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झोपड़ी में आग लगने से जल गए पोता-पोती, दादा पास इलाज के लिए नहीं थे पैसे, फिर आई कुदरती मदद

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 15, 2025, 19:32 IST

पाली में झोपड़ी में आग लगने से 2 साल की स्वामी 60 प्रतिशत जल गई. दादा सोमाराम की मदद के लिए हॉस्पिटल स्टाफ और निर्मल वागोरिया ने आर्थिक सहायता दी.X
पाली
पाली के बांगड़ अस्पताल के चिकित्सको ने की मदद

हाइलाइट्स

पाली में झोपड़ी में आग से 2 साल की बच्ची 60% जली.हॉस्पिटल स्टाफ और निर्मल वागोरिया ने आर्थिक सहायता दी.बच्ची को जोधपुर इलाज के लिए भेजा गया.

पाली. कहते जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है और भगवान किसी न किसी रूप में उस व्यक्ति की मदद करने के लिए पहुंच ही जाता है. ऐसा ही दृश्य पाली में उस समय देखने को मिला जब पाली के देसूरी में गुरुवार को झोपड़ी में आग लगने से 2 साल की मासूम स्वामी 60 प्रतिशत तक झुलस गई थी. पाली के बांगड़ हॉस्पिटल में उसे प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर रेफर किया गया लेकिन इस दौरान मासूम के दादा सोमाराम गरासिया नम आंखों से हॉस्पिटल स्टाफ से निवेदन करते दिखे कि मेरे पास कुछ भी नहीं, जो था वह झोपड़ी में जलकर खाक हो गया. आग में सब कुछ जल गया, पास में न मोबाइल है और न ही एक रुपया. जोधपुर में कैसे रहेंगे. बच्ची का यही इलाज कर दो, मेहरबानी होगी. सोमाराम की बात सुन ट्रॉमा वार्ड के नर्सिंग स्टाफ प्रमोद कुमावत आगे आए. इसके बाद स्टाफ के लोगों को सोमाराम के बारे में बताया तो सभी ने कुछ ही मिनट में 3 हजार रुपए शामिल किए और सोमाराम को दिए. इस हादसे में सोमाराम के एक पोते की जिंदा जलने से मौत हो गई थी.

सोमाराम गरासिया के लिए जब ट्रोमा वार्ड में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ ने रुपए जमा कर मदद करने का काम किया उसी वक्त वहां आए निर्मल वागोरिया को यह बात पता चली तो उसने भी अपने जेब से एक हजार रुपए निकालकर तुरंत सोमाराम गरासिया को दिए. साथ ही मोबाइल नंबर कागज पर लिखकर दिया और बोला कि जोधपुर में रुपए कम पड़ जाए तो इस नंबर पर फोन कर देना मदद पहुंचा देंगे. ऐसे में पाली को भामाशाहों की नगरी ऐसे ही नहीं कहा जाता है.

यह हुई पूरी घटनाआपको बता दें कि पाली जिले के देसूरी के वीरमपुरा के निकट एक खेत में झोपड़ी बनाकर सोमाराम गरासिया अपनी पत्नी लीला, 6 पोता-पोतियों और खुद के 2 बच्चों सहित रहता है. गुरुवार शाम करीब छह बजे वह अपनी पत्नी के साथ पास के खेत में काम कर रहा था. बच्चे झोपड़ी में अकेले थे. छह बच्चे खेल रहे थे और 4 साल का कालूराम और उसकी 2 साल की स्वामी अंदर सो रहे थे. इस दौरान घास और लकड़ियों से बनी झोपड़ी में अचानक आग लग गई. इस हादसे में सोमाराम गरासिया का 4 साल का पोता कालूराम जिंदा जल गया और 2 साल की पोती स्वामी 60 प्रतिशत तक जल गई. उसकी पीठ का पूरा हिस्सा जल गया. जिसके इलाज के लिए अब जोधपुर रेफर किया गया है.

झोपड़ी में जलकर सब हो गया खाककरीब 6 महीने पहले उसके बेटे रमेश की मौत हो गई. एक महीने बाद ही उसकी पत्नी 6 बच्चों को छोड़कर चली गई और दूसरी शादी रचा ली. तब से वह अपने दो बच्चों सहित छह पोते-पोतियों को पाल रहा है. सोमाराम गरासिया बताते हैं कि मजदूरी करने जाना पड़ता है. ऐसे में 11 साल की पोती के भरोसे सभी बच्चों को झोपड़ी में छोड़कर काम पर दोनों पति-पत्नी जाते हैं. उसने बताया कि आग लगने से झोपड़ी में रखे कुछ रुपए, गहने सहित सारा सामान जल गया. जेब में 10 रुपए तक नहीं बचे. ऐसे में नर्सिंग स्टाफ ने उनकी सहायता करने का काम किया.

इससे पहले भी कई बार हॉस्पिटल स्टाफ ने बढ़ाए मदद के हाथडॉक्टर्स को भगवान का रूप इसलिए ही नहीं कहा जाता है. वह मरीज की जान बचाकर अपना फर्ज तो निभाते ही हैं साथ ही जरूरतमंदों की मदद के लिए भी पीछे नहीं हटते. बांगड अस्पताल में सहायता करने का यह पहला मामला नहीं है. बांगड़ हॉस्पिटल के ट्रामा वार्ड के नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर्स ने कोई पहली बार किसी जरुरतमंद मरीज के परिजनों की हेल्प नहीं की. इससे पहले भी कई बार ऐसे मौके आए है. जब मरीज को रेफर करने के दौरान ग्रामीण क्षेत्र से आए कई लोग आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देते हुए जोधपुर रेफर नहीं करने की बात कही और इन्होंने यथा संभव आर्थिक रूप से उनकी मदद की.


Location :

Pali,Pali,Rajasthan

First Published :

February 15, 2025, 19:32 IST

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