बुखार और पुराने दर्दों को छूमंतर कर देती है यह मिठाई! सिर्फ एक महीने ही मिलता है इसका स्वाद

करौली. मिठाई हम क्यों खाते हैं? शायद इस बात का जवाब मिल पाना थोड़ा असंभव है. चाहे लोग तीखा – चटपटा खाना पसंद करें या ना करें लेकिन, मिठाई खाना ज्यादातर लोगों को पसंद होता है. यह एक ऐसा जायका है. जिसकी तड़प जुबा खुद-ब-खुद मांग लेती है. जुबान की इसी जिद को पूरी करने के लिए लोग मीठे पकवान खाते है या फिर मिठाई खाते हैं.
शायद आपको इन बातों से थोड़ा अजीब- सा महसूस होगा. लेकिन, इन तमाम बातों के जरिए लोकल 18 आपको एक खास मिठाई के जायके के बारे में बताने जा रहा है. यह मीठा जायका इतना खास है कि यह न केवल आपको मिठाई का स्वाद दिलाएगा बल्कि कई तरह से आपकी सेहत का ख्याल भी रखेगा. यानी, स्वाद के साथ-साथ सेहत का ख्याल रखने वाली मिठाई. जी हां सही सुना, स्वाद के साथ सेहत का ख्याल रखने वाली इस मिठाई का नाम ‘तिलगिनी’ है.
राजस्थान के करौली में तिलगिनी मिठाई काफी मशहूर है. क्योंकि इसका स्वाद केवल साल में एक बार लगने वाले पशु मेले और उसके बाद मुश्किल से 1 महीने ही मिल पाता है. हूबहू शीशे जैसी ये मिठाई सिर्फ काली मिर्च और चासनी से तैयार की जाती है. इसलिए यह मिठाई सेहत को भी कई तरह के फायदे और स्वाद पहुंचाती है. सबसे खास बात तो यह है कि ऐसा कहा जाता है कि मिठाई खाने के बाद पेट जल्दी भर जाता है. लेकिन तिलगिनी एक ऐसी मिठाई है जिसे खाने के बाद आपकी भूख और भी बढ़ जाएगी.
बुखार के साथ पुराने दर्द को कर देती है छूमंतरकरौली में इस मिठाई को कुछ चुनिंदा मुस्लिम कारीगर ही तैयार करते हैं. इसे बनाने वाले वसीम खान बताते हैं कि तिलगिनी की खासियत है कि यह खांसी, जुखाम, बुखार में फायदा करती है. इसके साथ ही पुराने दर्द को खत्म करने के साथ जोड़ों के दर्द के लिए भी फायदेमंद रहती है. वसीम खान का कहना है कि यह केवल करौली में ही बनती है और हर आदमी इसे यहां पसंद करता है. हमारे पुरखे भी इसे पहले बनाते थे. तिलगिनी का स्वाद उन्हीं की देन है.
वसीम खान का कहना है कि यह मिठाई केवल गुड-चीनी की चासनी, काली मिर्च और इसमें थोड़ा सा पिपरमिंट डाला जाता है. इसके अलावा इसमें किसी भी प्रकार की चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. वसीम खान का कहना है कि मेले के दौरान इसकी मांग जबरदस्त रहती है. तिलगिनी का भाव करौली में ₹200 किलो रहता है.
खाने में भी लगती है टेस्टी तिलगिनी को खरीदने आए 80 वर्षीय बुजुर्ग नेमीचंद ने बताया कि तिलगिनी खाने में बहुत टेस्टी लगती है. इसको खाते वक्त स्वाद भी बहुत स्वादिष्ट बहुत बढ़िया आता है. 80 वर्षीय बुजुर्ग ने बताया कि तिलगिनी गले को एकदम साफ और बुखार होने के बाद भूख बढ़ाने में मददगार है. बचपन से तिलगिनी को हम कहते आ रहे हैं और इसका स्वाद करौली के अलावा कहीं पर भी नहीं मिल पाता है.
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FIRST PUBLISHED : May 17, 2024, 18:56 IST