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Vijay Diwas 2023 Special Rajasthan two brave soldiers story of their own words after hearing You will get goosebumps | Vijay Diwas 2023 : राजस्थान के इन दो वीर सैनिकों की कहानी उन्हीं की जुबानी, सुनकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे

Vijay Diwas 2023 Special : 16 दिसम्बर को 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के कारण विजय दिवस मनाया जाता है। इस युद्ध में हमारे राजस्थान प्रदेश के वीरों ने भी जौहर दिखाए थे। उस युद्ध की कहानी उन्हीं की जुबानी आपके लिए पेश है।

भारत ने 16 दिसम्बर को 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था। जिस वजह से 16 दिसम्बर को विजय दिवस मनाया जाता है। इस विजय दिवस को आज राजस्थान में पूरे जोर शोर से मनाया जा रहा है। आज आपको राजस्थान के दो वीरों से मिलवाते हैं। जिन्होंने इस युद्ध में अपना जौहर दिखाया था। उस युद्ध की कहानी उन्हीं की जुबानी आपके लिए पेश है। पहली कहानी झुंझुनूं के हनुमान पायल (89 वर्ष) की है। वह सेना में हवलदार पद पर कार्यरत थे। हवलदार हनुमान पायल बताते हैं कि मैं उदयपुवाटी उपखण्ड के पापड़ा गांव का हूं। मैंने 1962, 1965 और 1971 का भी युद्ध लड़ा। जाट रेजिमेंट की 11वीं बटालियन में एंटी टैंक गनर चालक के पद पर रहा। 1971 के युद्ध में भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात था। युद्ध में मेरा हाथ फ्रैक्चर हो गया था, पर 3 दिन के बाद ही ड्यूटी पर लौट आया था। पाक सैनिकों जहां बंधक थे, मैं उनकी चौकसी करता था।

सेना ने 1971 के युद्ध के लिए मुझे पूर्वी स्टार पदक से नवाजा। इकलौता बेटा हरदेव सिंह भी सेना था। 1996 में उत्तराखण्ड जोशीमठ में तैनाती के दौरान बर्फ से उसके पैर खराब हो गए। अभी वह राजस्थान पुलिस में जयपुर में सेवा दे रहा है।’ (जैसा हवलदार हनुमान पायल ने अरुण शर्मा को बताया)

खून जमाने वाली सर्दी में नदी में उतरे, दुश्मन फायरिंग करने लगा

दूसरी कहानी अजमेर के ले. कर्नल एनडी माथुर की है। वे बताते हैं कि,‘मैं ले. कर्नल एनडी माथुर। अजमेर से हूं। मैंने 1966 में आर्मी ज्वाइन की। 22 राजपूत बटालियन में बतौर मेजर तैनात था। 15 दिसम्बर 1971 को हमें बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) स्थित मधुमति नदी पार जाकर हमला करने का आदेश मिला। खून जमाने वाली सर्दी में हमारी टुकड़ी गोला-बारूद लेकर नदी में उतरी। दुश्मन के आक्रमण का खतरा अलग था, लेकिन धीरे-धीरे आगे बढ़े। नदी पार करते ही हमें दुश्मन दिखा।

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15 दिसम्बर की अर्द्ध रात्रि में पाकिस्तानी सैनिकों ने लहराया सफेद रूमाल

नदी के मुहाने पर खड़े दुश्मन देश के संतरी पर फायर किया। जवाब में उन्होंने मोर्टार, एन्टी टैंक मिसाइल भी दागे। हमने डटकर मुकाबला किया। 15 दिसम्बर की अर्द्ध रात्रि में पाकिस्तानी सैनिकों ने सफेद रूमाल लहराकर हार मानने का संकेत दिया… तब हमने फायरिंग रोकी। मुझे तब वीर चक्र मिला।’ (जैसा ले. कर्नल एनडी माथुर ने रक्तिम तिवारी को बताया)

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