इंसानों के प्राइवेट पार्ट में मिली यह घातक चीज, स्पर्म काउंट कर रही बर्बाद ! युवाओं को ज्यादा खतरा
हाइलाइट्स
माइक्रोप्लास्टिक हमारे ब्लडस्ट्रीम में घुसकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है.खाने-पीने के अलावा सांस लेने से माइक्रोप्लास्टिक के कण आपके शरीर में पहुंच रहे हैं.
Microplastics Found in Human Testicle: अब तक आपने कई बार इंसानों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने की बातें सुनी होंगी, लेकिन एक हालिया रिसर्च में इसे लेकर डरावना सच सामने आया है. वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि माइक्रोप्लास्टिक के कण पुरुषों के टेस्टिकल्स यानी प्राइवेट पार्ट में पहुंच चुके हैं. इसकी वजह से उनके यौन स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है. माइक्रोप्लास्टिक 5 मिलीमीटर से छोटे प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं, जो समुद्र में जाकर जलीय जीवन समेत इंसानों को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं. अब तक प्लास्टिक के ये छोटे टुकड़े कई चीजों में मिले थे, लेकिन पहली बार ये घातक कण टेस्टिकल्स में मिले हैं. चिंता की बात यह है कि इस रिसर्च में जितने भी इंसानों के सैंपल लिए गए, उन सभी में माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े पाए गए हैं.
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि दुनियाभर के पुरुषों के स्पर्म काउंट में दशकों से चली आ रही गिरावट का टेस्टिकल्स में पाए गए माइक्रोप्लास्टिक से सीधा कनेक्शन हो सकता है. इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने 23 सैंपल पुरुषों के टेस्टिकल्स से लिए थे, जबकि 47 सैंपल कुत्तों के टेस्टिकल्स से लिए गए. वैज्ञानिकों को हर सैंपल में माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े देखने को मिले. फिलहाल इस रिसर्च में पुरुषों के स्पर्म काउंट का पता नहीं चल सका, लेकिन कुत्तों के सैंपल में माइक्रोप्लास्टिक की वजह से स्पर्म काउंट में गिरावट देखने को मिली. इस आधार पर आशंका जताई जा रही है कि ये माइक्रोप्लास्टिक पुरुषों के स्पर्म काउंट में गिरावट की वजह बन सकता है.
अब तक कई रिसर्च से पता चला है कि कीटनाशकों जैसे केमिकल पॉल्यूटेंट के कारण पुरुषों का स्पर्म काउंट दशकों से गिर रहा है. हाल ही में इंसानों के खून, प्लेसेंटा और ब्रेस्ट मिल्क में भी माइक्रोप्लास्टिक्स का पता चला था. फिलहाल माइक्रोप्लास्टिक का सेहत पर होने वाले असर का पता नहीं चला है, लेकिन लैब में माइक्रोप्लास्टिक को मानव कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हुए पाया गया है. दुनियाभर में बड़ी तादाद में प्लास्टिक कचरा फेंक दिया जाता है और माइक्रोप्लास्टिक ने माउंट एवरेस्ट से लेकर सबसे गहरे महासागरों तक को प्रदूषित कर दिया है. लोगों के शरीर में खाने-पीने के साथ सांस के जरिए प्लास्टिक के छोटे कण घुस रहे हैं और शरीर के अलग-अलग अंगों में देखने को मिल रहे हैं. ये कण सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि माइक्रोप्लास्टिक के कण शरीर के टिश्यूज में फंस सकते हैं और सूजन पैदा कर सकते हैं. वायु प्रदूषण के कण की तरह प्लास्टिक में मौजूद रसायन सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. रिसर्च ये यह भी पता चला है कि जिन लोगों के ब्लडस्ट्रीम में माइक्रोप्लास्टिक के कण थे, उनमें स्ट्रोक, हार्ट अटैक और समय से पहले मौत का खतरा काफी बढ़ गया और डॉक्टर्स ने इससे मौत की आशंका जताई थी. अमेरिका में न्यू मैक्सिको यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ज़ियाओझोंग यू का कहना है कि शुरुआत में उन्हें शक था कि क्या माइक्रोप्लास्टिक्स रिप्रोडक्टिव सिस्टम में घुस सकते हैं. जब उन्हें इस रिसर्च के परिणाम मिले, तो वे पूरी तरह चौंक गए. शोधकर्ताओं का कहना है कि टेस्टिकल्स में माइक्रोप्लास्टिक मिलना युवा पीढ़ी के लिए ज्यादा चिंताजनक हो सकता है, क्योंकि अब पर्यावरण में पहले से कहीं अधिक प्लास्टिक है.
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FIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 13:50 IST