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आषाढ़ और ज्येष्ठ मास में मिलता है राजस्थान के धोरों का यह फल, लू से बचाए और शरीर में पानी की मात्रा बढ़ाए

जालौर : राजस्थान के रेगिस्तान में गर्मियों में लू के थपेड़ों से पककर तैयार होने वाला यह फल अंगूर व मावा के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन इसका वास्तविक नाम पीलू है जोकि औषधीय गुणों से भरपूर होता है. आयुर्वेद डॉक्टर दामोदर प्रसाद के अनुसार राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में कुदरत मेहरबान है, यहां पाए जाने वाले एक पेड़ को स्थानीय भाषा में जाल के नाम से जाना जाता है. इसी जाल के पेड़ पर छोटे-छोटे रसीले पीलू के फल लगते हैं. यह फल मई और जून या फिर यूं कहें कि यह फल वैशाख-ज्येष्ठ माह में लगते हैं.

शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है यह फलरेगिस्तानी इलाके में पाए जाने वाले इस फल की सबसे बड़ी विशेषता यह कि जितनी तेज लू चलेगी और गर्मी ज्यादा होगी उतना ही यह फल मीठा और रसीला होगा. इस फल को लू के प्रभाव को कम करने वाली रामबाण औषधि के नाम से भी जाना जाता है. इस फल को खाने से शरीर में पानी की कमी भी पूरी होती है.

पीलू से लदे पेड़ों को देखते ही आकर्षित होते हैं लोगराजस्थानी की भरी गर्मी में पीलू से लदे रंग-बिरंगे पेड़ लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं. इन पेड़ों को देखते ही लोग इनकी तरफ आकर्षित होते हैं. यह देखने में बहुत ही खूबसूरत लगते हैं, लोग इनकी तरफ खुद-ब-खुद खिंचे चले आते हैं. इसे सभी लोग बड़े चाव से खाते हैं.

भीषण गर्मी में भी नहीं सूखता यह पेड़अकाल और भीषण गर्मी के दौरान जब अधिकतर पेड़-पौधे सूख जाते हैं और उनमें पतझड़ शुरू हो जाता है, ऐसे समय में भी यह पौधा हरा भरा रहता है और इसमें फल भी होते हैं. जो यहां के आमजन के साथ साथ जीव-जंतुओं में पानी की कमी और अन्य कई आवश्यक तत्वों की पूर्ति करता है.

Tags: Health, Life18, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : May 10, 2024, 12:52 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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