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महाराष्ट्र के किसान ने एक पेड़ के लिए जीते 10000000 रुपये, YouTube की ली मदद… रेलवे करेगा भुगतान… – Maharashtra farmer wins rs 10000000 for one tree took help from youtube to identify red sandalwood viral news trending news youtube news – hindi news, tech news

YouTube Helped a Man to Win 10000000: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने सेंट्रल रेलवे को एक किसान की जमीन पर लगे 100 साल पुराने लाल चंदन के पेड़ के लिए अंतरिम मुआवजे के तौर पर 1 करोड़ रुपए जमा करने का आदेश दिया. रेलवे ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन किया और 9 अप्रैल, 2025 को पैसे जमा किए. बीबीसी मराठी की र‍िपोर्ट के अनुसार हाई कोर्ट ने किसान को जमा की गई राशि में से 50 लाख रुपए निकालने की अनुमति दी.

ये एक अनोखा केस था और इसमें क‍िसान ने YouTube की मदद ली. YouTube स‍िर्फ मनोरंजन या कमाई का साधन ही नहीं है. बल्‍क‍ि ये लोगों को एजुकेट भी करता है. YouTube पर लाल चंदन के पेड़ के बारे में जानकारी हास‍िल कर क‍िसान ने कानूनी लड़ाई जीत ली.  आइये पूरा मामला जानते हैं.

लाल चंदन के पेड़ का मामला क्या था?यवतमाल जिले के खारसी गांव के किसान केशव शिंदे और उनके पांच बेटों ने 7 अक्टूबर 2024 को हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की. इस याचिका में उन्होंने वर्धा-यवतमाल-पूसाड़-नांदेड़ रेलवे लाइन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित लाल चंदन के पेड़ और अन्य संपत्तियों के मुआवजे की मांग की.

शिंदे के पास पूसाड़ तालुका में 2.29 हेक्टेयर खेती की जमीन है. इस जमीन का एक हिस्सा रेलवे लाइन के लिए केंद्रीय रेलवे ने अधिग्रहित किया था और उन्हें जमीन के लिए मुआवजा दिया गया था.  हालांकि, शिंदे ने लाल चंदन के पेड़ और अन्य पेड़ों जैसे खैर के लिए भी मुआवजे की मांग की.

रेलवे अधिकारियों ने उन्हें बताया कि लाल चंदन के पेड़ के मूल्यांकन की आवश्यकता है. इसके लिए वन विभाग से मूल्यांकन का अनुरोध किया गया.

कैसे YouTube ने किसान की मदद की?शिंदे परिवार के वकील, अंजना राउत नारवड़े ने बताया कि पेड़ का मूल्यांकन मुआवजे को लगभग 5 करोड़ रुपये तक बढ़ा सकता है. वन विभाग के अधिकारियों और अन्य विशेषज्ञों की एक समिति पेड़ के अंतिम मूल्य का निर्धारण करेगी.

94 वर्षीय केशव शिंदे और उनके बेटों को रेलवे अधिकारियों द्वारा किए गए सर्वेक्षण के दौरान अपनी जमीन पर लाल चंदन के पेड़ के बारे में पता चला. इनमें से कुछ अधिकारी आंध्र प्रदेश के थे और उन्होंने पेड़ की पहचान लाल चंदन के रूप में की और परिवार को इसकी उच्च कीमत के बारे में बताया.

शिंदे परिवार ने YouTube का उपयोग करके और विशेषज्ञों से परामर्श करके पेड़ की पहचान की पुष्टि की. इसके बाद उन्होंने कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से उचित मुआवजे की मांग की.

केशव शिंदे के बेटे और याचिकाकर्ताओं में से एक, पंजाब शिंदे के अनुसार, उनकी जमीन पर आम के बाग और अन्य फलदार पेड़ थे, जिनके लिए मुआवजा दिया गया था. हालांकि, लाल चंदन के पेड़ और पाइपलाइन के लिए मुआवजा नहीं दिया गया. 2014 से, शिंदे परिवार ने जिला कलेक्टर, वन विभाग, रेलवे और सिंचाई विभाग के साथ लगातार संपर्क किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. आठ साल की लड़ाई के बाद, शिंदे परिवार ने उच्च न्यायालय का रुख किया और कानूनी लड़ाई शुरू की.

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