ावा देने के लिए एक सरकारी डेटिंग ऐप तक लॉन्च कर दिया है. इस कदम ने स्पेसएक्स, टेस्ला और एक्स के मालिक और अरबपति एलन मस्क का ध्यान भी खींचा. उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि जापान सरकार इस मामले की अहमियत को समझती है. अगर समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया, तो जापान (और कई दूसरे देश) खत्म हो जाएंगे.’

शादी के लिए सरकारी दे रही सब्सिडीशादियां बढ़ाने के लिए सरकार दूसरे कदम भी उठा रही है. इनमें चाइल्ड केयर सुविधाओं का विस्तार और हाउसिंग सब्सिडी देना शामिल है. प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा 3.6 ट्रिलियन येन के चाइल्ड केयर पॉलिसी पैकेज का समर्थन कर चुके हैं. हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि ये उपाय जापान को मदद नहीं कर रहे हैं. देश अब करो या मरो (बिल्कुल सचमुच) के मोड़ पर खड़ा है.


Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

February 28, 2025, 15:05 IST

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